मुरादाबाद में मूर्ति को लेकर विवाद : तबला वादक अहमद जान थिरकवा की प्रतिमा लगाने का विरोध, हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति

तबला वादक अहमद जान थिरकवा की प्रतिमा लगाने का विरोध, हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति
UPT | तबला वादक अहमद जान थिरकवा

Dec 18, 2024 15:17

मुरादाबाद में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित मशहूर तबला वादक अहमद जान थिरकवा की मूर्ति लगाए जाने का हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने विरोध किया है।

Dec 18, 2024 15:17

Moradabad News : मुरादाबाद में पद्म भूषण से सम्मानित प्रसिद्ध तबला वादक अहमद जान थिरकवा की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मुरादाबाद नगर निगम ने सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित रामगंगा विहार के तिराहे पर अहमद जान थिरकवा की प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया था, लेकिन जैसे ही यह खबर हिंदू संगठनों तक पहुंची, उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इन संगठनों का आरोप है कि अहमद जान थिरकवा की जगह तिराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई जानी चाहिए थी।

मुरादाबाद में विरोध प्रदर्शन
मुरादाबाद नगर निगम द्वारा लिए गए इस फैसले के मुताबिक अहमद जान थिरकवा की मूर्ति को उस तिराहे पर स्थापित किया जाना था, जो मुरादाबाद-हरिद्वार स्टेट हाइवे पर स्थित है। निगम की योजना थी कि इस तिराहे का नाम भी अहमद जान थिरकवा के नाम पर रखा जाए। लेकिन जैसे ही इस योजना का खुलासा हुआ, हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध बढ़ने के बाद सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग और हिंदू संगठन के सदस्य तिराहे पर पहुंच गए और नगर निगम के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। उनका कहना था कि यह कदम मुरादाबाद की सांप्रदायिक एकता को कमजोर करेगा और उन्होंने तुरंत इस प्रतिमा को हटाने की मांग की।



मूर्ति को लेकर मुरादाबाद में विवाद
अहमद जान थिरकवा की मूर्ति को लेकर मुरादाबाद में उठा यह विवाद अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह एक सांप्रदायिक मुद्दा बनता जा रहा है, क्योंकि एक मुस्लिम कलाकार की मूर्ति स्थापित करने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। उनका यह भी कहना है कि इस क्षेत्र का नाम और मूर्ति किसी ऐसे नेता या व्यक्ति के नाम पर होनी चाहिए, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान दिया हो, जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि उस्ताद अहमद जान थिरकवा का संगीत क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है और उनके कार्यों को सम्मानित किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि यदि उनके नाम पर मूर्ति स्थापित की जा रही है, तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह सांस्कृतिक सम्मान है, न कि धार्मिक विवाद।

ये भी पढ़ें : संभल में बिजली विभाग का बड़ा कदम : सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर कम बिजली खपत को लेकर जांच, मीटर चेकिंग के दिए आदेश

अहमद जान थिरकवा की जीवन यात्रा
उस्ताद अहमद जान थिरकवा का नाम भारतीय संगीत में बहुत ही सम्मानजनक स्थान रखता है। उनका जन्म मुरादाबाद के एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था और उन्हें संगीत विरासत में मिला था। बचपन से ही उन्होंने घर पर संगीत की शिक्षा ली, और बाद में मुंबई जाकर उस्ताद मुनीर खान के शागिर्द बने। उस्ताद अहमद जान थिरकवा का तबला वादन बहुत ही अद्वितीय था और उनकी उंगलियों की गति को देखकर उन्हें ‘थिरकवा’ के नाम से जाना जाने लगा। वह संगीत के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किए गए थे। उन्होंने 40 वर्षों तक उस्ताद मुनीर खान से प्रशिक्षण लिया और रामपुर दरबार में भी लंबा समय बिताया। उनकी धुनों को आज भी पूरे विश्व में सराहा जाता है।

Also Read