पहला वेतन आयोग साल 1946 में लागू किया गया था और अब तक सात वेतन आयोग सफलतापूर्वक काम कर चुके हैं। 8वें वेतन आयोग के गठन और सिफारिशों को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही...
8th Pay Commission : कैसे और कब बढ़ता है केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन, पहले वेतन आयोग से अब तक जानें हर बात
Jan 16, 2025 16:56
Jan 16, 2025 16:56
क्या है इनकी भूमिका?
वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन, भत्तों और अन्य लाभों की सिफारिश करता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कर्मचारियों को उनकी सेवाओं के लिए उचित और समयानुकूल वेतन मिले। आयोग कर्मचारियों की जरूरतों, देश की आर्थिक स्थिति और महंगाई दर को ध्यान में रखकर अपनी सिफारिशें तैयार करता है।
पहले वेतन आयोग से लेकर अब तक का सफर
वेतन आयोग का गठन क्यों किया जाता है?
वेतन आयोग (Pay Commission) सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और सेवा लाभों की समीक्षा और सुधार के लिए गठित एक स्वतंत्र निकाय है। यह आयोग कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, महंगाई से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने और देश की वित्तीय संरचना के अनुरूप एक संतुलित वेतन प्रणाली तैयार करने का काम करता है।
1946 में शुरू हुआ था पहला वेतन आयोग
पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में स्थापित किया गया था और इसने मई 1947 में भारत की अंतरिम सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसकी अध्यक्षता श्रीनिवास वरदाचारी ने की थी। प्रथम (नौ सदस्यों) का अधिदेश असैन्य कर्मचारियों की पारिश्रमिक संरचना की जांच करना और सिफारिश करना था।
दूसरा वेतन आयोग
दूसरा वेतन आयोग अगस्त 1957 में स्थापित किया गया था। जो स्वतंत्रता के 10 साल बाद था और इसने दो साल बाद अपनी रिपोर्ट दी। दूसरे वेतन आयोग की सिफारिशों का वित्तीय प्रभाव ₹ 39.6 करोड़ था। दूसरे वेतन आयोग के अध्यक्ष जगन्नाथ दास थे। दूसरे वेतन आयोग के बाद गठित विभागीय वेतन समिति को रघुरामैया समिति (1960) कहा गया। जिसमें सेवा प्रतिनिधि शामिल थे। इसने सशस्त्र बलों के वेतन की जांच की और सिफारिशें कीं
तीसरा वेतन आयोग
अप्रैल 1970 में गठित तीसरे वेतन आयोग ने मार्च 1973 में अपनी रिपोर्ट दी। तीसरा वेतन आयोग रक्षा बलों के लिए पहला वेतन आयोग था। यह पहली बार है कि वेतन आयोग को सरकार और सशस्त्र बलों के असैन्य कर्मचारियों के पारिश्रमिक की संरचना की जाँच करने के लिए कहा गया है। अतीत में बाद वाले को विभागीय समितियों को सौंपा गया था जिसमें सेवाओं के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
चौथा वेतन आयोग
जून 1983 में गठित, इसकी रिपोर्ट चार वर्षों के भीतर तीन चरणों में दी गई और सरकार पर वित्तीय बोझ ₹ 1282 करोड़ था। यह आयोग 1987 को स्थापित किया गया है। चौथे वेतन आयोग के अध्यक्ष पी एन सिंघल थे। इसका उद्देश्य वेतन में 27% की औसत वृद्धि करना था। यह आयोग विशेष रूप से 1980 के दशक के आर्थिक परिप्रेक्ष्य में गठित किया गया था। जब भारत एक ओर जहां आर्थिक सुधारों की ओर बढ़ रहा था, वहीं महंगाई और कर्मचारियों के वेतन संबंधी समस्याएं भी गंभीर हो गई थीं।
पांचवां वेतन आयोग
भारत में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में सुधार के लिए विभिन्न वेतन आयोगों का गठन किया गया। इनमें से पांचवां वेतन आयोग 9 अप्रैल 1994 में गठित किया गया, लेकिन सदस्य सचिव द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही 2 मई 1994 को काम करना शुरू कर दिया। वेतन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस रत्नावेल पांडियन थे। जो भारतीय सरकार के कर्मचारियों की वेतन संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था। इस आयोग ने पेंशनभोगियों के लाभों में सुधार किय।
छठा वेतन आयोग
जुलाई 2006 में मंत्रिमंडल ने छठे वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी। इस आयोग का गठन न्यायमूर्ति बी.एन.श्रीकृष्ण के अधीन 18 महीने की समय-सीमा के साथ किया गया है। छठे वेतन आयोग पर मीडिया की अटकलों के अनुसार वेतन वृद्धि की लागत कुल 5.5 मिलियन सरकारी कर्मचारियों के लिए लगभग ₹ 20,000 करोड़ होने का अनुमान है। जिसकी रिपोर्ट मार्च के अंत/अप्रैल 2008 की शुरुआत में सौंपे जाने की उम्मीद है। कर्मचारियों ने धमकी दी थी कि अगर सरकार उनके वेतन में वृद्धि करने में विफल रही तो वे देशव्यापी हड़ताल पर चले जाएँगे। वेतन वृद्धि की मांग के कारणों में बढ़ती मुद्रास्फीति और वैश्वीकरण की ताकतों के कारण निजी क्षेत्र में वेतन में वृद्धि शामिल है।
सातवां वेतन आयोग
25 सितंबर 2013 को भारत सरकार ने 7वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इसकी सिफ़ारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होने की उम्मीद थी। सातवें वेतन आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति ए.के. माथुर करेंगे। जिसकी घोषणा 4 फ़रवरी 2014 को की गई थी। 29 जून 2016 को सरकार ने छह महीने के गहन मूल्यांकन और लगातार चर्चा के बाद वेतन में 14% की मामूली वृद्धि के साथ 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को स्वीकार कर लिया।
8वें वेतन आयोग की जरूरत क्यों?
वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन और भत्ते मिल रहे हैं। लेकिन महंगाई में बढ़ोतरी और जीवन यापन की बदलती लागत के चलते 8वें वेतन आयोग की मांग की जा रही है।
क्या है 8वां वेतन आयोग
आठवां वेतन आयोग भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति होगी, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों की समीक्षा करेगी। यह आयोग महंगाई, कर्मचारियों की वर्तमान आर्थिक स्थिति और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए नए वेतनमान की सिफारिश करेगा। प्रत्येक दस साल में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है, जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में संशोधन की सिफारिश करता है। 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसके बाद न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया था। अब, 2026 में आठवें वेतन आयोग के गठन की योजना है।
8वें वेतन आयोग से संभावित बदलाव
न्यूनतम वेतन : 7वें वेतन आयोग के ₹18,000 से बढ़ाकर ₹34,560 किया जा सकता है।
फिटमेंट फैक्टर : वर्तमान 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किया जा सकता है।
पेंशन में सुधार : न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर ₹25,740 तक हो सकती है।
भत्तों का विस्तार : मकान किराया भत्ता (HRA), यात्रा भत्ता (TA) और अन्य भत्तों में वृद्धि।
वेतन आयोग का गठन क्यों किया जाता है?
केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में समय-समय पर सुधार और संशोधन के लिए वेतन आयोग (Pay Commission) का गठन किया जाता है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की जरूरतों, आर्थिक हालात और महंगाई के आधार पर एक न्यायसंगत वेतन संरचना तैयार करना है। यह आयोग सरकारी कर्मियों के वित्तीय प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभाता है। आइए समझते हैं कि वेतन आयोग कैसे काम करता है और इसके कामकाज की प्रक्रिया क्या है।
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