सियासत के लिए नए लगे चेहरों पर दांव : NDA के 60% तो INDIA के 58% नए सिपाही दिग्गजों पर पड़े भारी

 NDA के 60% तो INDIA के 58% नए सिपाही दिग्गजों पर पड़े भारी
UPT | सियासत के लिए नए लगे चेहरों पर दांव

Jun 08, 2024 20:31

 लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। उत्तर प्रदेश में 80 में से 80 सीटों का दावा करने वाली भाजपा सरकार महज 33 सीटों पर सिमटकर रह गई...

Jun 08, 2024 20:31

New Delhi : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। उत्तर प्रदेश में 80 में से 80 सीटों का दावा करने वाली भाजपा सरकार महज 33 सीटों पर सिमटकर रह गई। यूपी में अबकी बार भाजपा का जादू नहीं चल सका। यूपी के दो लड़कों ने पूरी बाजी पलट दी। भाजपा का रालोद और अपना दल के साथ गठबंधन धरा का धरा रह गया। यूपी में इंडी गठबंधन को 43 सीटों पर जीत मिली। वहीं एनडीए के हिस्से में 36 सीटें आईं। भाजपा द्वारा हारी हुई सीटों पर एंटी इनकंबेंसी भी हो सकती है।

पुराने चेहरों ने बिगाड़ा खेल
यूपी में भाजपा ने 80 में से केवल 15 सीटों पर नए चेहरे उतारें। बीजेपी ने इस बार मौजूदा 62 सांसदों में से 48 को चुनाव में उतारा। 48 में से 26 सासंद चुनाव हार गए। भाजपा की यह योजना काम नहीं आ सकी और चुनाव परिणाम ने पार्टी के होश उड़ा दिए। बीजेपी अगर सिटिंग सांसदों की जगह नए चेहरे उतारती तो संभव हो सकता था कि सीटों में बढ़ोतरी देखने को मिलती। उत्तर प्रदेश की जनता में मौजूदा सांसदों के खिलाफ रोष था, जिसको भाजपा ने नजरअंदाज कर दिया। जिसका परिणाम सबके सामने है।

इन नए चेहरों ने मारी बाजी
भाजपा के 15 में से 9 उम्मीदवारों ने चुनाव जीता है। जिसमें कैसरगंज सीट से सांसद बृजभूषण शरण सिंह का बेटा करण सिंह, गाजियाबाद से अतुल गर्ग, देवरिया से शशांक मणि त्रिपाठी, बहराइच से आनंद गोंड, फूलपुर से प्रवीण पटेल, कानपुर से रमेश अवस्थी, मेरठ से अरुण गोविल, हाथरस से अनूप वाल्मीकि और भदोही से डॉ. विनोद कुमार बिंद ने जीत हासिल की है।
 
 
सीट प्रत्याशी
कैसरगंज करण भूषण सिंह
गाजियाबाद अतुल गर्ग
देवरिया शशांक मणि त्रिपाठी
बहराइच आनंद गोंड
फूलपुर प्रवीण पटेल
कानपुर रमेश अवस्थी
मेरठ अरुण गोविल
हाथरस अनूप वाल्मीकि
भदोही विनोद कुमार बिंद
सपा का रहा शानदार प्रदर्शन
सपा ने 2024 के चुनाव में जबरदस्त वापसी की है। यूपी में समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों से 37 सीटों पर आकर भाजपा को कड़ी चुनौती दी। इससे कह सकते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह आसान नहीं होने वाली है। सपा ने इस चुनाव में 21 नए उम्मीदवारों पर गेम खेला और फैसला सही साबित हुआ। अबकी बार सपा ने फूंक-फूंक कर कदम रखा और हर सीट पर सोच-समझकर प्रत्याशी को टिकट दिया। सपा के 21 नए चेहरों में से 12 को जीत मिली। लेकिन इसके साथ सपा ने जहां से पुराने चेहरों पर दांव खेला, वहां पर भी शानदार प्रदर्शन रहा।

12 नए चेहरे पहुंचे संसद
सपा ने 21 उम्मीदवारों के पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया जिसमें से 12 ने जीत दर्ज की। जिसमें संभल से जिया उर रहमान बर्क, कैराना से इकरा चौधरी, बदायूं से आदित्य यादव, कौशांबी से पुष्पेंद्र सरोज, जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा, मछलीशहर से प्रिया सरोज, आंवला से नीरज मौर्य, एटा से देवेश शाक्य, इटावा से जितेंद्र दोहरे, रामपुर से मोहिबुल्लाह नदवी, हमीरपुर से अजेंद्र सिंह लोधी और बांदा से कृष्णा देवी पटेल ने जीत का परचम लहराया।

 
सीट प्रत्याशी
संभल जिया उर रहमान बर्क
कैराना इकरा चौधरी
बदायूं आदित्य यादव
कौशांबी पुष्पेंद्र सरोज
जौनपुर बाबू सिंह कुशवाहा
मछलीशहर प्रिया सरोज
आंवला नीरज मौर्य
एटा देवेश शाक्य
इटावा जितेंद्र दोहरे
रामपुर मोहिबुल्लाह नदवी
हमीरपुर अजेंद्र सिंह लोधी
बांदा कृष्णा देवी पटेल


क्या है एंटी इनकंबेंसी
एंटी इनकंबेंसी का मतलब होता है कि जनता मौजूदा सांसद या नेता के परेशान होती है और इसके खिलाफ मतदान करती है। मतदाताओं में सत्ता विरोधी भावना पैदा हो जाती है। माना जा रहा है कि यूपी में भाजपा को कम वोट मिलने के पीछे एंटी इनकंबेंसी भी है।

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