Lok Sabha Elections 2024 : भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा पश्चिमी यूपी, जाट बहुल सीटें हाथ से निकलीं

भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा पश्चिमी यूपी, जाट बहुल सीटें हाथ से निकलीं
UPT | जाट बहुल सीटें भी हाथ से निकलीं

Jun 05, 2024 17:45

देश में किसी भी पार्टी के राजनीतिक भाग्य को आकार देने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है। कहा जाता है कि पश्चिम तय करता है कि पूरब क्या करेगा। वर्तमान में यह टिप्पणी देश के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण स्थिति को रेखांकित करती है। राज्य का यह क्षेत्र, जिसमें मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है, एतिहासिक रूप से भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। 

Jun 05, 2024 17:45

Lok Sabha Elections 2024 : पश्चिमी यूपी के महत्वपूर्ण चुनावी मैदान में विवादास्पद और ध्रुवीकरण करने वाले मुद्दों की कोई कमी नहीं रही है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है और यहां राजनीतिक विमर्श की बढ़ती उग्र प्रकृति इस क्षेत्र में गहरी जड़ें जमाए बैठी सांप्रदायिक दरारों को दर्शाती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट प्रभुत्व वाली कई सीटें भारतीय जनता पार्टी ने गंवाई हैं। 

भाजपा के हाथ से निकली तीन जाट बहुल सीटें
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ, सहारनपुर मंडल, बिजनौर और नगीना लोकसभा क्षेत्रों में मिले-जुले नतीजे आए। तीन जाट बहुल सीटें कैराना, मुजफ्फरनगर और रामपुर भाजपा के हाथ से निकल गई हैं। कैराना से सपा की इकरा हसन चौधरी ने भाजपा के प्रदीप कुमार को हराया। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान मुजफ्फरनगर से समाजवादी पार्टी के हरेंद्र सिंह मलिक से चुनाव हार गए। रामपुर से समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह ने जीत हासिल की है। उन्होंने मौजूदा सांसद घनश्याम सिंह लोधी को हराया है। बिजनौर में रालोद के चंदन सिंह चौहान जीते हैं। नगीना सीट पर आसपा के चंद्रशेखर ने धमाकेदार विजय प्राप्त की। सहारनपुर से कांग्रेस के इमरान मसूद, बुलंदशहर से भाजपा के डॉ.भोला सिंह, बागपत से रालोद के डॉ. राजकुमार सांगवान और मेरठ से भाजपा के अरुण गोविल ने जीत दर्ज की। गाजियाबाद से भाजपा के अतुल गर्ग और गौतमबुद्धनगर से भाजपा के डॉ. महेश शर्मा ने जीत हासिल की।

इसलिए बैकफुट पर आ गई भाजपा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों और युवाओं के मुद्दे, बेरोजगारी और जातिगत लामबंदी ने हमेशा से चिंगारी का काम किया है। इन मुद्दों ने भाजपा प्रत्याशियों के विरोध ने ऐसा गणित बिठाया कि भाजपा पूरे राज्य में बैकफुट पर आ गई। 

2014 की मोदी लहर में मिला था लाभ
वर्ष 2014 की मोदी लहर में भाजपा ने पश्चिम क्षेत्र की सभी 14 सीटों को जीता था। लोकसभा चुनाव  2019 में भाजपा को सपा-रालोद और बसपा के महागठबंधन के खिलाफ़ झटके का सामना करना पड़ा था। पिछले चुनाव में पश्चिमी उप्र की 27 सीटों में से भाजपा ने जहां 19 सीटें जीत ली थीं। इस बार भाजपा के खाते में मात्र 12 सीटें ही आई हैं। दो सीटें उसके सहयोगी रालोद को मिली हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में पश्चिमी उप्र में सपा-कांग्रेस ने मिलकर 12 सीटों पर जीत अपनी जीत का परचम फहरा दिया। नगीना से आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने भी चुनाव जीता है। 

भारत रत्न देना रणनीतिक फैसला साबित हुआ 
यहां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का भाजपा का फैसला रणनीतिक साबित हुआ, जिससे जयंत भगवा पार्टी के साथ फिर से जुड़ गए। 2024 में भाजपा-रालोद गठबंधन ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें केवल बिजनौर रालोद के लिए छोड़ी गई थी। इसी तरह,सपा-कांग्रेस गठबंधन में सहारनपुर सीट कांग्रेस को आवंटित की गई है, जबकि शेष सात सीटें सपा के पास रहीं।

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