2014 और 2019 में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने पूर्वांचल क्षेत्र की 27 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार बाजी इंडिया गठबंधन के हाथ लगी। इंडिया गठबंधन ने एनडीए से 4 सीटें अधिक जीतीं। इस बार एनडीए को पूर्वांचल में कुल 9 सीटों का नुकसान हुआ है।
Lok Sabha Election 2024 : पूर्वांचल में नहीं चला मोदी और योगी फैक्टर, इंडिया गठबंधन ने 10 सीटों पर मारी बाजी
Jun 05, 2024 17:37
Jun 05, 2024 17:37
मोदी ने बनाई हैट्रिक लेकिन कम रहा जीत का अंतर
पीएम मोदी ने वाराणसी से जीत की हैट्रिक तो बना ली है, लेकिन जीत का अंतर कम रहा। उन्होंने कांग्रेस के अजय राय को हराया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर सीट से भाजपा के रविकिशन ने सपा प्रत्याशी काजल निषाद को हराया है। महाराजगंज में पंकज चौधरी ने अपनी बादशाहत कायम की। 2009 को छोड़कर उन्होंने लगातार सातवीं जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी को हराया है। कुशीनगर में भाजपा सांसद विजय दूबे ने दोबारा बाजी मारी है, उन्होंने सपा के अजय प्रताप उर्फ पिंटू सैंथवार को हराया है। देवरिया से भाजपा शशांक मणि जीते हैं और कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। भदोही से भाजपा विनोद बिंद ने जीत दर्ज की है उन्होंने टीएमसी ललितेश को हराया है। मिर्जापुर से अपना दल की अनुप्रिया पटेल जीत गई हैं, इन्होंने सपा के रमेश चंद बिंद को पराजित किया है।
पिछड़े वोटों का बंटवारा रोकने में विफल रही भाजपा
पूर्वांचल या पूर्वी उत्तर प्रदेश लंबे समय से राजनीतिक विचारों का केंद्र रहा है। चुनावों में यहां जातीय समीकरण हमेशा काम करता रहा है। जातिगत समीकरणों के कारण इस क्षेत्र में विकास एवं कल्याणकारी योजनाएं अप्रभावी रहीं हैं। चुनाव में उछले संविधान-आरक्षण के मुद्दे पर दलित और पिछड़े वोटों का बंटवारा रोकने में भाजपा विफल हो गई।
कम हुई भगवा रथ की रफ्तार
भाजपा को पूर्वांचल से काफी उम्मीदें थीं। 2014 के चुनाव में जो भगवा रथ चला उसकी रफ्तार 2019 में भी नहीं थमी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र की 27 सीटों में से बीजेपी ने 18 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने दो सीटें जीती थीं। 2019 में सपा को पूर्वांचल में सिर्फ एक सीट आजमगढ़ मिली थी, यहां से अखिलेश यादव चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। अपना दल (एस) को भी एक ही सीट मिली।
दिग्गज भी रहे नाकामयाब
पूर्वी यूपी की सबसे हॉट सीट रही वाराणसी में भाजपा झटका लगते-लगते बची है। वाराणसी से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर पिछले चुनाव के मुकाबले आधे से भी कम हुआ। वहीं चंदौली में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ। यहां सपा के वीरेंद्र की जीत हुई और कैबिनेट मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय हैट्रिक नहीं लगा पाए, उन्हें सपा के बिरेंद्र सिंह ने मात दी। नौंवी बार सांसद बनने से रह गई मेनका गांधी, उन्हें सुल्तानपुर सीट से सपा के रामभुआल निषाद ने शिकस्त दी। पूर्व मंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को भाजपा ने बलिया से टिकट दिया था, लेकिन वो सपा के सनातन पांडेय से चुनाव हार गए। आजमगढ़ से भी भाजपा को हार मिली है, यहां दिनेश लाल यादव निरहुआ को सपा के धर्मेंद्र यादव ने पछाड़ा है। उधर, गाजीपुर सीट सपा के खाते में आई है, यहां अफजाल अंसारी ने भाजपा के पारसनाथ राय को हराया है।
कांग्रेस ने खेला ओबीसी-उच्च जाति कार्ड
2024 के चुनाव में भाजपा का जनाधार खिसक गया, जिसकी उम्मीद खुद पार्टी को नहीं थी। सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर इन 13 सीटों में से 9 पर अपने उम्मीदवार उतारे, जबकि बाकी 4 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में रहे। पूर्वांचल में कांग्रेस ने ओबीसी-उच्च जाति कार्ड खेला। यहां भाजपा के गैर-यादव ओबीसी समर्थन आधार में सेंध लगाने के लिए सपा ने निषाद,राजभर, सैंथवार और बिंद उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। वहीं अकेले चुनाव लड़ते हुए बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लिया है और ओबीसी, उच्च जाति, दलित और मुस्लिम उम्मीदवार उतारा। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया, जबकि बीएसपी ने तीन मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, जो सभी पिछड़े पसमांदा समुदाय से रहे।
किसने कहां से लड़ा चुनाव
इन सहयोगियों में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (एस), संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी और ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) शामिल हैं। एनडीए के प्रमुख उम्मीदवारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से, केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे चंदौली से, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी महाराजगंज से और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री तथा अपना दल (एस) प्रमुख अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से चुनाव लड़ा। अभिनेता से नेता बने रवि किशन (भाजपा) गोरखपुर से, भोजपुरी अभिनेत्री काजल निषाद (सपा) के खिलाफ चुनाव लड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने देवरिया से और मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी (सपा) गाजीपुर से चुनाव लड़ा। राजनीतिक उत्तराधिकारियों में पूर्व मंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर बलिया से भाजपा के टिकट पर, एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी से, पूर्व विधायक जन्मेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार (सपा) कुशीनगर से और पार्टी नेता प्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा) ने देवरिया से चुनाव लड़ा।
इन 10 सीटों पर सपा प्रत्याशी जीते
जिन 10 सीटों पर सपा की जीत हुई है उनमें चंदौली से वीरेंद्र सिंह, बलिया से सनातन पांडेय, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, लालगंज (सु.) से दरोगा सरोज , गाजीपुर से अफजाल अंसारी, घोसी से राजीव राय, राबर्ट्सगंज (सु.) से छोटेलाल, जौनपुर से बाबू सिंह, मछली शहर से प्रिया सरोज और सलेमपुर से रमाशंकर राजभर जीते हैं।
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