15 मार्च, 2019 को निर्वाचन आयोग ने रिपोर्ट के आधार पर कुछ दिशा निर्देश जारी किए। जिनमें कहा गया कि सभी राजनीतिक पार्टियां, नेता और उम्मीदवार साइलेंस पीरियड का पूरा ध्यान रेखेंगे।
Model code of conduct : पीएम मोदी की ध्यान-साधना से विपक्ष को क्यों है आपत्ति ? समझिए पूरा मामला
May 31, 2024 17:36
May 31, 2024 17:36
विपक्ष ने बताया आचार संहिता का उल्लंघन
पीएम मोदी के इस ध्यान साधना /मौन व्रत से विपक्ष तिलमिला गया है और इसे आचार संहिता का उल्लंघन बता रहा है। कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। उनका कहना है कि पीएम मोदी का मौन व्रत रखने का ऐलान प्रचार या आत्मप्रचार का एक तरीका है और यह आदर्श आचार संहिता का 'उल्लंघन' है। विपक्ष ने पीएम के ‘रॉक मेमोरियल’ कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि यदि इसका प्रसारण किया गया तो आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर इसकी शिकायत की जाएगी। अखिलेश यादव ने भी पीएम मोदी के मौन व्रत की आलोचना की है। इसे पहले राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी कहा था कि पीएम को ध्यान करना है तो करें मगर कैमरे साथ लेकर न जाएं।
कानून क्या कहता है?
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आदर्श आचार संहिता के नियम जारी किए जाते हैं। जिनका पालन राजनीतिक पार्टियों, नेताओं और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के दौरान करना होता है। इसका एक नियम कहता है कि 'सभी दलों और उम्मीदवारों को पूरी इमानदारी से उन सभी कृत्यों को नहीं करना चाहिए जो कानून के मुताबिक भ्रष्ट आचरण या अपराध माने जाते हैं। जैसे मतदाताओं को रिश्वत देना, डराना-धमकाना, किसी और के बदले मतदान करवाना, मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर प्रचार करना, मतदान खत्म होने से 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना और मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाना-ले जाना।'
चुनाव पर पड़ सकता है असर?
नियम के अनुसार ध्यान लगा कर प्रधानमंत्री किसी तरह के चुनाव प्रचार में तो भाग नहीं ले रहे। न ही आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। लेकिन, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उनकी हर गतिविधि टेलीविज़न चैनलों पर दिखाई जाएगी। अगले 48 घंटे पीएम सारे न्यूज चैनलों की नजर रहेगी। जिसके चलते कहीं न कहीं विपक्ष की बात जायज भी है और उनका आरोप भी सही है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी टीवी पर दिखेंगे तो चुनाव पर इसका असर पड़ेगा।
आदर्श आचार संहिता क्या कहती है?
आदर्श आचार संहिता में मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद करने की बात कही गई है। जिसमें रिप्रज़ेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट (RPA), 1951 के सेक्शन 126 में कहा गया है कि इस 48 घंटे के साइलेंस पीरियड में चुनाव के संबंध में कोई सार्वजनिक बैठक, जुलूस निकालना, उसमें भाग लेना, उसे संबोधित नहीं कर सकते। न ही सिनेमा, टेलीविजन या अन्य उपकरणों के माध्यम से जनता के समक्ष कोई चुनाव संबंधी प्रदर्शित कर सकते हैं। लेकिन, ये नियम 1951 में बने थे जो अब सोशल मीडिया के जमाने में कामयाब नहीं हैं। इसके बाद 2018 में चुनाव आयोग ने उमेश सिन्हा कमेटी बनाई। कमेटी ने 10 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को सौंपीं। 15 मार्च, 2019 को निर्वाचन आयोग ने रिपोर्ट के आधार पर कुछ दिशा निर्देश जारी किए।
आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश
15 मार्च, 2019 को निर्वाचन आयोग ने रिपोर्ट के आधार पर कुछ दिशा निर्देश जारी किए। जिनमें कहा गया कि सभी राजनीतिक पार्टियां, नेता और उम्मीदवार साइलेंस पीरियड का पूरा ध्यान रेखेंगे। कई चरणों वाले मतदान में ऐसा होगा कि कुछ सीटों पर चुनाव प्रचार थम जाएगा जबकि कुछ पर चलता रहेगा। ऐसी स्थिति में इस अवधि के दौरान जहां चुनाव प्रचार रुक गया है वहां के उम्मीदवारों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष के तौर पर प्रचार नहीं किया जाएगा। चुनाव प्रचार थमने के बाद स्टार प्रचारक और नेता न तो रैली को संबोधित करेंगे न ही प्रेस कॉन्फ्रेंस और न ही चुनाव को लेकर इंटरव्यू देंगे।
प्रधानमंत्री आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं?
अब सवाल है कि प्रधानमंत्री आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं? इसका जवाब हर कोई अपने हिसाब से देगा और इसका फैसला तो चुनाव आयोग ही करेगा। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निर्वाचन आयोग ने 2022 में एक टिप्पणी की थी, जिसमें चुनाव आयोग ने 48 घंटे के साइलेंस पीरियड को याद दिलाते हुए कहा था कि 'टीवी/रेडियो चैनल और केबिल नेटवर्क/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 48 घंटे की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित सामग्री में किसी उम्मीदवार के विचार या अपील सहित कोई भी सामग्री शामिल न हो, जिससे किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवारओं की संभावना को बढ़ावा मिले/पूर्वाग्रहित करने या चुनाव के परिणाम प्रभावित हों।'
एक और सवाल...
चुनाव प्रचार बंद होने के बाद पीएम का ध्यान लगाना और खासकर कैमरामैनों को अपने साथ ले जाना आचार संहिता का उल्लंघन है या नहीं इसका जवान हो अभी तक मिला नहीं था। अब एक ओर सवाल पैदा हो गया कि चुनाव प्रचार बंद होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान प्रसारण करना आचार संहिता का उल्लंघन है या नहीं? इस बात का फैसला तो अब चुनाव आयोग पर छोड़ देते हैं। और हम देश के एक आदर्श नागरिक की तरह हमारी वोट का इस्तेमाल करते हैं।
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