हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के जय फिलिस्तीन वाले नारे पर विवाद गहराता जा रहा है। इस नारे को भले ही रिकॉर्ड से हटा दिया गया हो, लेकिन ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग जोर पकड़ रही है।
वकील हरिशंकर जैन ने लिखी राष्ट्रपति को चिट्ठी : 'जय फिलिस्तीन' बोलने पर ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग, जानिए क्या कहते हैं नियम
Jun 26, 2024 17:00
Jun 26, 2024 17:00
- वकील हरिशंकर जैन ने लिखी राष्ट्रपति को चिट्ठी
- ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग
- भाजपा कर रही माफी की मांग
पहले समझिए पूरा मामला
आर्टिकल 102 1(d) के बारे में बताने से पहले आपको पूरा मामला समझा देते हैं। दरअसल 18वीं लोकसभा के कार्यवाही के दौरान नए सांसदों के शपथ ग्रहण की प्रक्रिया चल रही थी। इसी क्रम में असदुद्दीन ओवैसी जब शपथ लेने आए, तो उन्होंने शपथ लेने के बाद कहा- 'जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन, तकबीर अल्लाहु-अकबर।' सारा विवाद ओवैसी के इसी जय फिलिस्तीन वाले नारे को लेकर है।
Barrister @asadowaisi takes oath as a member of the 18th Lok Sabha, pledging to serve the nation with dedication and integrity.
— AIMIM (@aimim_national) June 25, 2024
بیرسٹر اسدالدین اویسی نے 18ویں لوک سبھا کے رکن کی حیثیت سے حلف لیا۔
ایمانداری اور دیانتداری کے ساتھ ملک و ملّت کی خدمت کرنے کا عہد کیا۔
Barrister… pic.twitter.com/2rroMGsMj4
क्या है आर्टिकल 102 1(d)?
लोकसभा या राज्यसभा के किसी सदस्य की सदस्यता रद्द होने के कई नियम हैं। ऐसा ही एक नियम है आर्टिकल 102 1(d), जिसके तहत असदुद्दीन औवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग की जा रही है। ये निकय कहता है कि ऐसा शख्स, जो भारत का नागरिक न हो, या उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है, या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या आस्था की किसी स्वीकृति के अधीन है। बस यही वह आधार है, जिसके कारण ओवैसी की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है।
और किन कारणों से निरस्त होती है सदस्यता?
इसके अलावा और भी कई कारण हैं, जिनसे किसी संसद सदस्य की सदस्यता निरस्त होती है। जैसे, अगगर कोई सदस्य संसद के दोनों सदनों के लिए चुन लिया जाता है तो उसे एक निश्चित समय के अंदर किसी एक सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होता है. ऐसा न करने पर संसद सदस्यता छिन जाती है। वहीं अगर कोई सदस्य लगातार 60 दिनों तक बिना बताए अनुपस्थित रहे, तो भी उसकी सीट खाली मानी जाएगीष। वहीं लाभ के पद लेने, मानसिक स्थिति खराब हो जाने और कोर्ट द्वारा इसे मान लेने, भारी कर्ज होने पर उसे चुका पाने में सक्षम न होने, दलबदल करने, पार्टी की सदस्यता त्यागने, पार्टी का आदेश न मानने और खास वोटिंग क दौरान बिना बताए अनुपस्थित रहने पर भी सदस्यता छिन सकती है। इन सबके अलावा सदन की गरिमा तोड़ने, सार्वजनिक जीवन में मर्यादा भंग करने और दो साल या उससे ज्यादा की सजा पर भी संसद की सदस्यता निरस्त की जा सकती है।
क्या इतना आसान है ओवैसी की सदस्यता रद्द हो जाना?
असदुद्दीन ओवैसी की सदस्यता निरस्त किए जाने की मांग तो तेजी से उठ रही है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। ओवैसी खुद बैरिस्टर हैं और उन्हें कानून के सारे दांव-पेच पता है। इसलिए यह कतई संभव नहीं कि उन्होंने ये बाते बिना सोचे-समझे बोल दी होंगी। मीडिया की हेडलाइन में भले ही ओवैसी की सदस्यता रद्द होने की स्थिति को बड़ा मसाला बनाकर पेश किया जा रहा तो, लेकिन वकील विराग गुप्ता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। विराग गुप्ता कहते हैं कि 'ओवैसी ने जो बोला, वह गलत और अप्रासंगिक था। उससे एक गलत संदेश गया। लेकिन अगर इसे कानून पहलुओं से देखें, तो वास्तविकता को समझा जा सकता है। शपथ के जो नियम हैं, उसके तहत किसी भी तरह की नारेबाजी करना या पोस्टर लहराना गलत है। जिन भी सदस्यों ने नारेबाजी की या खास तरह की टी शर्ट पहनी, वह सभी संसद की मर्यादा के विरुद्ध हैं। यह गंभीर बात है और इसीलिए इसे रिकॉर्ड से हटाया गया। लेकिन अगर किसी ने ऐसा बोला है तो उसकी संसद सदस्यता निरस्त हो जाए, ऐसा दृष्टांत नहीं है। इसमें कई कानून झोल भी हैं। संसद सदस्य को एक विशेषाधिकार हासिल होता है। इसके तहत संसद के अंदर की गई नारेबाजी पर सिर्फ स्पीकर ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं, पुलिस एक्शन नहीं लिया जा सकता। संसद सदस्यता रद्द करने का प्रमुख आधार ये है कि कोई व्यक्ति संविधान को न माने या शत्रु देश के साथ अपना रिश्ता बनाए। जबकि यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। फिलिस्तीन को भारत ने मान्यता दे रखी है और वह हमारा शत्रु देश नहीं है। ऐसा करने के पीछे ओवैसी का मकसद सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना था, लेकिन किसी दूसरे देश का उल्लेख करने से ये बात साबित नहीं होती कि इससे दूसरे देश के प्रति निष्ठा जाहिर की जा रही है।'
भाजपा कर रही माफी की मांग
ओवैसी द्वारा फिलिस्तीन के संबंध में की गई नारेबाजी के खिलाफ भाजपा ने मोर्चा खोल रखा है। शपथ ग्रहण के समय किसी दूसरे देश का नाम लेने का यह अपने आप में पहला मामला है। अब तक तो सिर्फ संसद सदस्य अपने राज्य की ही बात करते थे। इस मामले पर एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 'हमारी फिलिस्तीन या किसी देश से कोई दुश्मनी नहीं. समस्या बस इतनी है कि शपथ के दौरान क्या किसी सदस्य को दूसरे देश की बात करनी चाहिए. इसपर हमें नियम चेक करने होंगे।' विवाद के बाद ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि 'अन्य सदस्य भी अपनी-अपनी बातें कर रहे हैं। मैंने कहा तो यह कैसे गलत है। मुझे संविधान के प्रावधान बताइए। आपको दूसरों की बात भी सुननी चाहिए। पढ़िए कि महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था।' वहीं औवैसी पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि वह भारत में रहत हुए भारत माता की जय नहीं कहते हैं। जय फिलिस्तीन का नारा गलत है और यह संसद के नियमों के खिलाफ है।
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