क्रेडिट कार्ड यूजर्स को झटका : अब बैंक वसूल सकेंगे 30% से ज्यादा लेट फीस, सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के आदेश पर लगाई रोक

अब बैंक वसूल सकेंगे 30% से ज्यादा लेट फीस, सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के आदेश पर लगाई रोक
UPT | सुप्रीम कोर्ट

Dec 21, 2024 12:29

उन क्रेडिट कार्ड धारकों को अब ज्यादा शुल्क चुकाना होगा। जो समय पर पूरे बिल का भुगतान नहीं करते हैं। इस फैसले ने एक लंबे समय से चल रहे विवाद को समाप्त कर दिया है।

Dec 21, 2024 12:29

New Delhi News : क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों के लिए एक नई परेशानी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर को एक अहम फैसले में बैंकों को अपने ग्राहकों से अधिक लेट फीस वसूलने का अधिकार दे दिया है। इससे उन क्रेडिट कार्ड धारकों को अब ज्यादा शुल्क चुकाना होगा। जो समय पर पूरे बिल का भुगतान नहीं करते हैं। इस फैसले ने एक लंबे समय से चल रहे विवाद को समाप्त कर दिया है। जिससे बैंकों को लाभ मिलेगा और ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने 20 दिसंबर को नेशनल कंज्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) के 2008 के फैसले पर रोक लगा दी। इस फैसले के तहत एनसीडीआरसी ने क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों पर 30 प्रतिशत से अधिक ब्याज वसूलने पर प्रतिबंध लगाया था। जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में Standard Chartered Bank, Citibank, HSBC और अन्य बड़े बैंकों की याचिकाओं को मंजूरी दी और कहा कि इस मामले में एनसीडीआरसी के 2008 के फैसले पर रोक लगाई जाती है।

एनसीडीआरसी का 2008 का फैसला
2008 में एनसीडीआरसी ने आदेश दिया था कि क्रेडिट कार्ड के ग्राहक, जो अपनी भुगतान की तारीख तक पूरी राशि नहीं चुका पाते थे, उन पर 30 प्रतिशत से अधिक वार्षिक ब्याज वसूलने पर रोक लगाई जाए। एनसीडीआरसी ने तर्क दिया था कि भारत में डीरेगुलेशन के बावजूद अधिकांश बैंकों का बेंचमार्क लेंडिंग रेट 10 से 15.50 प्रतिशत के बीच है और इस आधार पर बैंकों द्वारा 36 से 49 प्रतिशत तक ब्याज दरें वसूलना उचित नहीं था।

एनसीडीआरसी के निर्णय के आधार
एनसीडीआरसी ने यह भी कहा था कि इतना अधिक ब्याज वसूलना ग्राहकों से एक अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है। इसमें बैंकों और क्रेडिट कार्ड धारकों की असमानी स्थिति को देखते हुए यह समझा गया कि ग्राहकों के पास क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करने का कोई विकल्प नहीं होता। एनसीडीआरसी ने यह भी कहा था कि बैंकों का मुख्य उद्देश्य अपने मार्केटिंग प्रयासों के तहत लोगों को क्रेडिट कार्ड ग्राहकों में बदलना है। जिनसे वे उच्च शुल्क वसूल सकें।

विदेशी देशों के मुकाबले भारत में ब्याज दरें
एनसीडीआरसी ने अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्रेडिट कार्ड पर लागू ब्याज दरों की तुलना भी की थी। इस तुलना में पाया गया था कि अमेरिका और यूके में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें 9.99 प्रतिशत से 17.99 प्रतिशत के बीच हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में यह दरें 18 प्रतिशत से 24 प्रतिशत के बीच होती हैं। इसके मुकाबले भारत में उच्च ब्याज दरें ग्राहकों के लिए असमान और अनुचित मानी गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एनसीडीआरसी के फैसले को असंवैधानिक मानते हुए रोक लगा दी है। जिससे बैंकों को अपनी नीतियों के अनुसार क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों से ज्यादा शुल्क वसूलने का अधिकार मिल गया है। यह आदेश क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए एक नई चुनौती लेकर आया है, क्योंकि उन्हें अब अधिक शुल्क का भुगतान करना होगा यदि वे निर्धारित तारीख तक पूरा बिल नहीं चुकाते हैं।

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