लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने समीक्षा शुरू कर दी है। हार के कारणों की जांच के लिए पार्टी ने एक विशेष टीम का गठन किया है। यह टीम प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की अगुवाई में काम करेगी।
भाजपा की स्पेशल टास्क फोर्स : यूपी में हार का जिम्मेदार कौन? 40 टीमें पूरे प्रदेश में पड़ताल करेंगी
Jun 15, 2024 14:49
Jun 15, 2024 14:49
ऐसे बनेगी रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा है। राज्य में बीजेपी और उसके सहयोगियों को 44 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा 29 सीटें हार गई, जिनमें 26 सिटिंग सांसद भी शामिल हैं। अब विशेष टीम ब्लॉक स्तर से लेकर जिला संगठन और विधायकों से बात करके हार के कारणों का पता लगाएगी। इस प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लगेगा और तब टीम अपनी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को सौंपेगी। टीम के सदस्यों को ब्लॉक स्तर से लेकर जिला संगठन के पदाधिकारियों से बातचीत करनी होगी। उन्हें कम से कम दो दिन एक लोकसभा क्षेत्र में गुजारने होंगे और फिर हार के कारणों की रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी कुछ पदाधिकारियों को नकारात्मक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराकर उन पर कार्रवाई भी कर सकती है। बीजेपी का वोट शेयर इस बार 8.50% तक गिर गया है, जबकि 2019 में गठबंधन को मिलाकर उसकी 64 सीटें थीं।
कौन-कौन शामिल
भाजपा ने 80 पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ नेताओं को प्रेक्षक बनाकर हर लोकसभा सीट पर भेजा है। कुल 40 टीम गठित की गई हैं, जो दो-दो सीटों की जमीनी हकीकत का पता लगाकर 20 जून तक रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगीं। पार्टी ने जो टीम बनाई है, उसमें कांग्रेस से गढ़ में पड़ताल करने के लिए खुद भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल जाएंगे। भूपेंद्र बरेली के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सीट अमेठी में भी जाएंगे। धर्मपाल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सीट रायबरेली के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सीट लखनऊ में वोट कम होने की वजह तलाशेंगे। प्रदेश महामंत्री सुभाष यदुवंश और गोपाल अंजान भुर्जी को सुलतानपुर और प्रतापगढ़, अमरपाल मौर्य और हर्षवर्धन आर्य को कानपुर और अखिलेश यादव की सीट कन्नौज, प्रदेश महामंत्री संजय राय और संत विलास शिवहरे को फूलपुर, कौशांबी और सलेमपुर, गोविंद नारायण शुक्ला और विधायक आशीष सिंह आशू को सहारनपुर और कैराना भेजा गया है। मानवेंद्र सिंह और एमएलसी रामचंद्र प्रधान को रामपुर और संभल, दिनेश शर्मा और शंकर लोधी को नोएडा और बुलंदशहर, नवीन जैन और रणजीत सिंह कुशवाहा को भदोही और मीरजापुर, प्रदेश उपाध्यक्ष बृज बहादुर को मुरादाबाद और नगीना, अनिल यादव को खलीलाबाद और बस्ती, शिवभूषण सिंह को गाजीपुर और चंदौली, पूर्व मंत्री सुरेश राणा को जालौन और अकबरपुर का जिम्मा मिला है। विधायक राजेश चौधरी को डुमरियागंज और गोंडा, समीर सिंह को आगरा और फतेहपुर सीकरी, एमएलसी विजय बहादुर पाठक को इलाहाबाद और रॉबर्ट्सगंज, अर्चना मिश्रा को जौनपुर और मछलीशहर में हार और वोट कम होने के कारणों की तलाश करने को भेजा गया है।
टीम इन बिंदुओं पर पड़ताल करेगी
• कितने बूथों पर वोट प्रतिशत कम हुआ?
• 2019 में कितना मतदान प्रतिशत था?
• किस जाति, समुदाय और वर्ग का वोट भाजपा को नहीं मिला?
• भाजपा प्रत्याशी की लोकप्रियता कितनी रही?
• क्या उसका जनसंपर्क कार्यालय ऐक्टिव रहता है?
शिकायतों के बाद उठाया कदम
चुनाव परिणामों के बाद हारे हुए उम्मीदवारों ने प्रदेश भाजपा नेतृत्व से अपने ही लोगों द्वारा भीतरघात किए जाने की शिकायत की। इस पर उनसे लिखित शिकायतें मांगी गईं। सूत्रों के मुताबिक, कुछ उम्मीदवारों ने प्रदेश मुख्यालय में बंद लिफाफों में सबूत सहित हार के कारणों को बताया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट भूपेंद्र चौधरी को सौंपी है। कई उम्मीदवारों ने बताया कि विपक्ष द्वारा आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने के मुद्दों को उठाए जाने से नाराज दलित समुदाय और भाजपा के परंपरागत गैर-यादव पिछड़ी जाति समर्थकों ने पार्टी को वोट नहीं दिया। खासतौर पर कुर्मी, राजभर, शाक्य, पासी और मौर्या जैसी भाजपा समर्थक जातियों ने इस चुनाव में पार्टी से दूरी बना ली थी। हारे हुए उम्मीदवारों की शिकायतों और कारणों की जांच के बाद ही भाजपा आगे की रणनीति तय करेगी।
Also Read
22 Nov 2024 06:00 AM
Lucknow (UPT Desk) : बदलाव की यात्रा में तेजी से आगे बढ़ते उत्तर प्रदेश में हमारे आसपास क्या बदल रहा है, आपको इस बुलेटिन में बताएंगे। पिछले 24 घंटों में राज्य में कुछ ऐसे फैसले और आदेश हुए हैं जो हम पर असर डालेंगे तो कुछ ऐसी जानकारियां भी हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। और पढ़ें