बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की आज जयंती है। इस मौके पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सहित वरिष्ठ राजनेताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
Birth Anniversary of Kanshi Ram : सीएम योगी, मायावती और अखिलेश यादव ने कांशीराम को दी श्रद्धांजलि, बसपा सुप्रीमो ने बताया युग परिवर्तक
Mar 15, 2024 13:41
Mar 15, 2024 13:41
- बसपा के माध्यम से कांशीराम का मुख्य उद्देश्य दलित सशक्तीकरण के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाना था
- कांशीराम ने बहुजनों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया
कुशल राजनीतिज्ञ, दलितों, वंचितों एवं शोषितों के ओजस्वी स्वर कांशीराम जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) March 15, 2021
बसपा सुप्रीमो ने अपने गुरु को इस तरह याद किया
अपने गुरु को श्रद्धांजलि देते हुए, बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा, "बीआर अंबेडकर के निधन के बाद बिखरे हुए स्वाभिमान के कारवां को ताकत देने वाले मान्यवर कांशीराम के प्रति अपार श्रद्धा और सम्मान।" 90वां जन्मदिन। उन्होंने अपने सतत संघर्ष से उत्तर प्रदेश में सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके और 'बहुजन समाज पार्टी' की स्थापना कर 'बहुजन समाज' के लिए सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक प्रगति का जो मिशनरी लक्ष्य हासिल किया, वह ऐतिहासिक और अतुलनीय है।'
1. परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण के बाद लम्बे समय तक तिरस्कृत व बिखरे पड़े उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान कारवाँ को देश की राजनीति में नई मजबूती व बुलन्दी देने का युगपरिवर्तनीय कार्य करने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी को 90वें जन्मदिन पर अपार श्रद्धा-सुमन।
— Mayawati (@Mayawati) March 15, 2024
अखिलेश यादव ने किया शत-शत नमन
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘दलितों, वंचितों एवं शोषितों को अधिकार दिलाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि।”
दलितों, वंचितों एवं शोषितों को अधिकार दिलाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी की जयंती पर शत शत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/Oofvx4Zo1p
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 15, 2024
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे कांशीराम
आज यानी 15 मार्च को बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले कांशीराम की जयंती है। 15 मार्च 1934 को पंजाब के रूपनगर में जन्मे कांशीराम ने पिछड़े वर्गों के उत्थान और राजनीतिक एकजुटता के लिए काम किया। उन्होंने 1971 में दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस-4), अखिल भारतीय पिछड़ा (एससी/एसटी/ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (बीएएमसीईएफ) और 1984 में बीएसपी की स्थापना की। कांशीराम का निधन 9 अक्टूबर 2006 को दिल्ली में हुआ था। कांशीराम 1996 से 1998 तक पंजाब के होशियारपुर से और 1991 से 1996 तक उत्तर प्रदेश के इटावा से लोकसभा सांसद रहे। वह 1998 से 2004 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे।
अपने समय के अद्वितीय नेता थे कांशीराम
उन्होंने बहुजनों (केवल एससी ही नहीं बल्कि एससी/एसटी, अल्पसंख्यक और ओबीसी) को एक सामूहिक सामाजिक और राजनीतिक ताकत बनाया, जिसे पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है। 'वोट हमारा, राज तुम्हारा: नहीं चलेगा' उनका केंद्रीय नारा था। इसने वस्तुनिष्ठ दलित मतदाताओं को अपनी वस्तुनिष्ठ राजनीतिक स्थिति को व्यक्तिपरक नागरिकता दावे में बदलने के लिए मजबूर कर दिया। वह भारत के सामाजिक-राजनीतिक सुधारकों में सबसे बड़े व्यक्तित्वों में से एक हैं। दलित नेताओं को मान्यवर, साहेब और बहुजन नायक जैसे सम्मान दिए जाना दुर्लभ है, लेकिन कांशीराम अपने समय के अद्वितीय नेता थे, जिनकी दूरदर्शिता के तहत दलित समुदाय राष्ट्रीय राजनीतिक क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना सका।
बसपा के माध्यम से दलित सशक्तीकरण किया
आज भारत में समकालीन राजनीतिक मंच पर, कई लोग उन बारीकियों को भूल जाते हैं जो कांशीराम ने अपने समय में, विशेष रूप से, उपाश्रित समुदायों को एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में एक साथ लाने में सामने लायी थीं। वह एक दुर्लभ राजनीतिक उद्यमी थे, जो अपने समय से बहुत आगे थे। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य अल्पसंख्यकों सहित सभी पिछड़े समुदायों को मिलाकर एक वोट बैंक की कल्पना करके बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की स्थापना की, जिसे सामूहिक रूप से कहा जाता है 'बहुजन समाज'। बसपा के माध्यम से कांशीराम का मुख्य उद्देश्य दलित सशक्तीकरण के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाना था।
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