लोकसभा के लिए सपा ने प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट मंगलवार को जारी की है। अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को बदायूं से मैदान में उतारा है। भारतीय राजनीति में चाचा-भतीजा की यह जोड़ी...
Budaun Lok Sabha seat 2024 : सीएम योगी के तंज ने खोल दी किस्मत, चाचा शिवपाल को मिल गया टिकट, अखिलेश ने भाई धर्मेंद्र का टिकट काटा
Feb 21, 2024 12:34
Feb 21, 2024 12:34
- सीएम योगी ने पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर चाचा शिवपाल को लेकर तंज कसा था
- अब संभावना जताई जा रही है कि उस तंज का जवाब देने के लिए ही सपा ने शिवपाल को मैदान में उतारा है
कैसे राजनीति में आए शिवपाल यादव
शिवपाल सपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं, जिसकी स्थापना 1992 में उनके भाई और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने की थी। जब 1996 में मुलायम केंद्र में रक्षा मंत्री के तौर पर चले गये थे तब उन्होंने शिवपाल को अपनी मैनपुरी की जसवन्तनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने को कहा था। संगठन में शिवपाल अपने भाई के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति थे। 2009 में उन्हें पहली बार सपा का यूपी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन,कुछ महीनों के बाद, उनके भतीजे और वर्तमान सपा प्रमुख अखिलेश यादव, जिनसे अंततः उनका मतभेद हो गया ने उनकी जगह ले ली थी।
तो इस तरह बनती गई थीं दूरियां
भारतीय राजनीति में चाचा-भतीजा की कड़ुवाहट को हमेशा याद रखा जाएगा। अखिलेश को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही दोनों में तल्खी नजर आने लगी थी। जब 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने बहुमत हासिल किया, तो पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता चाहते थे कि मुलायम फिर से सीएम बनें। लेकिन सपा संस्थापक ने अपने बेटे अखिलेश को सीएम पद के लिए चुनने का फैसला किया था। उस वक्त चाचा शिवपाल सीएम के रूप में अखिलेश को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक थे जबकि रामगोपाल और परिवार के अन्य सदस्य मुलायम के फैसले के साथ खड़े थे। इसके बाद भी बाहर से सब कुछ ठीक नजर आता था लेकिन 2014 में मुलायम द्वारा फिरोजाबाद लोकसभा सीट से अपने छोटे भाई के बेटे आदित्य की जगह रामगोपाल के बेटे अक्षय को मैदान में उतारने के बाद से ही शिवपाल और रामगोपाल के बीच मतभेद बढ़ने की अटकलें लगने लगी थीं। तब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी थी कि उस समय शिवपाल का मानना था कि मुलायम के फैसले में अखिलेश का हाथ था। हालांकि शिवपाल अपने भतीजे के बाद अखिलेश के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली मंत्री और अपने बड़े भाई के बाद पार्टी के सबसे महत्वपूर्ण नेता रहे। उनके पास लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, सहकारिता और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे।
पांच साल की कड़ुवाहट के बाद की थी घर वापसी
आखिरकार पांच साल की कड़ुवाहट के बाद शिवपाल सिंह यादव ने दिसंबर 2022 में "घर वापसी" की थी । अनुभवी नेता ने विपक्षी पार्टी को 2.88 लाख वोटों के भारी अंतर से मैनपुरी लोकसभा सीट बरकरार रखने में मदद करने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) में वापसी की थी।
प्रमुख घटनाक्रम
- शिवपाल ने ही 2016 में मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल का सपा में विलय कराने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अखिलेश के विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया गया। उस समय, उन्होंने पश्चिमी यूपी में सपा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ एक समझौते की भी मध्यस्थता की, जहां भाजपा ने मुजफ्फरनगर दंगों के बाद लाभ कमाया था। तब रालोद प्रमुख अजित सिंह ने मुलायम से बातचीत से पहले शिवपाल के साथ कई दौर की बैठकें की थीं।
- 2016-17 में शिवपाल और अखिलेश के बीच संबंधों में और कड़ुवाहट आती गई। लेकिन मतभेदों के बावजूद, शिवपाल ने 2017 का विधानसभा चुनाव सपा उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जसवन्तनगर से जीत हासिल की। जिस पार्टी की उन्होंने स्थापना की थी, उससे उनका नाता 2018 में टूट गया जब उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया।
- आखिर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजा फिर एक-दूसरे के संपर्क में आने लगे। भाजपा से मुकाबले के लिए दोनों के बीच सुलह की प्रक्रिया शुरू हुई और साथ आने का व्यावहारिक निर्णय लिया।
शिक्षाविद् रह चुके राजनीतिज्ञ शिवपाल सिंह यादव का जन्म 16 फरवरी 1955 में इटावा जिले के सैफई गांव में सुघर सिंह यादव और मूर्ति देवी के घर हुआ था। पांच भाइयों में शिवपाल सबसे छोटे हैं। रतन सिंह यादव, मुलायम सिंह यादव, अभय राम यादव और राजपाल सिंह यादव उनके बड़े भाई हैं। उनकी 1 बहन कमला देवी यादव हैं। राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव और उनकी बहन गीता यादव उनके चचेरे भाई हैं। वह समाजवादी पार्टी के नेता दिवंगत मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा हैं। शिवपाल सिंह यादव की शादी 1981 में सरला यादव से हुई और उनका एक बेटा आदित्य यादव और बेटी डॉ. अनुभा यादव हैं। अनुभा यादव का विवाह अजय यादव से हुआ है जो 2010 बैच और तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
शिक्षा
उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी के केके.पीजी.कॉलेज से पढ़ाई की उसके बाद इटावा और फिर लखनऊ के क्रिश्चियन कॉलेज से क्रमशः बीए (1976) और बीपीएड (1977) की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक करियर
- वह 1996 से अब तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य हैं और इटावा जिले की जसवन्तनगर सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं और उन्हें 29 जनवरी 2023 को नियुक्त किया गया था।
- यादव 2007 में मायावती शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता थे।
- 2018 में उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की, जिसका 2022 में समाजवादी पार्टी में विलय हो गया।
1. | 1996 2002 | विधायक (पहला कार्यकाल) | जसवन्तनगर सपा से |
2. | 2002 2007 | में जसवन्तनगर सपा से विधायक | (दूसरा कार्यकाल) |
3. | 2007 2012 | जसवन्तनगर सपा से विधायक | (तीसरा कार्यकाल) |
4 | 2012 2017 | जसवन्तनगर सपा से विधायक | (चौथा कार्यकाल) |
5. | 2017 2022 | जसवन्तनगर सपा से विधायक | (पांचवीं बार) |
6. | 2022 वर्तमान | विधायक (छठी बार) | जसवन्तनगर सपा से |
शैक्षिक संगठनों की स्थापना
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने कई शैक्षिक संगठनों की स्थापना भी की है। उन्होंने अपने पिता की याद में 1990 के दशक में एसएस मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, सैफई और सुघर सिंह मेमोरियल शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज, सैफई नामक स्कूलों की स्थापना की। वह चौधरी चरण सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज और चौधरी चरण सिंह कॉलेज ऑफ लॉ नामक कॉलेजों के प्रबंधक हैं। दोनों कॉलेज उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव द्वारा स्थापित किए गए थे। उन्होंने 2012 में एसएस मेमोरियल एजुकेशनल एकेडमी, सैफई नामक एक शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज, 2013 में एसएस मेमोरियल महाविद्यालय, ताखा नामक एक डिग्री कॉलेज और 2023 में एसएस मेमोरियल कॉलेज ऑफ फार्मेसी, सैफई नामक एक फार्मेसी डिप्लोमा कॉलेज की स्थापना की। सितंबर 2023 तक, वह 6 स्कूलों और 5 कॉलेजों के प्रबंधक हैं, जिनमें एक सीबीएसई बोर्ड स्कूल, 5 राज्य बोर्ड स्कूल, 2 बहु-विषयक (डिग्री/पोस्ट ग्रेजुएट) कॉलेज, एक लॉ कॉलेज, एक शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज और एक फार्मेसी डिप्लोमा कॉलेज शामिल हैं।
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