लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के हालिया निर्णय पर तीखी आलोचना की है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर 'लेटरल एंट्री' के तहत 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना है।
UPSC में लेटरल एंट्री पर भड़के राहुल गांधी : बताया आरक्षण खत्म करने की साजिश, कहा- 'यही मोदी की गारंटी'
Aug 18, 2024 15:59
Aug 18, 2024 15:59
- UPSC में लेटरल एंट्री पर भड़के राहुल
- बताया आरक्षण खत्म करने की साजिश
- मोदी की गारंटी नारे पर कसा तंज
देश विरोधी कदम बताया
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में इसे 'देश विरोधी' कदम करार देते हुए कहा कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन इस फैसले का विरोध करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस तरह की नियुक्तियों के माध्यम से आरक्षण के प्रावधानों को दरकिनार करने की कोशिश की है, जो कि समाज के वंचित वर्गों के लिए एक बड़ा धक्का है।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने लिखा- 'नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है। यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है।'
मोदी की गारंटी नारे पर तंज
राहुल गांधी ने आगे लिखा- 'चंद कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया। प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। IAS का निजीकरण आरक्षण खत्म करने की मोदी की गारंटी है।'
अखिलेश यादव ने भी किया विरोध
लेटरल एंट्री से भर्ती का सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी विरोध किया है। उन्होंने लिखा- 'भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा। देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी समाजवादी सोच ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करने वाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है। '
मायावती ने संविधान का बताया उल्लंघन
मायावती ने इस पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने लिखा- केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। इसके साथ ही, इन सरकारी नियुक्तियों में SC, ST व OBC वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा और इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाये हुये भरना यह बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा।
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