राहुल गांधी की जाति पर मचा घमासान : नाना नेहरू का गोत्र इस्तेमाल करना जायज? समझिए कास्ट और गोत्र का पूरा गणित

नाना नेहरू का गोत्र इस्तेमाल करना जायज? समझिए कास्ट और गोत्र का पूरा गणित
UPT | राहुल गांधी की जाति पर मचा घमासान

Jul 31, 2024 17:55

संसद में राहुल गांधी की जाति पूछने पर बवाल मचा हुआ है। विपक्ष के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से माफी मंगवाने के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि अनुराग ठाकुर ने कह दिया कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन सवाल ये है कि आखिर राहुल गांधी की जाति है क्या?

Jul 31, 2024 17:55

Short Highlights
  • संसद में जाति पर मचा घमासान
  • मंदिर दर्शन पर राहुल ने बताया था गोत्र
  • राहुल ने जाति पूछने को गाली बताया
New Delhi : संसद में राहुल गांधी की जाति पूछने पर बवाल मचा हुआ है। विपक्ष के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से माफी मंगवाने के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि अनुराग ठाकुर ने कह दिया कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन सवाल ये है कि आखिर राहुल गांधी की जाति है क्या? क्यों इस मुद्दे पर भाजपा लगातार कांग्रेस और विशेष रूप से राहुल गांधी पर हमलावर रहती है? सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आखिर जिस जाति पर ही इस देश की सियासत फल-फूल रही है, वहां किसी की जाति पूछने पर घमासान क्यों छिड़ गया है।

मंदिर दर्शन पर खुद बताया था गोत्र
नवंबर 2018 में जब राहुल गांधी राजस्थान के पुष्कर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे, तो उन्होंने खुद को कौल बताते हुए दत्तात्रेय गोत्र का बताया था। यानि राहुल गांधी का गोत्र दत्तात्रेय है। दत्तात्रेय यानी कौल और कौल यानी कश्मीरी ब्राह्मण। अलग-अलग समय पर कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी की जनेऊ पहनी हुई तस्वीरें भी जारी की गई हैं, जिससे ये साफ होता है कि राहुल गांधी कश्मीरी ब्राह्मण हैं और जनेऊधारी ब्राह्मण हैं। लेकिन विवाद की जड़ ये नहीं है। आरोप लगता है कि राहुल गांधी के नाना कश्मीरी ब्राह्मण थे, लेकिन उनके दादा पारसी थे। ऐसे में न तो उनके पिता हिंदू हुए और न ही खुद राहुल गांधी। क्योंकि हिंदू धर्म में गोत्र व्यक्ति को उसके पिता से ही मिलता है।



सबसे पहले गोत्र का मतलब समझिए
गोत्र शब्द का जिक्र अथर्ववेद में मिलता है। मान्यता है कि सभी ब्राह्मण ऋषियों या पौराणिक सिद्ध पुरुषों के वंशज हैं। इसी से सबके गोत्र के नाम पड़े। हिंदू धर्म में एक ही गोत्र में शादियां प्रतिबंधित हैं, क्योंकि एक ही गोत्र के लोग समान पूर्वजों के वंशज माने जाते हैं। गोत्र की व्यवस्था पारंपरिक तौर पर ब्राह्मणवादी मानी जाती है। इसके पुरुष प्रधान सत्ता से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को उसका गोत्र उनके पिता से मिलता है, न कि माता से। अब कहानी नेहरू परिवार से शुरू करते हैं। दरअसल नेहरू अपने आप में कोई जाति नहीं है। नेहरू परिवार का मूल टाइटल कौल था। जवाहर लाल नेहरू के पूर्वज राज कौल 1716 में कश्मीर से दिल्ली शिफ्ट हो गए। यहां उन्होंने नहर किनारे एक मकान को अपना आशियाना बना लिया। नहर किनारे रहने की वजह से लोगों ने उन्हें नेहरू बुलाया शुरू कर दिया। शुरुआत में उन्होंने नेहरू शब्द को केवल उपनाम के तौर पर इस्तेमाल किया, लेकिन 19वीं सदी में जब कौल परिवार आगरा चला गया, तो समय के साथ-साथ कौल लुप्त होकर सिर्फ नेहरू ही लिखा जाने लगा। जवाहर लाल के पिता मोतीलाल ने इलाहाबाद बार काउंसिल में अपना नाम मोतीलाल कौल न लिखवाकर मोतीलाल नेहरू लिखवाया था।

लेकिन नाना का गोत्र हिंदू धर्म में स्वीकार्य?
अगर तकनीकी तौर पर देखा जाए, तो ऐसा संभव नहीं है। जैसा कि हमने कहा, किसी भी व्यक्ति को अपना गोत्र अपने पिता से मिलता है। राहुल गांधी के दादा फिरोज जहांगीर घांडी थे। वह पारसी परिवार में जन्मे थे, लेकिन महात्मा गांधी से प्रभावित होकर उन्होंने घांडी की जगह अपने उपनाम को गांधी कर लिया। उनकी शादी जवाहर लाल नेहरू की एकलौती बेटी इंदिरा नेहरू से हुई। अब सारी फसाद यहीं आकर अटकती है। कुछ लोग मानते हैं कि फिरोज गांधी ने इंदिरा से शादी के लिए अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। इस तर्क का विरोध करने वाले कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू खुद शादी के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहासकार डॉ. प्रेम चौधरी एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति हिन्दुत्व को अपनाता है तो भी उसे गोत्र नहीं मिलता। इसलिए फिरोज गांधी के हिन्दुत्व को अपनाने के बाद भी हिन्दू परंपरा के मुताबिक उन्हें कभी गोत्र नहीं मिला। लेकिन राहुल गांधी जिस गोत्र को बताते रहे हैं, वह अपने नाना का है। इससे ये माना जा सकता है कि फिरोज-इंदिरा के बेटे राजीव ने भी नेहरू के गोत्र को माना और अब राहुल उसे मानते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, यह कितना तर्कसंगत है, इस पर अब भी विवाद बरकरार है।

दत्तात्रेय गोत्र पर एक और है विवाद
दरअसल हिंदुओं की वंशावली सप्तऋषि परंपरा से जुड़ी हुई है। इसका मतलब ये हुआ कि हर व्यक्ति को उसका गोत्र सप्तऋषियों में से एक ऋषि से मिलता है। मूल रूप से ब्राह्मणों के 7 गोत्र बताए जाते हैं- अंगिरा, गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, अगस्त्य। लेकिन इसमें कहीं भी दत्तात्रेय गोत्र का जिक्र नहीं है। यही वजह है कि कुछ लोगों का मानना है कि दत्तात्रेय कोई गोत्र ही नहीं है। लेकिन ये पूरा सच नहीं है। दत्तात्रेय दो शब्दों से मिलकर बना है- दत्त और अत्रेय। जिन अत्रेय सप्तऋषि का हमने ऊपर जिक्र किया था, उनके पुत्र भगवान दत्तात्रेय हैं। नाथ परंपरा में दत्तात्रेय को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इसलिए कुछ लोग मानते हैं कि उनका गोत्र अत्रि रहा होगा। लेकिन कुछ विद्वान दत्तात्रेय को भी गोत्र बताते हैं। उनके मुताबिक, कश्मीरी ब्राह्मण 199 गोत्र में बंटे हुए हैं। इसमें दत्तात्रेय, भारद्वाज, उपमन्यवा, मौदगल्य, पालदेव और धौमयायना प्रमुख हैं। ऐसे दत्तात्रेय गोत्र को गलत नहीं कहा जा सकता।

जाति की राजनीति में जाति पूछने पर विवाद
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये कि जिस देश की राजनीति जाति पर ही चलती है, जहां संगठन, सरकार में नियुक्ति जातिगत समीकरणों को देखकर की जाती है, जहां चुनाव में टिकट जाति देखकर बांटे जाते हैं, वहां किसी की जाति पूछने पर दिक्कत क्या है? वह भी तब, जब राहुल गांधी खुद को कश्मीरी ब्राह्मण बताते हैं और कुलीन परिवार से संबंध रखते हैं। राहुल गांधी लगातार देश में जातीय जनगणना करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अपनी जाति पूछे जाने पर इसे गाली बता रहे हैं। अखिलेश यादव, जो लगातार पीडीए को अपना चुनावी फॉर्मूला बताकर राजनीति कर रहे हैं, वह कहते हैं कि आप किसी की जाति कैसे पूछ सकते हैं। आखिर जाति को लेकर देश दो हिस्से में क्यों बंटा हुआ है? जानकार कहते हैं कि देश की लगभग सभी पार्टियों की राजनीति जाति पर आधारित है। लेकिन 2014 के बाद भाजपा ने इसका तोड़ निकालने के लिए जाति हटाकर हिंदुत्व को मुद्दा बनाया। विपक्ष समय-समय इसी की काट खोजने के लिए अलग-अलग मु्द्दे उठाता है। अखिलेश और राहुल की प्रतिक्रिया भी विपक्ष की इसी राजनीति का हिस्सा है।

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