चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न : प्रधानमंत्री बनने के बाद भी क्यों देना पड़ा था इस्तीफा, जानिए इसके पीछे की वजह

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी क्यों देना पड़ा था इस्तीफा, जानिए इसके पीछे की वजह
UPT | प्रधानमंत्री बनने के बाद भी क्यों देना पड़ा था इस्तीफा

Feb 09, 2024 16:13

किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत में किसानों की आवाज बुलन्द करने वाले सबसे बड़े नेता के तौर पर देखा जाता है।वहीं चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने संसद का एक बार भी सामना किए बिना ही अपने पांच महीने के कार्यकाल में त्यागपत्र दे दिया था।

Feb 09, 2024 16:13

Short Highlights
  • चौधरी चरण सिंह को मिला भारत रत्न
  • केवल 5 महीने प्रधानमंत्री रहे थे चरण सिंह
  • बतौर प्रधानमंत्री कभी संसद नहीं गए
New Delhi : आज देश के पांचवें प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को देश का सबसे बड़ा सम्मान मिला है। किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत में किसानों की आवाज बुलन्द करने वाले सबसे बड़े नेता के तौर पर देखा जाता है।वहीं चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने संसद का एक बार भी सामना किए बिना ही अपने पांच महीने के कार्यकाल में त्यागपत्र दे दिया था। जो कभी अपने पांच महीने के इस कार्यकाल में संसद ही नहीं गए थे। भले ही चौधरी चरण सिंह पांच महीने के प्रधान मंत्री रहे, लेकिन ऐसा कोई मौका नहीं रहा जब उनके वोटर्स को किसी अन्य पार्टी द्वारा साधने की कोशिश ना की गई हो।

इस्तीफे के पीछे यह था कारण
आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जब इंदिरा गांधी हारीं और केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में 'जनता पार्टी' की सरकार बनी तो चरण सिंह को इस सरकार में गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बनाया गया था। जनता पार्टी की आपसी कलह के कारण मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद कांग्रेस और सीपीआई के समर्थन से चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने उन्हें बहुमत साबित करने का वक़्त दिया पर इंदिरा गांधी ने पहले ही अपना समर्थन वापस ले लिया। इस प्रकार संसद का एक बार भी सामना किए बिना चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। चौधरी चरण सिंह के बेटे 'राष्ट्रीय लोक दल' पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह थे। जिनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ मानी जाती थी। अब उनके पोते जयंत चौधरी अपने पिता और दादा की कमान संभाल रहे हैं।

उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

- किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह केवल 5 महीने ही देश के प्रधानमंत्री रह पाए और बहुमत साबित करने से पहले ही उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।

- देश का सबसे बड़ा सम्मान पाने वाले चौधरी चरण सिंह राजनेता होने के साथ-साथ एक लेखक भी थे। वह अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ रखते थे। उन्होंने 'अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी', ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ जैसी पुस्तकें भी लिखीं।

- चौधरी चरण सिंह ने जवाहर लाल नेहरू के सोवियत-पद्धति पर आधारित आर्थिक सुधारों का विरोध किया था, क्योंकि उनका मानना था कि सहकारी-पद्धति की खेती भारत में सफल नहीं हो सकती।

- चौधरी चरण सिंह के परिवार का संबंध बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह से था, जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने दिल्ली के चांदनी चौक में फांसी दे दी थी। इनका जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नूरपुर गांव में हुआ था।

- चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के बाद गाज़ियाबाद में वकालत की थी। बताया जाता है कि वह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण लगता था। यह उनकी बहुत बड़ी खासियत मानी जाती थी।

- आजादी के ऐतिहासिक पन्नों से देखें तो कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) के बाद उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया थो और सन 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान 'नमक कानून’ तोड़ने पर उनको 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने खुद को देश के स्वतन्त्रता संग्राम के लिए पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया था।

-  ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार 1937 में 34 साल की उम्र में चौधरी चरण सिंह बागपत के छपरौली से विधान सभा के लिए चुने गए थे। विधनासभा में उन्होंने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बिल पेश किया, जिससे बाकी राज्यों ने भी सीख ली थी।

लोगों ने दिया सरकार को किया धन्यवाद

गांव की पगडण्डियों पर चलकर देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले महापुरुष स्व: चौधरी चरणसिंह जी ने जीवनभर किसानों व कमेरों के लिए काम किया है, वह पहले ऐसे नेता थे जो देश की खुशहाली का रास्ता खेतों व खलिहानों में खोजते थे। जमीदारी उन्मूलन कानून बनाकर भूमिहीनों के घरों में रोशनी की। वह राजनेता के साथ-साथ कुशल अर्थशास्त्री भी थे। ऐसे महामानव को "भारत रत्न" से सम्मानित किया जाना गर्व का पल है, देश की जनता को हार्दिक बधाई एवं भारत सरकार का आभार प्रकट करते हैं।
- डॉ. कुलदीप उज्जवल राष्ट्रीय सचिव राष्ट्रीय लोकदल, पूर्व राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

वह पहले ही इस सम्मान के हकदार थे। वो ऐसे महान नेता थे, जिन्होंने गांव के गरीब के दर्द को समझा, किसानों के दर्द को समझा, सभी को हक मिले, सम्मान मिले इसकी आवाज उठाई। आजादी के बाद सबसे बड़ा काम करने वाले वही महान नेता थे, जिन्होंने किसानों को उनका हक दिलाया। वो इस सम्मान के हकदार थे और हैं, बहुत पहले उनको यह सम्मान मिल जाना चाहिए था, इसके पीछे क्या कारण रहे यह नहीं कहा जा सकता, अब सरकार ने उन्हें यह सम्मान दिया है, इसके लिए किसान उनका धन्यवाद करते हैं।
- राजकुमार सांगवान, रालोद नेता
 
एक किसान प्रधान देश में "किसान मसीहा" चौधरी साहब जैसी शख्सियत को भारत रत्न दिया जाना स्वागत योग्य है। ये सम्मान देश के लिए किए गए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उनको यह सम्मान पहले ही मिल जाना चाहिए था, क्योंकि वह हमेशा इसके योग्य थे। भारत में कृषि क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन और भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण के दौर में लाकर नए रास्ते खोलने वाले पीवी नरसिम्हा राव को भी सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए बधाई।
- कृष्ण गोपाल सिंह, वरिष्ठ शिक्षक नेता, मेरठ 

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। वह इस योग्य थे और उनको यह सम्मान मिला। 
- प्रभात चौधरी, शिक्षक नेता

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