संस्थापक नाथन एंडरसन ने एक भावनात्मक नोट के साथ इस निर्णय को सार्वजनिक किया। 2017 में स्थापित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने काम के जरिए वैश्विक वित्तीय जगत में गहरी छाप छोड़ी। कंपनी ने अपने...
अडाणी पर आरोपों से भूचाल लाने वाली कंपनी बंद होगी : हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नेट एंडरसन ने किया ऐलान, बोले- हो गया..
Jan 16, 2025 11:25
Jan 16, 2025 11:25
नाथन एंडरसन का भावुक बयान
नाथन एंडरसन ने अपने बयान में कहा, "मैंने लंबे विचार-विमर्श और योजना के बाद यह निर्णय लिया है। यह मेरे जीवन का एक सपना था, जिसे मैंने पूरा किया। अब मैंने तय किया है कि इस अध्याय को बंद कर अपने परिवार, शौक और जीवन के अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करूंगा।" उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी को बंद करने के पीछे कोई व्यक्तिगत संकट, स्वास्थ्य समस्या या खतरा नहीं है। उन्होंने इसे अपने जीवन में एक नई शुरुआत का संकेत बताया। “मैंने अपनी टीम और परिवार को यह सुनिश्चित करने का समय दिया कि वे अपनी अगली यात्रा के लिए तैयार हो जाएं। मैं अब इंडेक्स फंड में निवेश करने और अपने जीवन को कम तनावपूर्ण बनाने की योजना बना रहा हूं,” एंडरसन ने कहा।
नेट एंडरसन ने क्यों लिया यह निर्णय?
नेट एंडरसन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "मैंने पिछले साल के अंत में अपने परिवार, दोस्तों और टीम के साथ साझा किया था कि हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का निर्णय लिया गया है।" उन्होंने कहा कि कंपनी ने हाल ही में अपनी अंतिम परियोजनाओं को पूरा किया। जिसमें पोंजी स्कीमों से जुड़ी जांच शामिल थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी जांचों को पूरा करने के बाद कंपनी की गतिविधियों पर विराम लगाना तय किया गया था। एंडरसन ने कहा, "हमने शुरुआत से ही तय किया था कि कंपनी का संचालन तभी तक रहेगा जब तक हमारे पास जांच करने के लिए परियोजनाएं हैं। अब हमने अपनी पाइपलाइन को खत्म कर दिया है और कंपनी को भंग करने का फैसला लिया है।"
हिंडनबर्ग और अडानी विवाद का इतिहास
जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर अपनी विवादास्पद रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह के शेयरों की कीमत उनकी उचित वैल्यू से 85% अधिक है। रिपोर्ट में अडानी समूह पर मार्केट मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का गंभीर आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप मच गया और अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। अडानी समूह के कुल बाजार पूंजीकरण में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई। अडानी इंटरप्राइजेज को अपना 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) रद्द करना पड़ा।
अडानी समूह ने किया था आरोपों का खंडन
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अडानी समूह ने इसे "दुर्भावनापूर्ण और तथ्यहीन" करार दिया। अडानी समूह ने कहा, "यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं, बासी और निराधार आरोपों का मिश्रण है, जिसे भारत के उच्चतम न्यायालयों में पहले ही खारिज किया जा चुका है।" समूह ने यह भी दावा किया कि रिपोर्ट टाइमिंग के लिहाज से संदिग्ध थी और इसका उद्देश्य अडानी समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना था।
अगस्त 2024 में SEBI चीफ पर आरोप
हिंडनबर्ग ने अगस्त 2024 में एक और सनसनीखेज रिपोर्ट जारी की। इसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुचऔर उनके पति धवल बुच पर अडाणी समूह से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी का आरोप लगाया। रिपोर्ट के अनुसार, इन एंटिटीज का उपयोग अडाणी समूह के भीतर पैसों की हेराफेरी के लिए किया गया था। हिंडनबर्ग ने दावा किया कि इन एंटिटीज में गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी का पैसा लगा था।
नाथन एंडरसन का निजी पक्ष
नाथन एंडरसन ने अपने बयान में बताया कि वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक समय बिताने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में खुद को कुछ साबित करने की कोशिश की, लेकिन अब मैं अपने जीवन में पहली बार आत्मिक शांति महसूस कर रहा हूं।" एंडरसन ने अपने पाठकों और समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रतिक्रियाओं ने टीम को हर बार नई ऊर्जा दी।
नेट एंडरसन और उनकी विरासत
नेट एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च को एक ऐसी कंपनी के रूप में स्थापित किया, जिसने वैश्विक स्तर पर बड़े नामों के खिलाफ भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया। हालांकि, अडानी विवाद के बाद फर्म को कई कानूनी चुनौतियों और नैतिक सवालों का सामना करना पड़ा। एंडरसन ने अपने बयान में कहा, "हमने हमेशा सच्चाई की तलाश की है और अपने काम में पारदर्शिता बनाए रखी है। अब यह समय है कि हम इस अध्याय को बंद करें।"
अडाणी विवाद और भारत में असर
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने न केवल अडाणी समूह को चुनौती दी, बल्कि भारत के वित्तीय बाजारों पर भी गहरा प्रभाव डाला। रिपोर्ट के बाद भारत के रेगुलेटरी सिस्टम और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठे। हालांकि, अडाणी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया और इसे दुर्भावनापूर्ण बताया।
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