दशकों पुराना है धार्मिक भावना भड़काने का इतिहास : एक वारदात के बाद बना था कानून, जानिए कितनी है सजा

एक वारदात के बाद बना था कानून, जानिए कितनी है सजा
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Oct 15, 2024 13:35

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान रविवार शाम हुई हिंसा ने पूरे इलाके में तनाव फैला दिया है। विसर्जन जुलूस के दौरान एक समुदाय की ओर से डीजे बंद...

Oct 15, 2024 13:35

New Delhi News : उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान रविवार शाम हुई हिंसा ने पूरे इलाके में तनाव फैला दिया है। विसर्जन जुलूस के दौरान एक समुदाय की ओर से डीजे बंद करने का आग्रह करने पर दोनों समुदायों में टकराव बढ़ गया। जिसके चलते 24 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई। इस घटना के बाद से बहराइच और आसपास के क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव का माहौल बन गया है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं के अपमान और उससे जुड़ी कानूनी सजा की बहस ने जोर पकड़ लिया है।

भारतीय कानून में धार्मिक भावनाओं के अपमान की सजा
धार्मिक भावनाओं के अपमान से जुड़े मामलों के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधान थे। जिन्हें अब नए क्रिमिनल लॉ के तहत भी शामिल किया गया है। धार्मिक भावनाओं का अपमान करने पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के अंतर्गत धारा 295ए में सजा का प्रावधान है। इसके तहत यदि किसी व्यक्ति या समूह ने किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाई तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस कानून में इसे स्पष्ट किया गया है कि धार्मिक भावनाओं का अपमान न केवल बोले गए शब्दों से बल्कि संकेतों, लेखन, तस्वीरों या वीडियो के माध्यम से भी हो सकता है।


जानबूझकर किए गए कृत्यों पर ही लागू होती है सजा
कानून की धारा 295ए और अन्य प्रावधान तभी लागू होते हैं जब यह साबित हो कि धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने का कृत्य जानबूझकर और खराब मंशा के साथ किया गया है। जैसे, गुजरात हाई कोर्ट ने 2016 में एक मामले में स्पष्ट किया कि अगर कोई कृत्य अनजाने में या लापरवाही से होता है तो इसे धार्मिक भावनाओं के अपमान के दायरे में नहीं रखा जा सकता। इस केस में ‘पोकेमॉन गो’ गेम पर धार्मिक स्थलों के पास अंडे दिखाए जाने की शिकायत को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था।

1927 का ऐतिहासिक मामला
धारा 295ए का इतिहास 1927 के एक चर्चित मामले से जुड़ा है। उस समय एक पुस्तक के प्रकाशक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था। क्योंकि उसने पैगंबर मुहम्मद की निजी जीवन पर टिप्पणियां प्रकाशित की थीं। इसके बाद मामले ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने दबाव में आकर आईपीसी में धारा 295ए को जोड़ा ताकि इस प्रकार की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया जा सके।

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धारा 295ए के अलावा अन्य धाराएं
धारा 298 : अगर किसी धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ या गंदगी करने की कोशिश की जाती है तो इसमें दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 300 : धार्मिक आयोजनों में बाधा डालने या किसी अन्य समुदाय के पर्व में हस्तक्षेप पर एक साल की सजा हो सकती है।
धारा 302 : किसी भी व्यक्ति के धार्मिक आस्थाओं का अपमान करने के लिए बोले गए शब्द या कोई खास संकेत किए जाने पर एक साल की कैद का प्रावधान है।

सामूहिक हिंसा पर और सख्त धाराएं
धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले मामलों में यदि पांच या अधिक लोग शामिल हों तो यह मामला बलवे का बन जाता है। जिस पर धारा 147 और 148 जैसी धाराएं लगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त यदि हिंसा के दौरान तोड़फोड़, जान-माल की हानि या संपत्ति का नुकसान होता है तो इसमें संबंधित धाराएं भी जुड़ जाती हैं।

बहराइच में सुरक्षा के लिए प्रशासन की तैनाती
बहराइच की घटना को लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर चर्चा जारी है कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने की घटनाओं पर सख्त सजा का प्रावधान और उसके अनुपालन को लेकर समाज और न्याय प्रणाली को और अधिक संवेदनशील और सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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