पीएफ खाते में कर्मचारी की सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा प्रतिमाह जमा किया जाता है। नियोक्ता भी उतनी ही राशि कर्मचारी के खाते में जमा करता है। यह खाता एक दीर्घकालिक बचत योजना के रूप में काम करता है।
EPFO में आया नया अपडेट : पीएफ खाते में जोड़ें दूसरा बैंक अकाउंट, जानिए खाता जोड़ने की सरल प्रक्रिया
Dec 31, 2024 17:10
Dec 31, 2024 17:10
पीएफ खाते की संरचना और लाभ
पीएफ खाते में कर्मचारी की सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा प्रतिमाह जमा किया जाता है। नियोक्ता भी उतनी ही राशि कर्मचारी के खाते में जमा करता है। यह खाता एक दीर्घकालिक बचत योजना के रूप में काम करता है। जिसमें जमा की गई राशि पर ब्याज मिलता है। देशभर में करोड़ों लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस खाते की खासियत यह है कि जमा राशि को आवश्यकता पड़ने पर निकाला जा सकता है। निकाली गई राशि सीधे कर्मचारी के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाती है। यह योजना विशेष रूप से रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
लिंक्ड बैंक खाते की समस्या और समाधान
कई बार पीएफ खाते से जुड़ा बैंक खाता बंद हो जाता है या निष्क्रिय हो जाता है। जिससे पीएफ राशि का उपयोग करने में समस्या हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए। ईपीएफओ ने पीएफ खातों में दो बैंक खाते जोड़ने की सुविधा दी है। इससे न केवल कर्मचारियों को सुविधा मिलती है, बल्कि उनके वित्तीय लेनदेन भी सुरक्षित हो जाते हैं।
दूसरे बैंक खाते को जोड़ने की प्रक्रिया
- सबसे पहले ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- अपना यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और पासवर्ड दर्ज करके लॉगिन करें।
- लॉगिन के बाद 'मैनेज' टैब पर क्लिक करें।
- यहां ड्रॉपडाउन मेनू से 'KYC' विकल्प का चयन करें।
- यहां 'दूसरा खाता जोड़ें' का विकल्प मिलेगा।
- नए बैंक खाते का अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड, और अन्य जानकारी भरें।
- जानकारी भरने के बाद आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा।
- इस ओटीपी को दर्ज करें और प्रक्रिया पूरी करें।
- जैसे ही दूसरा खाता सक्रिय हो जाएगा, आप अपनी पीएफ राशि उसमें ट्रांसफर कर सकते हैं।
- दूसरा खाता जोड़ने के लिए उसका केवाईसी (KYC) पूरा होना आवश्यक है।
- केवल सक्रिय और वैध खाते का ही उपयोग किया जा सकता है।
- प्रक्रिया के दौरान सही जानकारी दर्ज करना सुनिश्चित करें।
पीएफ खाता केवल बचत का माध्यम नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। इसके जरिए सरकार यह सुनिश्चित करती है कि देश के कामकाजी वर्ग को रिटायरमेंट के बाद या किसी आपात स्थिति में वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े।
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