हिमाचल प्रदेश की बद्दी एसपी इल्मा अफरोज इस समय सुर्खियों में हैं। उनका नाम तब से चर्चा में आया जब उन्होंने दून से कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की...
चर्चा में हिमाचल की IPS ऑफिसर इल्मा : यूं ही खास नहीं हो गईं मुरादाबाद की अफरोज, जानें संघर्ष की कहानी...
Nov 14, 2024 11:37
Nov 14, 2024 11:37
ठुकराया था विदेशी नौकरी का ऑफर
इल्मा अफरोज का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में हुआ। उनके जीवन में पहली बड़ी चुनौती तब आई जब वे महज 14 साल की उम्र में अपने पिता को कैंसर के कारण खो बैठीं। इसके बाद उनकी मां ने अकेले ही इल्मा और उनके 12 वर्षीय भाई को पालने की जिम्मेदारी उठाई। इल्मा ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से स्कॉलरशिप प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गईं। यहां उन्होंने अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए पेरिस में भी एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लिया। न्यूयॉर्क में एक फाइनेंशियल कंपनी से अच्छे पेशेवर पैकेज का नौकरी का प्रस्ताव मिला लेकिन देश की सेवा की ख्वाहिश में उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकराकर भारत लौटने का फैसला किया।
भारतीय पुलिस सेवा में प्रवेश
इल्मा अफरोज ने सिविल सर्विस परीक्षा 2017 में सफलता प्राप्त की और ऑल इंडिया रैंक 217 हासिल की। अगस्त 2018 में वे भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुईं और उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया। यहां उन्होंने 16 महीने की कठोर प्रशिक्षण प्रक्रिया पूरी की और बाद में बद्दी की एसपी नियुक्त की गईं।
विधायक की पत्नी का चालान काटने पर शुरू हुआ विवाद
यह विवाद अगस्त 2024 में शुरू हुआ था। जब बद्दी में अवैध खनन के मामले में पुलिस ने विधायक रामकुमार चौधरी की पत्नी की कार का चालान काट दिया। खनन माफिया पर नजर रखने वाली एसपी इल्मा अफरोज की टीम ने यह चालान किया था। जिससे विधायक और पुलिस अधिकारी के बीच अनबन शुरू हो गई। विधायक ने विधानसभा सत्र के दौरान एसपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए और उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी पेश किया। इस विवाद ने धीरे-धीरे तूल पकड़ लिया और राजनीतिक रंग ले लिया। इस बीच 13 नवंबर को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। जिसमें इल्मा अफरोज ने हिस्सा लिया। बैठक से लौटने के बाद उन्होंने अपने सरकारी आवास को खाली कर मुरादाबाद जाने का निर्णय लिया। इस घटना के बाद इल्मा पर और भी कई विवाद खड़े हुए।
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समुदाय विशेष को लाभ पहुंचाने का आरोप
कुछ आरोपों में यह भी कहा गया कि इल्मा अफरोज ने एक विशेष समुदाय को थोक में गन लाइसेंस जारी किए। जो जांच में निराधार साबित हुए। आरटीआई से पता चला कि उनके 9 महीने के कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ दो गन लाइसेंस पर वेरिफिकेशन किया।
सोशल मीडिया पर सक्रियता
भले ही इल्मा अफरोज अपने कामों के कारण चर्चा में हैं, लेकिन वे अपने व्यक्तिगत जीवन को भी सोशल मीडिया पर साझा करती हैं। उनके इंस्टाग्राम पर 15,000 फॉलोवर्स हैं। जहां वे अपने अनुभव और अपनी मां के प्रति स्नेह को साझा करती हैं।
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