आमतौर पर जनगणना में धर्म और वर्ग से संबंधित प्रश्न शामिल किए जाते हैं। सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना पहले से होती आई है, लेकिन इस बार कुछ...
केंद्र सरकार की तैयारी तेज : 2025 में फिर खुलेगी लंबे समय से पेंडिंग पड़ी जनगणना की फाइल, हो सकता है चक्र में बदलाव
Oct 28, 2024 10:47
Oct 28, 2024 10:47
जनगणना चक्र में होगा बदलाव, हर दस साल में बदल जाएगा समय
पहले हर दशक की शुरुआत में ही जनगणना की जाती थी। जैसे वर्ष 1991, वर्ष 2001 और वर्ष 2011 आदि में जनगणना होती थी। अब जनगणना का यह चक्र बदल सकता है। वर्ष 2025 में शुरू होने वाली इस जनगणना के बाद अगले चक्र 2035, 2045 और 2055 में होंगे। यह बदलाव जहां एक ओर डेटा संग्रहण और सटीकता में सुधार ला सकता है। वहीं दूसरी ओर जनगणना प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और योजना-बद्ध बना सकता है।
तारीखें तय नहीं, लेकिन तैयारियां तेज
हालांकि, इस जनगणना की सटीक तिथियां अभी निर्धारित नहीं की गई हैं। फिर भी महारजिस्ट्रार कार्यालय में तैयारियों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि जनगणना को पूरा करने में कम से कम दो वर्ष का समय लग सकता है। इस दौरान सरकारी स्तर पर कई नीतिगत निर्णय भी लिए जाएंगे, जिससे यह प्रक्रिया सुचारू और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो सके।
जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन
इस जनगणना का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह होगा कि इसके बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन कार्य शुरू किया जाएगा। परिसीमन प्रक्रिया के 2028 तक पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। इससे आगामी चुनावी प्रक्रियाओं में बदलाव की संभावना भी बन सकती है। जो देश के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
जातिगत जनगणना पर भी सरकार का विचार
वर्तमान में कई विपक्षी दलों द्वारा जातिगत जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है। हालांकि, इस पर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है। जातिगत जनगणना को लेकर कई राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे उभर सकते हैं। जो अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधित्व और सामाजिक समानता पर प्रभाव डाल सकते हैं। फिलहाल इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन सरकार इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए विचार कर रही है।
क्या इस बार जनगणना में शामिल होंगे नए सवाल?
आमतौर पर जनगणना में धर्म और वर्ग से संबंधित प्रश्न शामिल किए जाते हैं। सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना पहले से होती आई है, लेकिन इस बार कुछ नए प्रश्न जोड़े जा सकते हैं। माना जा रहा है कि सरकार लोगों से उनके संप्रदाय के बारे में भी जानकारी मांग सकती है। उदाहरण के लिए कर्नाटक में लिंगायत समुदाय खुद को अलग संप्रदाय मानता है। इसी तरह अनुसूचित जाति में भी वाल्मीकि और रविदासी जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं।
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