पीवी नरसिम्हा राव को राजनीति के अलावा कला, संगीत और साहित्य आदि विभिन्न क्षेत्र में अच्छी समझ रखते थे। कई भाषाओं के जानकार थे।
भारत के रत्न : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को अवार्ड, क्या है कनेक्शन...
Feb 09, 2024 15:46
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नरसिम्हा राव लगातार आठ बार चुनाव जीतकर दिखाया अपना दमखम
फ़िलहाल हम बात कर रहे हैं नरसिम्हा राव की जो देश के 9वें प्रधानमंत्री थे। उन्हें देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में भी जाना जाता है। पीवी नरसिम्हा राव को राजनीति के अलावा कला, संगीत और साहित्य आदि विभिन्न क्षेत्र में अच्छी समझ रखते थे। कई भाषाओं के जानकार थे। नरसिम्हा राव लगातार आठ बार चुनाव जीते और कांग्रेस पार्टी में 50 साल से ज्यादा समय गुजारने के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने। वो आठ बच्चों के पिता थे, नरसिम्हा राव 20 जून, 1991 से 16 मई, 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। जब उन्होंने पहली बार विदेश की यात्रा की तो उनकी उम्र 53 साल थी। उन्होंने दो कंप्यूटर लैंग्वेज में मास्टर्स किया और 60 साल की उम्र पार करने के बाद कंप्यूटर कोड बनाया था। लेकिन उनकी यह दास्तां यहीं खत्म नहीं होती। पी रंगा राव के पुत्र स्व पी.वी. नरसिंह राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय एवं नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की थी। पीवी नरसिंह राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं।
राव भारतीय विद्या भवन के आंध्र केंद्र के भी अध्यक्ष रहे
पेशे से कृषि विशेषज्ञ व वकील रहे राव राजनीति में आए और कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून व सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून व विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री एवं 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1975 से 76 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव, 1968 से 74 तक आंध्र प्रदेश के तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष एवं 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष रहे।वे 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य, 1977 से 84 तक लोकसभा के सदस्य रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के तौर पर 1978-79 में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के एशियाई एवं अफ्रीकी अध्ययन स्कूल द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया पर हुए एक सम्मेलन में भाग लिया। राव भारतीय विद्या भवन के आंध्र केंद्र के भी अध्यक्ष रहे। वे 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने 5 नवंबर 1984 से योजना मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।
25 सितम्बर 1985 से उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार संभाला। खींचतान से भरे लोकतंत्र के दसवें प्रधानमंत्री बनने से पहले नरसिंहा राव ने तीन भाषाओं में चुनाव प्रचार किया था। उन्होंने तीन सीटों पर जीत दर्ज की और वो आज के नेताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा जमीन से जुड़े हुए थे।
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