चौधरी चरण सिंह को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत रत्न देने का एलान किया है। उनका जन्म मेरठ के किसान परिवार में हुआ था। अपने सियासी करियर ने चरण सिंह एक भी चुनाव नहीं हारे।
Bharat Ratna 2024 : जाटों के नेता, किसानों के मसीहा... कभी चुनाव न हारने वाले चौधरी चरण सिंह की पूरी कहानी
Feb 09, 2024 14:54
Feb 09, 2024 14:54
- चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान
- सियासी करियर में कभी चुनाव नहीं हारे चरण सिंह
- गाये से चरण सिंह को था बेहद लगाव
किसान परिवार में जन्म, कांग्रेस से शुरुआत
चौधरी चरण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में हुआ था। किसान परिवार में जन्मे चरण सिंह ने 1923 में विज्ञान से ग्रेजुएशन और 1925 में आगरा से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने कानून के पेशे से शुरुआत की। 1929 में मेरठ आने के बाद फिर वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
कभी चुनाव नहीं हारे चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह ने अपना पहला चुनाव 1937 में उत्तर प्रदेश की छपरौली विधानसभा से लड़ा था, जिसमें वह जीते थे। इसके बाद 1946, 1952, 1962 और फिर 1967 में उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव भी थे। इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग विभागों में भी कार्य किया। सम्पूर्णानंद सरकार में वह कृषि मंत्री भी रहे। सबसे खास बात यह है कि चौधरी चरण सिंह अपने सियासी करियर में कभी चुनाव नहीं हारे।
गाय से बेहद प्यार, भाई-भतीजावाद के कट्ट्रर विरोधी
चौधरी चरण सिंह को गाय से बेहद लगाव था। वह इसे बेचे जाने के सख्त खिलाफ थे। 1970 में जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिया, जब अपनी गाय को उन्होंने तत्कालीन सूचना निदेशक पंडित बलभद्र प्रसाद मिश्र को देते हुए कहा था कि 'गाय हमारे यहां बेची नहीं जाती इसलिए आप ले जाइए।' चरण सिंह की पहचान एक ऐसे नेता के तौर पर थी, जो भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार से सख्त विरोधी थे। उन्होंने भूमि सुधार के लिए भी खूब काम किया था।
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