राज्यसभा चुनाव के लिए यूपी में बिसात बिछ गई है। इसके लिए सोमवार को दिनभर रणनीति और गणित में छोटे दल गुणा-भाग करते रहे तो मतदान से पहले रात्रि भोज का...
यूपी में राज्यसभा चुनाव : रणनीति और गणित से चढ़ा सियासी पारा, कार्यालयों में माननीयों का नजारा
Feb 26, 2024 19:05
Feb 26, 2024 19:05
- तीन दिन से समाजवादी पार्टी कार्यालय पर पार्टी विधायकों की बैठक, मतदान से पहले रात्रि भोज
- सोमवार को भाजपा दफ्तर में भी लगा जमावड़ा, रात तक चला मतदान का रिहर्सल, जुटे दिग्गज
- दोनों दलों के कार्यालयों में चेताए गए, पढ़ाए गए और समझाए गये विधायक, कैसे करेंगे मतदान
तीन दिन से विधायकों को सहेज रही समाजवादी पार्टी
राज्यसभा चुनाव में एक-एक वोट की विशेष कीमत है, ऐसे में सपा फूंक फूंक कर कदम रख रही है। रोज पार्टी दफ्तर में मीटिंग चल रही है। पहले दिन गणित और रणनीति को समझा गया। दूसरे दिन सभी को मतदाता की तकनीक के प्रति चेताया और समझाया गया। तीसरे दिन सोमवार को रिव्यू के साथ रात्रि भोज का शेड्यूल तय है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज दुबारा विधायकों की बैठक बुलाई है। सभी सपा विधायकों को लखनऊ में ही रोका गया है। अखिलेश यादव आज शाम अंतिम रणनीति पर चर्चा करेंगे। इसके पहले विधायकों को राज्यसभा चुनाव की बारीकियां समझाई गईं, डमी मतपत्र के जरिए वोट देने का अभ्यास कराया गया था।
एनडीए विधायकों का भी प्रशिक्षण, जुटे दिग्गज
लोकभवन में सुबह 11 बजे भाजपा नीति एनडीए के विधायक दल की बैठक शुरू हुई। सभी आठ प्रत्याशियों को मतदान करने के लिए समूह में बांटा गया। सही तरीके से वोट डालने के लिए विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान सीएम योगी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक मौजूद रहेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी अपना दल कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल शामिल होंगे। निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद और सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर मौजूद रहेंगे। रालोद के सभी विधायक बैठक में शामिल होंगे।
राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पर भी निगाहें, जा सकते हैं भाजपा के साथ
राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान की तैयारी है, जिसमें 10 राज्यसभा सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। यूपी में 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 397 विधायक ही वोट करने के योग्य हैं। 4 सीटें पहले से खाली थीं। इसके अलावा जेल में बंद सपा विधायक इरफान सोलंकी और सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को वोट करने की अनुमति नहीं मिली है। चुनाव का सारा समीकरण अब राजा भैया, सुभासपा, निषाद पार्टी औऱ रालोद पर टिका हुआ है। राजा भैया भाजपा के साथ जा सकते हैं।
भाजपा चल सकती है अंतिम दांव, सपा सतर्क
भाजपा भाजपा इस चुनाव में साथ देने वाले दूसरे दलों के विधायकों को पुरस्कार दे सकती है। इसके लिए भाजपा पांच मई को रिक्त होने वाली विधान परिषद की 13 सीटों का भी सहारा लेती सकती है है। इसके चुनाव भी घोषित हो गए हैं। वैसे तो राज्यसभा के चुनाव में दलबदल कानून लागू नहीं होता है, लेकिन विधायक को अपनी पार्टी के पोलिंग एजेंट को मतपत्र दिखाकर ही वोट देना होता है। ऐसे में यदि कोई विधायक क्रास वोट करता है तो पार्टी को तत्काल पता चल जाता है। भले ही इस चुनाव में दूसरी पार्टी को वोट देने से उसकी सदस्यता नहीं जाती है लेकिन नैतिकता के आधार पर यदि किसी विधायक को क्रास वोट देने के लिए बाद में त्यागपत्र भी देना पड़ा तो भाजपा उसे एमएलसी बनाकर पुरस्कार दे सकती है।
क्या है राज्यसभा में चुनाव का तरीका?
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव विधायकों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। इसमें प्रत्येक विधायक का मत केवल एक बार गिना जाता है। विधायक हर सीट के लिए अलग से वोट नहीं देते हैं। इसके बजाय, विधायक उम्मीदवारों को उनकी पसंद के क्रम में सूचीबद्ध करते हैं। यदि पर्याप्त विधायक किसी खास उम्मीदवार को अपनी पहली पसंद के रूप में चुनते हैं, तो वह उम्मीदवार जीत जाता है। बचे हुए मत अगले पसंद के उम्मीदवारों को मिल जाते हैं, लेकिन उनका मूल्य कम हो जाता है। इस तरह, विधायक अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को भी वोट दे सकते हैं। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न दलों को उनके समर्थन के आधार पर सीटें मिलती हैं, न कि केवल सबसे बड़ी पार्टी को ही सभी सीटें मिल जाती हैं।
10वीं सीट पर सपा भाजपा के बीच कांटे की टक्कर
उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी (SP) ने तीन उम्मीदवारों जया बच्चन, पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आलोक रंजन को खड़ा किया है। इस बीच, भाजपा ने सात के बजाय आठ उम्मीदवार खड़े करके चुनाव को रोचक बना दिया है। अगर भाजपा ने अपना आठवां उम्मीदवार खड़ा नहीं किया होता तो 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव निर्विरोध हो जाता। भाजपा के आठ कैंडिडेट में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, राज्य पार्टी महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत, पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व विधायक साधना सिंह, पूर्व आगरा मेयर नवीन जैन और स्थानीय उद्योगपति और पूर्व एसपी नेता संजय सेठ हैं जो 2019 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में विधानसभा सदस्यों की संख्या 399 है। राज्यसभा सीट जीतने के लिए उत्तर प्रदेश में उम्मीदवार को पहली पसंद के 37 वोटों की जरूरत होती है। बीजेपी के पास यूपी में 252 विधायक हैं जबकि एनडीए के पास विधायकों की कुल संख्या 277 है। यूपी में समाजवादी पार्टी के पास कुल 108 विधायक हैं। वहीं, इंडिया गठबंधन के कुल विधायकों की संख्या 110 पहुंचती है।
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