असम में बीफ बैन पर भड़कीं इकरा हसन : सपा सांसद बोलीं- किसी भी सरकार को लोगों के भोजन या जीवनशैली में दखल का हक नहीं

सपा सांसद बोलीं- किसी भी सरकार को लोगों के भोजन या जीवनशैली में दखल का हक नहीं
UPT | असम में बीफ बैन पर भड़कीं इकरा हसन

Dec 05, 2024 16:33

समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन ने असम में बीफ पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस तरह के फैसले लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करते हैं ...

Dec 05, 2024 16:33

Delhi News : समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन ने असम में बीफ पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस तरह के फैसले लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करते हैं और यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। इकरा ने इस विषय पर अपनी असहमति जताते हुए कहा कि किसी भी राज्य को नागरिकों के व्यक्तिगत आहार या जीवनशैली में इस प्रकार का दखल देने का अधिकार नहीं है।

इकरा हसन ने बीफ पर प्रतिबंध जताई नाराजगी
इकरा हसन ने कहा कि बीफ पर प्रतिबंध लगाने से असम के निवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ता है। उनका यह मानना है कि यह कदम उन लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है, जो अपनी पसंद के अनुसार आहार लेते हैं। असम में जहां विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं, वहां यह निर्णय उनके बीच असहमति और विवाद का कारण बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस प्रकार के फैसलों को लागू करने से पहले आम जनता की भावनाओं और विचारों का सम्मान करना चाहिए।



मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
सपा सांसद ने संविधान की बात करते हुए कहा कि हमारे देश में धर्म, संस्कृति और आहार की स्वतंत्रता की पूरी गारंटी दी गई है। यदि किसी राज्य विशेष में बीफ पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। उनका मानना है कि इस तरह के फैसले भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ हैं, क्योंकि यह लोगों को उनके व्यक्तिगत जीवन के फैसलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं।

आहार का चयन पूरी तरह से व्यक्तिगत मामला
इकरा हसन ने आगे कहा कि असम में बीफ पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय न केवल वहां के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन सकता है। यदि इस तरह के फैसले अन्य राज्यों में भी लागू किए जाते हैं, तो यह भारतीय समाज की विविधता और सहिष्णुता को नुकसान पहुंचा सकता है। उनका यह भी मानना है कि आहार का चयन पूरी तरह से व्यक्तिगत मामला है और हर नागरिक को अपनी पसंद के अनुसार भोजन करने का अधिकार होना चाहिए। इस प्रकार के कानूनों से समाज में अशांति और तनाव पैदा हो सकता है। इकरा ने यह भी कहा कि सरकार को इस तरह के विवादास्पद निर्णय लेने से पहले समाज के लोगों को बारे में ध्यान में रखना चाहिए।

सीएम हिमंत का बयान
इस मामले में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि वह हुसैन के बयान को लेकर बीफ पर अपने रूख के बारे में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि मैं भूपेन बोरा को पत्र लिखूंगा और उनसे पूछूंगा कि क्या वह भी रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हैं, अगर हां, तो मुझे सूचित करें। मैं अगले विधानसभा सेशन में बीफ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दूंगा। तब भाजपा, एजीपी, सीपीएम, कोई भी बीफ नहीं दे पाएगा और हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी को बीफ खाना बंद कर देना चाहिए, और सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।

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