उत्तर प्रदेश का सियासी गणित : पहले मायावती, अब नीतीश... किस-किस को प्रधानमंत्री पद का लॉलीपॉप देंगे अखिलेश यादव?

पहले मायावती, अब नीतीश... किस-किस को प्रधानमंत्री पद का लॉलीपॉप देंगे अखिलेश यादव?
Uttar Pradesh Times | किस-किस को प्रधानमंत्री पद का लॉलीपॉप देंगे अखिलेश यादव?

Jan 27, 2024 13:58

बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने की अटकलों के बीच अखिलेश यादव ने नीतीश को पीएम बनाए जाने की पेशकश कर दी। उधर मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के एलान के बाद भी वह कुछ ऐसा ही कह रहे थे। लेकिन सवाल है कि जिस गठबंधन में पहले से ही पीएम पद के तमाम चेहरे हों, वहां इन दो नामों का जिक्र करने का क्या अर्थ निकलता है?

Jan 27, 2024 13:58

Short Highlights
  • नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने की अटकलें तेज
  • अखिलेश यादव बोले- 'हमारे यहां पीएम बन सकते थे'
  • विपक्ष के गठबंधन 'इंडिया' के भविष्य पर संकट के बादल
New Delhi : बिहार में खेला हो गया है। नीतीश कुमार एक बार फिर NDA के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं। अगर सारे गुणा-भाग सही बैठे, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द इस्तीफा दोबारा शपथ ले लेंगे। एक तरफ बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस के कई विधायक उसके संपर्क में हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजद भी हार मानने को तैयार नहीं है। राजद की तरफ से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी को डिप्टी सीएम बनाने का ऑफर दे दिया गया। कहीं खबरें ऐसी भी चलीं कि राजद जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी तैयार है। बहरहाल जोड़-तोड़ की कोशिशें दोनों तरफ से जारी हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समादवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का भी बयान सामने आया। अखिलेश ने कहा कि नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का पीएम चेहरा बनाया जाता।

सबको पीएम का लॉलीपॉप थमा रहे अखिलेश
अखिलेश यादव के नीतीश को पीएम बनाने की बात ने जोर इसलिए पकड़ लिया, क्योंकि वह इससे ठीक पहले मायावती को भी 'इंडिया' का पीएम चेहरा बनाए जाने की बात कर चुके हैं। दरअसल कुछ दिनों पहले मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर एलान किया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। इसके तुरंत बाद अखिलेश यादव का बयान सामने आया और उन्होंने कहा कि 'हम (इंडिया गठबंधन) तो उनको प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे।' अब जब नीतीश कुमार के भी 'इंडिया' से अलग होकर NDA के साथ जाने के कयास लग रहे हैं, तो फिर अखिलेश कह रहे हैं कि 'अगर नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ रहते तो प्रधानमंत्री बनते।' अब सवाल ये कि जब 'इंडिया' में पहले से ही कई लोग खुद को पीएम पद का चेहरा मानते हैं तो मायावती और नीतीश को ये लॉलीपॉप दिखाकर अखिलेश क्या साबित करना चाहते हैं? कुछ लोगों को लगता है कि ऐसा करके अखिलेश खुद को भी पीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। लेकिन एक समाचार चैनल को दिए हालिया इंटरव्यू में अखिलेश ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पीएम पद की रेस में नहीं है।

शनैः-शनैः बिखर रहा विपक्षी गठबंधन
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है, विपक्षी पार्टियों का गठबंधन 'इंडिया' बिखर रहा है। पहले मायावती, फिर ममता और अब नीतीश ने खुद को गठबंधन के अलग कर लिया है। विपक्ष को ये तो पता है कि वह सभी अकेले दम पर फिलहाल तो बीजेपी को पटखनी नहीं दे पाएंगे। यही वजह है कि पार्टियों के एक-एक कर अलग होने पर भी वह 'सब चंगा सी' बताना चाहते हैं। अखिलेश का पीएम पद वाला लॉलीपॉप भी शायद इसी का हिस्सा है। बीजेपी ने अभी से लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। अखिलेश यादव भी पीछे नहीं रहना चाहते। उन्होंने कांग्रेस से कह दिया है कि 'अब हमें भी देरी नहीं करनी चाहिए। जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा हो, ताकि सभी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए जुट सकें।'

उत्तर प्रदेश पर अपनी दावेदारी नहीं छोड़ना चाहते अखिलेश
अखिलेश यादव गठबंधन को सफल बनाने के चाहें लाख दावें कर लें, लेकिन सच्चाई ये है कि वह यूपी में अपनी दावेदारी कम नहीं होने देना चाहते। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 20 सीटें मांग रही है, अखिलेश 15 से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं। कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सब बेनतीजा रहीं। उधर राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं, तो इधर अखिलेश ने अपनी पीडीए यात्रा शुरू कर दी है। वह बार-बार पीडीए को देश की आवाज बता रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि 'इंडिया' को पीडीए ही रास्ता दिखाएगा।

अकेले लड़कर 'इंडिया' का गेम बिगाड़ेगी बसपा?
लोगों का मानना है कि बसपा अगर अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ती है तो इससे इंडिया गठबंधन को नुकसान होने की आशंका है। हालांकि कई राजनीतिक विश्लेषक इससे सहमत नहीं है। उनका कहना है कि अगर मुकाबला त्रिकोणीय होगा, तो वोट बंट जाने से बीजेपी को भले ही थोड़ा फायदा हो जाए, लेकिन 'इंडिया' गठबंधन को नुकसान नहीं होगा। आंकड़े बताते हैं कि मायावती जब भी गठबंधन में लड़ी हैं, उन्हें फायदा ही हुआ है। 2014 में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था, उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन 2019 में सपा के साथ गठबंधन कर लड़ने पर बसपा को 10, जबकि समाजवादी पार्टी को 5 सीटें मिली थीं। जाहिर है बीएसपी को दूसरी पार्टियों का वोट तो ट्रांसफर हो रहा है, लेकिन उसका वोट गठबंधन की पार्टियों के पास नहीं जा रहा है। एक संभावना इस बात की भी जताई जा रहे हैं कि 2014 में जिस प्रकार की मोदी लहर थी, उतनी 2019 में नहीं थी। ऐसे में अगर मायावती 2019 में भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करतीं, तो भी शायद लगभग इतनी ही सीटें जीत लेतीं।

किसके पक्ष में आएगा 2024 का नतीजा?
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को 203 में से 19 सीटें ही मिली थीं। यह 1991 के बाद उसका सबसे खराब प्रदर्शन था। लेकिन 2022 में हालात इससे भी बुरे हो गए और उसे मात्र 1 सीट मिली। एक तरीके से कहें तो मायावती का सियासी करियर अब ढलान पर है। लेकिन जानकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में बसपा के पास अभी भी 12 प्रतिशत का वोट शेयर है। वहीं पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी उसके पास 4 से 8 फीसदी वोटों का आधार है। मायावती का आर्मचेयर की राजनीति करने वाली नेता करार देने वाले जानकार मानते हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव कई राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं का सियासी भविष्य तक करेगा। अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को विपक्षी गठबंधन के चलते कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ भी जाए, वह बिहार से इसकी भरपाई करने में जुट ही गई है।

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