ब्रिटेन में शरिया अदालतों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में 1982 में पहली शरिया अदालत की स्थापना हुई थी, और आज इनकी संख्या बढ़कर 85 हो गई है।
ब्रिटेन में बढ़ रहीं शरिया अदालतें : महिलाओं के अधिकार और समानांतर कानूनी प्रणाली पर उठे सवाल
Dec 20, 2024 18:00
Dec 20, 2024 18:00
शरिया अदालतों की बढ़ती संख्या और कार्यप्रणाली
ब्रिटेन में शरिया अदालतें मुस्लिम समुदाय के निजी मामलों जैसे निकाह, तलाक और संपत्ति विवाद सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
इस्लामिक निकाह : रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में लगभग एक लाख इस्लामिक निकाह हो चुके हैं, जिन्हें सरकार के साथ पंजीकृत नहीं कराया गया है।
वसीयत ऐप्लिकेशन : एक नई ऐप्लिकेशन की शुरुआत हुई है, जिसमें इस्लामिक वसीयत के नियमों का पालन करते हुए पुरुष अपनी चार पत्नियों और संपत्ति के बंटवारे का विवरण दर्ज कर सकते हैं।
महिलाओं के अधिकारों पर संकट
शरिया अदालतों के फैसले महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
- महिलाओं को उनकी पैतृक संपत्ति में भाइयों से आधा हिस्सा ही मिलता है।
- तलाक के मामलों में महिलाओं को दीन के हिसाब से फैसला सुनाया जाता है, जबकि पुरुषों को तलाक देने का पूर्ण अधिकार है।
नेशनल सेक्युलर सोसाइटी के प्रमुख स्टीफन एवन्स ने शरिया अदालतों को महिलाओं के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा, "ये अदालतें समान कानून के सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं।"
शरिया अदालतों के आलोचक और विवाद
ब्रिटेन की एक प्रमुख शरिया अदालत की स्थापना हैथम अल-हद्दाद ने की थी।
- उन्होंने 2009 में दिए एक विवादित बयान में कहा था कि पति द्वारा पत्नी को मारने के मामलों में सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
- हालांकि, बाद में उन्होंने टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनका यह बयान निकाह बचाने के संदर्भ में था।
ब्रिटेन सरकार ने साफ किया है कि शरिया अदालतें इंग्लैंड और वेल्स में किसी भी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं। इसके बावजूद, इन अदालतों के बढ़ते प्रभाव और उनके फैसलों से संबंधित चिंताएं बनी हुई हैं।
समानांतर कानून और मुस्लिम महिलाओं की स्थिति
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन में शरिया अदालतें समानांतर कानूनी प्रणाली चला रही हैं, जो न केवल महिलाओं बल्कि समाज के मूलभूत ढांचे के लिए भी खतरा है।
- मुस्लिम लड़कियों को कट्टरपंथी देशों जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
- निकाह और पारिवारिक विवादों में पुराने 7वीं से 13वीं शताब्दी के कानूनों के आधार पर फैसले दिए जा रहे हैं।
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