राज्यसभा चुनाव 2024 : रामजी लाल सुमन की जीत के साथ एससी वोटर्स पर सपा का निशाना

रामजी लाल सुमन की जीत के साथ एससी वोटर्स पर सपा का निशाना
UPT | Rajya Sabha Election

Feb 27, 2024 15:27

लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां अपने समीकरण सेट करने में जुटी हैं। यूपी की महत्वपूर्ण सीटों पर सभी पार्टियां अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में किसकी दावेदारी मजबूत होगी यह राज्यसभा सदस्य के चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी से तय मानी जा रही है। जिसके चलते समाजवादी पार्टी ने आगरा के साथ ही अलीगढ़ मंडल के जिलों में वोटर्स को साधने के लिए अपना निशाना पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन के जरिए लगाया। जानिए कौन हैं राज्यसभा सदस्य के रूप में पांचवीं बार सांसद चुने जाने वाले रामजीलाल सुमन।

Feb 27, 2024 15:27

New Delhi : लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां अपने समीकरण सेट करने में जुटी हैं। यूपी की महत्वपूर्ण सीटों पर सभी पार्टियां अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में किसकी दावेदारी मजबूत होगी यह राज्यसभा सदस्य के चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी से तय मानी जा रही है। जिसके चलते समाजवादी पार्टी ने आगरा के साथ ही अलीगढ़ मंडल के जिलों में वोटर्स को साधने के लिए अपना निशाना पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन के जरिए लगाया। 26 साल की उम्र में फिरोजाबाद से सांसद निर्वाचित हुए रामजी लाल सुमन की पकड़ आगरा के साथ अलीगढ़ मंडल में भी दिखती है। जिसका असर आगरा और अलीगढ़ मंडल की लोकसभा सीटों पर देखने को मिलेगा। क्योंकि आगरा और अलीगढ़ मंडल एससी बाहुल्य क्षेत्र हैं। इसके चलते रामजीलाल सुमन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया। जो चौथी बार सांसद की कुर्सी पर बैठेंगे। जिनकी जीत के साथ ही सपा में खुशी की लहर भी दौड़ गई है।

लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी
जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव में रालोद से गठबंधन टूटने पर एससी वोट में सेंधमारी के लिए सपा ने राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। मूल रूप से सादाबाद के गांव बहरदोई निवासी रामजीलाल सुमन 26 वर्ष की आयु में 1977 में फिरोजाबाद से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। इसके साथ ही फिरोजाबाद से वह वर्ष 1977, 1989, 1999 और 2004 में चार बार सांसद रहे। सपा ने 2014 और 2019 में उन्हें हाथरस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया था, लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। जिसके चलते समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी बनाया।

सपा के दिग्गज नेता और मुलायम सिंह के करीबी रहे हैं
रामजी लाल सुमन ने 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव का साथ पकड़ लिया था। जिसके बाद रामजीलाल सुमन 1999 में सपा के टिकट पर फिरोजाबाद लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। वहीं 2004 में भी सपा की सीट से जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे थे। 1996 से अब तक सपा में राष्ट्रीय महासचिव के पद को भी संभाले हुए हैं।  बता दें कि प्रदेश के साथ साथ केंद्र की राजनीति में सुमन एक नामचीन चेहरा रहे हैं। उन्हें सपा दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता है। बहरदोई के रहने वाले रामजीलाल सुमन का जन्म 25 जुलाई 1950 को हुआ था। इन्होंने अपनी शिक्षा हाथरस व आगरा से की।

बेबाकी के लिए जाने जाते हैं रामजीलाल सुमन
रामजीलाल सुमन के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह 26 साल की उम्र में जनता पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 1989 में  जनता दल से फिरोजाबाद लोकसभा से चुनाव लड़कर सांसद बने। इस दौरान रामजीलाल सुमन को चंद्रशेखर का भी करीबी माना जाता था। जिसके चलते 1991 में सुमन को श्रम कल्याण, महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री बनाया था। अपनी बेबाकी में अलग पहचान रखने वाले रामजी लाल सुमन की राजनीति में ऊंचाई छूने की चर्चाएं छात्र राजनीति से ही होने लगी थीं। हाथरस में वर्ष 1971 में एमजी पाॅलीटेक्निक के छात्र रवेंद्र और बंटी की हत्या के बाद बड़ा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन का नेतृत्व रामजीलाल सुमन ने ही किया था। इस आंदोलन से उनकी राजनीतिक पारी को रफ्तार भी मिली थी। जिसके बाद उनका राजनीतिक सफर लगातार बढ़ता ही गया। एक बार फिर वो राज्यसभा सांसद के लिए प्रत्याशी बने।

एक नजर में राजनीतिक सफर
- वर्ष 1977 में महज 26 वर्ष की आयु में पहली बार फिरोजाबाद से सांसद चुने गए।
- इसके बाद वर्ष 1989, 1999 और 2004 फिरोजाबाद से ही वह सपा से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे।
- चंद्रशेखर की सरकार में 1991 में वह श्रम और बाल विकास मंत्री रहे।
- यह विडंबना रहीं कि वह अपने गृह जनपद में जीत का स्वाद नहीं चख सके।
- 2014 में वह हाथरस लोकसभा से सपा के प्रत्याशी बने और चुनाव हार गए।
- 2019 के लोकसभा में सपा-बसपा गठबंधन में फिर से वह हाथरस से चुनाव लड़े, लेकिन फिर हार गए।

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