जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा, और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने ममता त्रिपाठी के पक्ष में आदेश पारित करते हुए उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : पत्रकार को जातिगत भेदभाव के आरोपों पर दर्ज FIR में दी अंतरिम सुरक्षा, यूपी सरकार से मांगा जवाब
Oct 24, 2024 23:42
Oct 24, 2024 23:42
सुप्रीम कोर्ट में की थी याचिका दाखिल
ममता त्रिपाठी के खिलाफ चार अलग-अलग FIR दर्ज की गई थीं, जिनमें उनके द्वारा प्रकाशित लेखों में उत्तर प्रदेश के प्रशासन पर जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए गए थे। ममता त्रिपाठी ने इन FIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग पर भी विचार किया।
याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई न करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने ममता त्रिपाठी के मामले में चार हफ्तों के लिए वापस करने योग्य नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस अवधि के दौरान पत्रकार के खिलाफ किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। जस्टिस गवई ने आदेश सुनाते हुए कहा, "इस अवधि में, याचिकाकर्ता के खिलाफ लेखों से संबंधित कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी।"
दर्ज FIR में दी अंतरिम सुरक्षा
गौरतलब है कि हाल ही में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR पर उन्हें अंतरिम सुरक्षा दी थी। उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश सरकार में जातिगत मुद्दों पर लेख लिखे थे, जिसके बाद उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक उपाध्याय को अंतरिम संरक्षण देते हुए कहा था कि पत्रकारों के लेखों को सिर्फ सरकार की आलोचना मानकर उनके खिलाफ आपराधिक मामले नहीं चलाए जा सकते हैं।
यूपी सरकार से मांगा जवाब
ममता त्रिपाठी की ओर से अदालत में सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि पत्रकार पर लगातार FIR दर्ज की जा रही हैं, जो पूरी तरह से उत्पीड़न का मामला है। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही त्रिपाठी कुछ ट्वीट करती हैं या प्रशासन के कामकाज की आलोचना करती हैं, उनके खिलाफ नए मामले दर्ज हो जाते हैं। ममता ने ठाकुर और ब्राह्मण समुदायों के बीच जातिगत मुद्दों पर भी लेख लिखे थे, जिनके कारण उन पर FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में न्यायमूर्ति गवई ने यह भी पूछा कि याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों किया। इस पर सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि यह मामला उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का है, और इससे पहले पत्रकार अभिषेक
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