आज की बड़ी खबर : हर निजी संपत्ति को सरकार नहीं ले सकती, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का अहम फैसला

हर निजी संपत्ति को सरकार नहीं ले सकती, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का अहम फैसला
UPT | supreme court

Nov 05, 2024 13:17

इस फैसले ने 1978 से लेकर अब तक के कई सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को पलट दिया है। 9 जजों की बेंच ने दशकों पुरानी इस कानूनी लड़ाई पर अपना निर्णय सुनाया है...

Nov 05, 2024 13:17

Short Highlights
  • सुप्रीम कोर्ट का  निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला
  • सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं
  •  ⁠9 जजों के संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
New Delhi News : सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति के विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में नौ जजों की संविधान पीठ ने यह निर्णय लिया कि सभी निजी संपत्तियां समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं होतीं, हालांकि कुछ संपत्तियां इस श्रेणी में आ सकती हैं। इस फैसले ने 1978 से लेकर अब तक के कई सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को पलट दिया है। 9 जजों की बेंच ने दशकों पुरानी इस कानूनी लड़ाई पर अपना निर्णय सुनाया है। बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इस साल 1 मई को अपनी सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। 

तीन अलग-अलग जजमेंट
इस मामले में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस निर्णय में तीन अलग-अलग जजमेंट हैं—उनका खुद का, छह अन्य जजों का, जस्टिस नागरत्ना का आंशिक सहमति वाला और जस्टिस धुलिया का असहमति वाला। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि केशवानंद भारती मामले में जो कानूनी स्थिति बनी थी, उसे बरकरार रखा गया है, विशेषकर अनुच्छेद 31सी के संदर्भ में। यह निर्णय भारत के कानूनी परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।



नौ जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने संविधान के आर्टिकल 39(b) का विश्लेषण करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। इस बेंच के 7 न्यायाधीशों ने बहुमत से यह फैसला दिया कि निजी संपत्ति को सामुदायिक लाभ के लिए अनिवार्य रूप से अधिग्रहित नहीं किया जा सकता। इस निर्णय में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने सहमति जताई। हालांकि, बेंच में शामिल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस बीवी नागरत्ना का मत इससे अलग था।

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सरकार केवल इन्हीं भौतिक संसाधनों पर कर सकती है दावा
प्रधान न्यायाधीश ने सात न्यायाधीशों का बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्तियां केवल भौतिक संसाधन नहीं होतीं और इसलिए इन्हें सरकार द्वारा कब्ज़े में नहीं लिया जा सकता। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सरकार केवल उन भौतिक संसाधनों पर दावा कर सकती है जो समुदाय के पास हैं और जो जनता की भलाई के लिए उपयोगी हो सकते हैं। बहुमत के फैसले में यह भी कहा गया कि निजी संपत्तियों पर सरकारी कब्जे का पुराना विचार विशेष आर्थिक और समाजवादी सोच से प्रेरित था, जिसे अब नई दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

पुराने फैसले को किया खारिज
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के पुराने फैसले को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि सरकार सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को अधिग्रहित कर सकती है। अदालत ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलटते हुए, जिनमें समाजवादी विचारधारा के तहत सरकार को निजी संपत्तियां अपने कब्जे में लेने का अधिकार दिया गया था।

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