स्विस संगठन की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में बेचे जा रहे अपने शिशु उत्पादों (बेबी फूड) में अतिरिक्त चीनी मिला रही है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही भारत में हड़कंप मच गया है।
बेबी फूड में चीनी की मिलावट कर रही नेस्ले? : स्विस संगठन की रिपोर्ट में खुलासा, जांच के घेरे में आई कंपनी
Apr 18, 2024 13:56
Apr 18, 2024 13:56
- फिर विवादों में घिरी नेस्ले कंपनी
- बेबी फूड में चीनी की मिलावट का आरोप
- कंपनी ने आरोपों से किया इंकार
जानिए क्या है पूरा मामला
स्विस संगठन पब्लिक आई ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जा रहे बेबी फूड के नमूने जांच के लिए बेल्जियम की लैब में भेजे। इसमें पाया गया कि कंपनी भारत सहित कम समृद्ध देशों में विक्रय के लिए उपलब्ध उत्पादों में चीनी की अतिरिक्त मात्रा मिला रही है। भारत में सेरेलैक बेबी अनाज में अतिरिक्त चीनी औसत 3 ग्राम प्रति सर्विंग मिलाई जाती है। परिणामों से पता चला कि एक साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले दूध फार्मूला ब्रांड निडो और छह महीने से दो साल की उम्र के बच्चों के लिए उपयोग किए जाने वाले अनाज सेरेलैक के नमूनों में सुक्रोज या शहद के रूप में चीनी मिलाई गई थी।
NEW INVESTIGATION - Two of the best-selling @Nestle’s baby-food marketed in low- and middle-income countries are packed with added sugar, while such products are sugar free in its home country CH. Read now👉 https://t.co/JFl9kFZDTn #health #sugar #nestle
— Public Eye (@publiceye_ch) April 17, 2024
कंपनियां अपना रहीं दोहरा मानक
नेस्ले जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ ये बड़ी समस्या है कि वह अमेरिका और यूरोपीय देशों में तो कम चीनी या बगैर चीनी वाले उत्पाद बेचती हैं, लेकिन जब बारी भारत और अन्य देशों की आती है, तो वह कभी चॉकलेट तो कभी बेबी फूड में चीनी की मात्रा बढ़ा देती हैं। यहां तक की नेस्ले अपने खुद के देश स्विट्जरलैंड में भी इन वस्तुओं में चीनी को शामिल नहीं करती है। जाहिर है कि भारत इन कंपनियों के लिए आकर्षक बाजार है। देश में साल 2022 में ही 250 मिलियन डॉलर से अधिक की बिक्री ऐसे ही सामानों की हुई थी। लेकिन फिर भी दोहरे मानक अपनाने से ये कंपनियां परहेज नहीं करती हैं।
भारतीय एजेंसियां किस काम की?
जब स्विस संगठन की जांच रिपोर्ट सामने आती है, तब भारतीय की एजेंसियां और सरकार हरकत में आज जाते हैं। आनन-फानन में जांच के लिए सैम्पल भेजने को कहा जाता है। लेकिन तब सवाल ये पूछा जाता है कि भारतीय बाजार में बेचे जा रहे खाद्य उत्पादों की जांच के लिए जिम्मेदार एजेंसियां कहां सो रही थीं? क्या हर बार किसी दूसरे संगठन के रिपोर्ट के बाद ही भारतीयों के स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ेगी?
नेस्ले ने इस मामले पर क्या कहा?
नेस्ले ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी ने अपने बेबी फूड में अतिरिक्त शुगर को पिछले 5 साल में 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि हम नियमित रूप से अपने उत्पादों की जांच करते हैं और इनकी क्वालिटी, सुरक्षा और स्वाद से कोई समझौता नहीं किया जाता है। भारत में यह खबर सामने आते ही नेस्ले इंडिया के शेयरों में गिरावट आ गई।
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