यूपी मदरसा बोर्ड अवैध : बच्चों को आधुनिक शिक्षा में शामिल करने का नियम बने, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का फैसला

बच्चों को आधुनिक शिक्षा में शामिल करने का नियम बने,  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का फैसला
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Mar 22, 2024 16:15

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजूकेशन एक्ट को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला बताते हुए इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है।

Mar 22, 2024 16:15

Lucknow news : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की डबल बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजूकेशन एक्ट को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला बताते हुये अवैध घोषित कर दिया। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने इस प्रकरण से जुड़े कुछ सवाल पूर्ण पीठ (बड़ी बेंच) को भेजने के साथ यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले में ठोस योजना बनायें। ताकि मदरसों में पढ़ाई कर रहे बच्चों को आधुनिक शिक्षा में समायोजित किया जा सके।

उत्तर प्रदेश सरकार में मदरसों में विदेशी फंडिंग, आधुनिक शिक्षा से दूरी, फर्जी मदरसों की जांच के लिए वर्ष 2023 में एसआईटी का गठन किया था। जिसकी आंशिक जांच रिपोर्ट आ गयी है, अभी कुछ हिस्सों की जांच चल रही है। इस बीच अंशुमान सिंह राठौड़ ने एक याचिका दाखिल कर मदरसा शिक्षा के लिए गठित मदरसा एजूकेशन बोर्ड के नियमों और एक्ट की वैधानिकता को चुनौती दी थी। इसमें मदरसा बोर्ड की शक्तियों को भी चुनौती दी गयी थी। इस याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट ने याची को सुनने के साथ एमिकस क्यूरी अकबर अहमद और अन्य अधिवक्ताओं का पक्ष भी सुना और बोर्ड को अवैध करार दे दिया। इतना ही नहीं डबल बेंच ने इस एक्ट पर ढेरों सवालों का उत्तर देने के उसे रिट याचिका नंबर 29324 (S/S) 2019: मोहम्मद जावेद बनाम यूपी राज्य और अन्य में जोड़ते हुये पूर्ण पीठ को भेज दिया है। 

पूर्णपीठ यानी बड़ी बेंच को भेजा गया
1 -मदरसा बोर्ड का गठन 'अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामी-अध्ययन, तिब्ब तर्क शिक्षा के लिए किया गया। जिसमें ऐसी अन्य शाखाएं शामिल हैं, जो समय-समय पर निर्दिष्ट की जा सकती हैं। तब किसी विशेष धर्म के व्यक्तियों को इसका सदस्य बनने का प्रावधान क्यों है? 
2-पीठ का कहना है सरकारी वकील से जानना चाहा गया  कि क्या बोर्ड का उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है। इस पर उनका कहना है कि मदरसा शिक्षा अधिनियम, 2004 का अवलोकन ऐसा संकेत नहीं देता।
3- भारत में धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ किसी विशेष धर्म के व्यक्तियों को शिक्षा उद्देश्यों के लिए बोर्ड में नियुक्त / नामांकित किया जा सकता है या यह किसी भी धर्म से संबंधित व्यक्ति होना चाहिए, जो उन क्षेत्रों में योग्यता रखता हो, जिनके लिए बोर्ड का गठन किया गया। अथवा  ऐसे व्यक्तियों को धर्म की परवाह किए बिना नियुक्त किया जाना चाहिए, जो उस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हों जिनके लिए बोर्ड का गठन किया गया? 
4- अधिनियम बोर्ड को यूपी राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत कार्य करने का प्रावधान करता है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या मदरसा शिक्षा को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत संचालित करना मनमाना है, जबकि अन्य सभी शिक्षाएं जैन, सिख, ईसाई आदि जैसे अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित संस्थान शिक्षा मंत्रालय के तहत चलाए जा रहे हैं ? क्या यह मनमाने ढंग से मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के विशेषज्ञों और उनकी नीतियों का लाभ देने से इनकार करता है?

मदरसा बोर्ड का गठन
मदरसा बोर्ड का गठन-विधान अनुभाग-1, उप्र अधिसूचना संख्या 1571/सात-वि.-1-1(ए) 33-2004 दिनांक 06.12.2004 द्वारा उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 प्रख्यापित एवं किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग-3, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचना संख्या सीएम-205/52-3-2007-2(170)/98 दिनांक 14.12.2007 द्वारा लागू, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ का गठन किया गया था, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है। 

मदरसा अनुदान
समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में संचालित आलिया स्तर के स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान सूची में लिया गया है। जिसके लिए प्राप्त प्रस्तावों की जांच की जाती है और जो मदरसे मापदंड एवं शर्तें पूरी करते हों उन्हें अनुदान के लिए शामिल करने की अनुशंसा की जाती है। वर्तमान में आलिया स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त अनुदानित मदरसों की कुल संख्या 560 है, जिनमें कार्यरत शिक्षकों/गैर-शिक्षण कर्मचारियों की संख्या इस प्रकार है।

मदरसे का संचालन
परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 के तहत विनियम 2016 में निहित शर्तों का अनुपालन करना होता। कमियां पाए जाने पर उसे दूर करने का नोटिस देने का नियम है। आदेशों की अवहेलना या मानक पूरा न करने पर मान्यता निलंबित की जाती है। 

मदरसों पर नियंत्रण
प्रदेश में स्थित सभी मान्यता प्राप्त मदरसों को नियंत्रित करने के लिए यूपी सरकार अरबी एवं फारसी मदरसा मान्यता एवं प्रशासन सेवा विनियम 2016 में निहित प्रावधानों का पालन किया जाता है। मदरसों पर नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की तैनाती है। इसके साथ ही पूरे प्रदेश के मदरसों को नियंत्रित करने के लिए यूपी मदरसा शिक्षा परिषद के स्तर पर रजिस्ट्रार/इंस्पेक्टर और सब रजिस्ट्रार काम कर रहे हैं। रजिस्ट्रार परिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी है।

यूपी में पंजीकृत मदरसों की संख्या
ताथानिया (प्राथमिक स्तर), फौकानिया (जू. हाई स्कूल स्तर) स्तर के मदरसों की संख्या-14677 है। जबकि आलिया (मुशी, मौलवी, आलिम, कामिल, फ़ाज़िल) यानी इंटरमीडिएट स्तर के मदरसों की संख्या- 4536 है।

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