ट्रेनों में गंदे चादर और कंबल मिलने की शिकायतें अब जल्द ही बीते दिनों की बात हो सकती हैं। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को स्वच्छ बेडरोल उपलब्ध कराने के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया है।
रेलवे लॉन्ड्री में AI तकनीक का इस्तेमाल : गंदे चादर और कंबल की शिकायतें होंगी खत्म, यात्रियों को मिलेगी पारदर्शिता
Dec 02, 2024 22:59
Dec 02, 2024 22:59
कैसे काम करेगा एआई?
मध्य रेलवे के पुणे मंडल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह तकनीक पहले से लागू की जा चुकी है। मशीनीकृत लॉन्ड्री में चादरों को कन्वेयर सिस्टम पर डाला जाता है, जहां हाई-क्वालिटी कैमरों की मदद से प्रत्येक चादर की तस्वीर ली जाती है। इसके बाद एआई-सक्षम सॉफ्टवेयर दाग और क्षति की सटीक पहचान करता है। यह सिस्टम हर चादर पर दाग और क्षति का प्रतिशत रिकॉर्ड करता है, जिससे गंदे बेडरोल को स्वचालित रूप से अलग कर दिया जाता है। रेलवे इसे जल्द ही सभी मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में लागू करने की योजना बना रहा है।
लाखों चादरों की धुलाई का प्रबंधन
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रोजाना लाखों चादरों की धुलाई होती है। पूर्वोत्तर रेलवे में प्रतिदिन 48,000 लिनेन पैकेट तैयार किए जाते हैं और करीब एक लाख चादरों की धुलाई होती है। लॉन्ड्री की निगरानी के लिए 15 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा, बेडरोल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है।
यात्रियों को मिलेगी पारदर्शिता और संतोष
यात्रियों की संतुष्टि के लिए हर लिनेन पैकेट पर क्यूआर कोड दिया गया है। इसे स्कैन करने पर पूरी धुलाई प्रक्रिया का विवरण दिखता है। बेडशीट की सफेदी की जांच के लिए मीटर लगाए गए हैं, और कंबलों की धुलाई क्षमता बढ़ाई गई है। हर एसी कोच में बेडरोल वितरण के लिए अटेंडेंट की नियुक्ति की गई है, जो यात्रियों से फीडबैक भी लेते हैं।