परीक्षा में धांधली पर अब जीरो टॉलरेंस : एंटी पेपर लीक कानून से लेकर यूपी सरकार के अध्यादेश तक, पिछले 15 दिनों में क्या-क्या बदला?

एंटी पेपर लीक कानून से लेकर यूपी सरकार के अध्यादेश तक, पिछले 15 दिनों में क्या-क्या बदला?
UPT | परीक्षा में धांधली पर अब जीरो टॉलरेंस

Jun 25, 2024 17:06

परीक्षाओं में धांधली अब एक आम समस्या बन गई है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले हर इम्तिहान में धांधली की कोशिश की जाती है। कुछ मामले उजागर हो जाते हैं, तो कुछ कभी सामने नहीं आते। बहरहाल पिछले 15 दिनों में पेपर लीक और धांधली रोकने को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए हैं।

Jun 25, 2024 17:06

Short Highlights
  • परीक्षा में धांधली पर अब जीरो टॉलरेंस
  • 15 दिनों में हुए कई बड़े फैसले
  • दावे करने में खूब आगे है सरकार
New Delhi : परीक्षाओं में धांधली अब एक आम समस्या बन गई है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले हर इम्तिहान में धांधली की कोशिश की जाती है। कुछ मामले उजागर हो जाते हैं, तो कुछ कभी सामने नहीं आते। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला है कि छात्र पेपर लीक और धांधली के आरोप लगाते हैं और सरकार व परीक्षा करवाने वाली संस्था इस पर अड़े रहते हैं कि कोई धांधली नहीं हुई है। फिर छात्र ही धांधली से जुड़े सबूत पेश करते हैं और अंत में छात्रों के लंबे संघर्ष के बाद जब यह सिद्ध हो जाता है कि धांधली हुई है, तो बेशर्मी के साथ सरकार और संस्थान ये कह देते हैं कि हम छात्रों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। बहरहाल पिछले 15 दिनों में पेपर लीक और धांधली रोकने को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए हैं।

एंटी पेपर लीक कानून बना
केंद्र सरकार ने 21 जून की आधी रात को पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 का नॉटिफिकेशन जारी किया इसे देश में एंटी पेपर लीक कानून भी कहा जा रहा है। इसका कानून का उद्देश्य भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकना है। पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 में ऐसे कई प्रावधान हैं, जिससे पेपर लीक को रोकने में मदद मिलेगी। कानून में पेपर लीक के दोषियों को तीन से दस साल की सजा और 10 लाख से एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है। संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC, स्टाफ सेलेक्शन कमीशन यानी SSC, रेलवे की परीक्षा, बैकिंग के पेपर यानी IBPS, केंद्र सरकार के अधीन आने वाले मंत्रालयों और विभागों की भर्ती, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA द्वारा कराई जाने वाली परीक्षाओं के साथ-साथ केंद्र की अन्य सभी परीक्षाओं पर यह कानून लागू होगा। कानून के मुताबिक, परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने वालों के खिलाफ 3-5 साल की कैद और ₹10 लाख तक का जुर्माने का प्रावधान है। सर्विस प्रोवाइडर के दोषी पाए पर ₹1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जाएगा। संगठित अपराध की स्थिति में 5 से 10 साल की कैद और कम से कम ₹1 करोड़ का जुर्माना देना होगा। अनधिकृत संचार के माध्यम से परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की सहायता करना, कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य उपकरणों के साथ छेड़छाड़ के अलावा अगर सर्विस प्रोवाइडर किसी भी अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी।

सीबीआई को सौंपी गई जांच
नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज कर ली है। 4 जून को नीट परीक्षा का रिजल्ट जारी होने के बाद  पता चला कि 1500 से अधिक छात्रों को परीक्षा में ग्रेस मार्क दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि ग्रेस मार्क पाने वाले छात्रों की परीक्षा दोबारा कराई जाए। इस धांधली के तार बिहार से लेकर महाराष्ट्र और झारखंड से लेकर गुजरात तक मामले के तार जुड़ते जा रहे है। बिहार पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उन्होंने स्वीकार किया है कि परीक्षा से एक दिन पहले ही पेपर लीक हो गया था। नीट यूजी परीक्षा में कथित धांधली के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद छात्रों को उम्मीद जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा। जांच एजेंसी राज्यों में दर्ज अलग-अलग एफआईआर को टेक ओवर करेगी और गिरफ्तार लोगों को कस्टडी में भी लिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीआई से उम्मीदवारों, संस्थानों और बिचौलियों द्वारा साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, अमानत में ख्यानात और सबूतों को नष्ट करने सहित कथित अनियमितताओं की पूरी साजिश की व्यापक जांच करने का अनुरोध किया है।

NTA के डीजी हटाए गए
नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों को केंद्र सरकार पहले झूठा करार देती रही। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां तक कह दिया कि पेपर लीक का कोई सवाल ही नहीं उठता। लेकिन जैसे-जैसे तारीख बदलती गई, सरकार के तेवर ढीले पड़ते गए। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसी छात्र के साथ नाइंसाफी नहीं की जाएगी। 22 जून को केंद्र सरकार ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार को हटा दिया। उनकी जगह रिटायर्ड IAS प्रदीप सिंह खरोला NTA के नए महानिदेशक बनाए गए। खरोला फिलहाल आईटीपीओ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। उधर बताया जा रहा है कि बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह से भी पूछताछ करना चाहती है। वहीं शिक्षा मंत्रालय ने भी एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं की पारदर्शिता, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित को लेकर सिफारिश देगी। इस हाईलेवल कमेटी की कमान इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर BoG अध्यक्ष  डॉ. के. राधाकृष्णन को सौंपी गई है। नीट यूजी की परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर सवालों की उंगली एनटीए की तरफ भी उठ रही है। नए डीजी बनाए गए खरोला के कंधों पर इनसे निपटने की जिम्मेदारी भी है।

यूपी सरकार ने जारी किया अध्यादेश
केंद्र की कोशिशों के बाद अब यूपी में योगी सरकार भी एक्शन में आ गई है। योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में पेपर लीक से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल, पेपरलीक को रोकने और सॉल्वर गैंग पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2024 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। यह अध्यादेश सभी सार्वजनिक भर्ती परीक्षा, प्रमोशन या नियमितीकरण परीक्षा, डिग्री-डिप्लोमा, शैक्षणिक संस्थानों की प्रवेश परीक्षा पर लागू होगा। अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 2 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा समेत एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं परीक्षा प्रभावित होने पर पूरी लागत सॉल्वर गिरोह या परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था अथवा व्यक्ति से वसूला जाएगा और ऐसी संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा। इस संबंध में जमानत के लिए भी कठोर प्रावधान किए गए हैं। इस अध्यादेश के तहत फर्जी पेपर बांटने और फर्जी सेवायोजन वेबसाइट चलाने पर भी सजा का प्रावधान है।

अब तक यूपी में कितने पेपर लीक हुए
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और उसी साल 25 और 26 जुलाई को होने वाली दरोगा भर्ती परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। वजह पेपर लीक। साल 2018 की फरवरी में यूपीपीसीएल के जूनियर इंजीनियर की परीक्षा का पर्चा लीक हो गया। मई में ग्राम विकास अधिकारी की 1953 पदों के लिए भर्ती निकली, लेकिन रिजल्ट के बाद धांधली के चलते परीक्षा रद्द कर दी गई। जून में आरक्षी नागरिक पुलिस की भर्ती परीक्षा होनी थी। अभ्यर्थी सेंटर पहुंचे तो उन्हें गलत पेपर बांट दिया गया। नतीजा- परीक्षा रद्द करनी पड़ी। साल 2018 का ही जुलाई महीना। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबऑर्डिनेट पद की परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द करनी पड़ी। उसी साल का सिंतबर महीना, जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ही करवाई जाने वाली ट्यूबवेल ऑपरेटर की परीक्षा का पेपर लीक हो गया। दिसंबर 2018 में आई 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए निकली वैकेंसी धांधली के आरोपों के चलते अभी भी अधर में लटकी है और अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं।

अभी और लंबी है लिस्ट
अप्रैल 2021 में फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा होनी थी, लेकिन आयोग परीक्षा करवाने के इंतजाम ही नहीं कर पाया। नतीजा- परीक्षा रद्द करनी पड़ी। अगस्त 2021 में UPSSC द्वारा PET के इम्तिहान करवाए जाने थे। खूब तैयारी हुई, हजारों सीसीटीवी लगवाए गए, खूब दावे हुए, मगर पेपर फिर भी लीक हो गया। अक्टूबर 2021 में सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक और प्रधानाचार्य की भर्ती परीक्षा होनी थी, लेकिन एक प्रिंसिपल ने अपनी बेटी को पास कराने के लिए पेपर लीक करवा दिया। नवंबर 2021 में एक ही दिन दो बड़ी परीक्षाएं होनी थीं। एक SI भर्ती और दूसरी TET की। जाहिर तौर पर कई अभ्यर्थियों ने दोनों परीक्षाओं का फॉर्म भरा होगा, लेकिन तारीख की वजह से एक ही दे पाए होंगे। इनमें से जिन्होंने ने भी UPTET को चुना, अपनी किस्मत फोड़ ली। पेपर लीक हो गया और परीक्षा रद्द। संख्या यहीं थमी नही है। लेखपाल भर्ती और यूपी बोर्ड परीक्षा के अंग्रेजी विषय के पेपर लीक होने का तो हमने अभी जिक्र भी नहीं किया।

दावे करने में खूब आगे है सरकार
मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब प्रदेश के युवाओं को उनसे काफी उम्मीदें थीं। पिछली सरकारों के दौरान भर्तियों में हुई धांधली और युवाओं के भविष्य का मुद्दा बीजेपी ने चुनाव में खूब भुनाया था। लेकिन तारीख बदली, सरकार भी बदली, पर नहीं बदले तो बस हालात। सिर्फ साल 2022 में योगी सरकार का कार्यकाल खत्म होने तक ही प्रदेश में पेपर लीक और धांधली की 11 बड़ी घटनाएं हुईं। सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद नकल माफियाओं पर लगाम लगी, लेकिन जो मामले हमने आपको बताए, उससे असल स्थिति का अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं।

सिर्फ यूपी ही नहीं, हर जगह यही हाल
ऐसा नहीं है कि पेपर लीक के मामले केवल उत्तर प्रदेश में ही सामने आ रहे हैं। यूपी के अलावा हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, असम, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी पेपर लीक के मामले सामने आए हैं। इन 15 राज्यों में पिछले 5 साल में 41 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था एनटीए का भी रिकॉर्ड कुछ साफ नहीं है। 2018 में एनटीए का गठन हुआ और 2019 में ही जेईई मेन्स के पेपर के दौरान सर्वर में दिक्कत की शिकायत आई। 2020 में नीट यूजी का पेपर हुआ, तो परीक्षा कई बार स्थगित करनी पड़ी। 2021 में जेईई मेन्स के एग्जाम में गलत प्रश्न पत्र और धांधली के आरोप लगे। इसी परीक्षा के लिए राजस्थान में सॉल्वर गैंग भी पकड़ा गया था। 2022 में CUET की परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे। कई जगह पर दोबारा परीक्षा करवानी पड़ी। वहीं अब 2024 में नीट यूजी की परीक्षा में धांधली का बात सामने आई है। इसके अलावा नीट पीजी, यूजीसी नेट और सीएसआईआर नेट की परीक्षा रद्द करनी पड़ी है।

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