उत्तर प्रदेश के मूल निवासी और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की
यूपी में जन्म, मगर ममता के करीबी : कौन हैं IPS राजीव कुमार, जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अड़ गई केंद्र सरकार?
Aug 20, 2024 17:23
Aug 20, 2024 17:23
- उत्तर प्रदेश में जन्मे हैं राजीव कुमार
- शारदा चिटफंड घोटाले में नाम
- कभी ममता के फोन टैप का लगा था आरोप
कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कोलकाता पुलिस कमिश्नर, एसटीएफ डायरेक्टर, और पश्चिम बंगाल के डीजीपी के रूप में कार्य किया। कुमार ने दिसंबर 2023 में पश्चिम बंगाल के डीजीपी के रूप में पदभार ग्रहण किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई फटकार
हाल ही में कोलकाता में हुई घटनाओं के बाद राजीव कुमार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। विशेष रूप से, डीजीपी पर आरोप है कि उन्होंने समय पर उचित कार्रवाई नहीं की और एफआईआर लिखने से लेकर कार्रवाई तक में देरी की। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल उठाया था कि पुलिस ने अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के दौरान क्या किया।
शारदा चिटफंड घोटाले में नाम
राजीव कुमार को विशेष रूप से शारदा चिटफंड घोटाले के संदर्भ में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। 2013 में सामने आए इस घोटाले में कई लाख लोग आर्थिक संकट में फंस गए थे। आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने जांच के दौरान महत्वपूर्ण सबूतों को छुपाया और दबाया। ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले कुमार पर आरोप है कि उन्होंने सुदीप्तो सेन के इलेक्ट्रॉनिक डेटा को नष्ट कर दिया। भाजपा इसे लेकर ममता बनर्जी और राजीव कुमार पर लंबे वक्त से हमलावर रही है।
कभी ममता के फोन टैप का लगा था आरोप
आज जिन राजीव कुमार को ममता बनर्जी का बेहद खास माना जाता है, एक वक्त था कि उन पर ममता का ही फोन टैप करने का आरोप लगा था। तब सत्ता में लेफ्ट थी और टीएमसी विपक्ष में थी। उस समय राजीव कुमार एसटीएफ प्रमुख के तौर पर कार्य कर रहे थे। 2009 में तत्कालीन टीएमसी महासचिव मुकुल रॉय ने आरोप लगाया था कि वाम मोर्चे के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी का फोन टैप किया गया था। 2011 में जब ममता सत्ता में आईं, तो कुमार को कम महत्वपूर्ण पद पर स्थानांतरित करने का प्रयास किया गया। हालांकि बाद में उन्हें बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय का पहला आयुक्त बना दिया गया।
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