GST on Petrol and Diesel : क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएगी मोदी सरकार? वित्त मंत्री ने दिया ये जवाब

क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएगी मोदी सरकार? वित्त मंत्री ने दिया ये जवाब
UPT | Nirmala Sitharaman

Jun 23, 2024 07:41

सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना हमेशा से पेट्रोल और डीजल को GST के अंतर्गत लाने की रही है।

Jun 23, 2024 07:41

New Delhi : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार यानी 22 जून को GST काउंसिल की 53वीं बैठक संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें सबसे प्रमुख था पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने का विषय। बैठक के उपरांत वित्त मंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की।

जीएसटी के दायरे में आएगा पेट्रोल-डीजल
सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना हमेशा से पेट्रोल और डीजल को GST के अंतर्गत लाने की रही है। उन्होंने कहा, "GST का मूल उद्देश्य पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे में लाना था। अब यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वे इस पर सहमति बनाएं और उचित दर निर्धारित करें।" वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस संबंध में पहले ही आवश्यक कानूनी प्रावधान कर दिए थे।



राज्य करेंगे दर निर्धारित
सीतारमण ने कहा कि GST लागू करते समय ही यह योजना थी कि कुछ समय बाद पेट्रोल और डीजल को इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "अब केवल यह निर्णय लेना शेष है कि राज्य GST काउंसिल में एकमत होकर यह तय करें कि वे किस दर पर सहमत होंगे।" यह बैठक मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में आयोजित पहली GST काउंसिल बैठक थी। पिछली बैठक लगभग 8 महीने पूर्व, अक्टूबर 2023 में हुई थी। इस लंबे अंतराल के बाद हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

अगस्त में होगी अगली बैठक
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि शेष एजेंडे पर विचार-विमर्श के लिए अगली बैठक अगस्त में आयोजित की जाएगी। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि GST दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया गया है। यह समूह अगस्त में होने वाली बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

GST से कीमतों में स्थिरता
राज्य सरकारों के लिए पेट्रोल और डीजल पर कर एक प्रमुख राजस्व स्रोत है। GST के दायरे में आने से इस राजस्व पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, राज्यों की चिंताओं को दूर करना और उनकी सहमति प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर, उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से यह कदम लाभदायक हो सकता है। GST के अंतर्गत आने से ईंधन की कीमतों में स्थिरता आ सकती है और कर प्रणाली अधिक पारदर्शी हो सकती है।

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