प्रयागराज में चल रहे कुम्भ मेला के दौरान गायों के संरक्षण और सनातन धर्म के पुनरुत्थान के लिए गो प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस यज्ञ की शुरुआत शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने की। इस महायज्ञ के माध्यम से गायों को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और उनके संरक्षण के महत्व को समाज में फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
महाकुंभ मेले में महायज्ञ : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया गौ रक्षा और सनातन धर्म के पुनरुद्धार का संदेश
Jan 15, 2025 17:28
Jan 15, 2025 17:28
महायज्ञ का उद्देश्य और महत्व
यह यज्ञ गायों की रक्षा और सनातन धर्म के पुनरुत्थान के लिए आयोजित किया गया है। यज्ञ के माध्यम से गायों को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और उनके संरक्षण हेतु समाज को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। आयोजकों के अनुसार, यह यज्ञ सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और गोसंवर्धन के महत्व को रेखांकित करेगा।
324 कुंडीय यज्ञशाला: आकर्षण का केंद्र
यह महायज्ञ 324 कुंडों वाली विशाल यज्ञशाला में आयोजित किया जा रहा है, जो कुम्भ क्षेत्र की सबसे बड़ी यज्ञशाला है। इस यज्ञ में सवा तीन करोड़ आहुतियां दी जाएंगी। वैदिक परंपरा और विधि-विधान के अनुसार आयोजित इस महायज्ञ का संचालन अनुभवी वेदपाठी आचार्यों के मार्गदर्शन में हो रहा है।
आयोजकों ने बताया कि इस प्रकार की विशाल यज्ञशाला बहुत ही दुर्लभ होती है। पूर्व में 108 कुंडीय यज्ञशालाएं तो देखी गई हैं, लेकिन 324 कुंडीय यज्ञशाला का यह आयोजन विशेष है और भक्तों के लिए एक अनोखा अनुभव प्रदान करेगा।
शंकराचार्य का संदेश
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने उद्घाटन के अवसर पर कहा, "गाय सनातन संस्कृति का आधार है। इसका संरक्षण और संवर्धन केवल धर्म की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समृद्धि का माध्यम है। यह महायज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दोहराने का अवसर है।"
यज्ञ का आयोजन और श्रद्धालुओं की सहभागिता
महायज्ञ का आयोजन बड़े स्तर पर किया गया है और इसे लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है। हजारों की संख्या में भक्त यज्ञ में भाग लेने और इसका पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए यज्ञशाला पहुंच रहे हैं। इस आयोजन में देश के कोने-कोने से संत, महात्मा और सनातन धर्म के अनुयायी भाग ले रहे हैं।
यह एक महीने तक चलने वाला अनुष्ठान सनातन धर्म, गोसंवर्धन और समाज में आध्यात्मिक जागरूकता लाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। श्रद्धालुओं और धर्मप्रेमियों के लिए यह आयोजन एक अनूठा अनुभव प्रदान कर रहा है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणामों की उम्मीद की जा रही है।
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