'जज के खिलाफ अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं' : कानपुर के वकील को हाईकोर्ट ने चेताया, मांगनी पड़ गई माफी

कानपुर के वकील को हाईकोर्ट ने चेताया, मांगनी पड़ गई माफी
UPT | कानपुर के वकील को हाईकोर्ट ने चेताया

Sep 25, 2024 16:52

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता को जज के खिलाफ अशिष्ट व्यवहार करने के लिए चेतावनी दी है। अदालत ने कहा कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

Sep 25, 2024 16:52

Short Highlights
  • जज के खिलाफ किया अभद्र व्यवहार
  • अधिवक्ता को दो बार मांगनी पड़ी माफी
  • अदालत ने चेतावनी देकर छोड़ा
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता को जज के खिलाफ अशिष्ट व्यवहार करने के लिए चेतावनी दी है। अदालत ने कहा कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद अधिवक्ता ने बिना शर्त माफी मांग और भविष्य में ऐसी हरकत न दोहराने की शपथ ली। इसके बाद हाईकोर्ट ने भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी देते हुए कार्यवाही को समाप्त कर दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल ये मामला कानपुर का है। यहां सिविल जज कानपुर नगर द्वारा अधिवक्ता योगेंद्र त्रिपाठी के खिलाफ हाईकोर्ट में संदर्भ भेजा गया था। आरोप है कि अधिवक्ता ने पिछले साल एक अदालती कार्यवाही के दौरान कोर्ट स्टाफ से फाइल छीन ली थी और ट्रायल जज के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी। सिविल जज के संदर्भ के आधार पर हाईकोर्ट ने अधिवक्ता के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।



अधिवक्ता को दो बार मांगनी पड़ी माफी
हाईकोर्ट ने अधिवक्ता को अवमानना केस में नोटिस जारी किया था। इस पर अधिवक्ता की तरफ से बिना शर्त माफी मांग ली गई। लेकिन न तो हाईकोर्ट और न ही सिविल जज इस माफी से संतुष्ट थे। इसके बाद मामले को स्थगित कर बेहतर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया। अधिवक्ता ने एक बार फिर से कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी। कोर्ट में हाजिर होकर अधिवक्ता ने कहा कि वह कभी भी इस तरह की हरकत नहीं दोहराएगा।

अदालत ने चेतावनी देकर छोड़ा
दोबारा माफी मांगने पर हाईकोर्ट ने अधिवक्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और चेतावनी देकर छोड़ दिया। अदालत ने कहा कि हम इस मामले में अधिक गंभीर दृष्टिकोण अपनाना चाहते थे, लेकिन अवमाननाकर्ता युवा अधिवक्ता है और उस पर इस तरह के आचरण का पूर्व में कोई आरोप नहीं लगा है, इसलिए सख्त चेतावनी देते हुए वर्तमान कार्यवाही को समाप्त करते हैं. लेकिन न्यायाधीश के प्रति ऐसे व्यवहार की छूट नहीं दी जा सकती। अधिवक्ता संयमित भाषा का प्रयोग करें।

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