बज़्म-ए-विरासत के तीसरे और अंतिम दिन की शुरुआत बेहतरीन अंदाज़ में हुई। इस विशेष आयोजन की मेजबानी प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने की, जिन्होंने मंच पर अभिनेता संजय मिश्रा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अली फ़ज़ल का गर्मजोशी से स्वागत किया।
बज़्म-ए-विरासत : तिग्मांशु धूलिया ने पूछे सवाल, संजय मिश्रा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अली फजल ने सुनाए अनसुने किस्से
Dec 23, 2024 12:59
Dec 23, 2024 12:59
अभिनय में आंतरिक और बाह्य प्रदर्शन का महत्व
तिग्मांशु धूलिया ने बातचीत की शुरुआत अभिनय के चार प्रकार-आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य पर चर्चा से की। उन्होंने अभिनेताओं से पूछा कि आंतरिक प्रदर्शन (इंटरनल परफॉर्मेंस) के साथ बाह्य प्रदर्शन (एक्सटर्नल परफॉर्मेंस) कितना आवश्यक है। इस पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि यदि चरित्र की मांग हो, तो बाह्य प्रदर्शन करना जरूरी है। संजय मिश्रा ने इस पर प्राण और गुलशन ग्रोवर जैसे दिग्गज कलाकारों का उदाहरण देते हुए कहा कि बाह्य प्रदर्शन सिनेमा का अभिन्न हिस्सा है और इसे प्रभावशाली ढंग से करना चाहिए। अली फ़ज़ल ने साझा किया कि वे अपने चरित्र में गहराई और विविधता लाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
अभिनय में व्यक्तिगत अनुभवों का उपयोग
तिग्मांशु धूलिया ने अगला सवाल किया कि एक अभिनेता अपनी भावनात्मक यादों और अनुभवों को अभिनय में कैसे लाता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि अभिनेता को जीवन के अनुभवों को बढ़ाने के लिए घूमते रहना चाहिए और किसी भी दायरे में नहीं बंधना चाहिए। संजय मिश्रा ने कहा कि एक अभिनेता के लिए "सुनना" बेहद महत्वपूर्ण है। अली फ़ज़ल ने किताबों को पढ़ने का महत्व बताया और मंटो का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक अभिनेता को खुद से ईमानदार रहना चाहिए।
हंसी-मज़ाक और पुराने किस्से
कार्यक्रम में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के "हैमलेट" के पुराने किस्सों और तिग्मांशु धूलिया के शुरुआती दिनों की यादों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। संजय मिश्रा ने कहा, "मेरे लिए जीवन ही अभिनय है। इस दौरान संघर्ष के दिनों की चर्चा करते हुए अभिनेताओं से उनके संघर्ष के दिनों के अनुभव भी साझा किए गए। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी पहली फिल्म सरफ़रोश का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका संघर्ष कभी खत्म नहीं हुआ। अली फ़ज़ल ने बताया कि उनकी पहली फिल्म एक थो चांस कभी रिलीज़ नहीं हुई, लेकिन इसके बाद थ्री इडियट्स उनकी पहली सफल फिल्म बनी। संजय मिश्रा ने ईमानदारी से कहा कि संघर्ष जीवन का अभिन्न हिस्सा है, और यह हमेशा बना रहना चाहिए।
सफलता और ज़मीन से जुड़े रहना
तिग्मांशु धूलिया ने पूछा कि क्या सफलता सिर पर चढ़ जाती है। इस पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, "सफलता क्षणिक होती है। ज़मीन से जुड़े रहना ज़रूरी है। संजय मिश्रा ने कहा कि सफलता के बावजूद एक कलाकार का फोकस अपनी कला पर रहना चाहिए। अली फ़ज़ल ने अपनी सफलता का श्रेय टीम वर्क और अपने परिवार को दिया।
जीवन में संतोष और खुशी
कार्यक्रम के अंत में तिग्मांशु धूलिया ने पूछा कि क्या वे अपने जीवन में संतुष्ट और खुश हैं। अली फ़ज़ल ने मुस्कुराते हुए कहा कि वे बेहद खुश हैं और उनकी 5 महीने की बेटी उनकी खुशी का सबसे बड़ा कारण है। उनके इस जवाब पर दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाईं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि संकट और रचनात्मकता हमेशा साथ चलते हैं। संजय मिश्रा ने ईमानदारी से कहा कि वे अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
इरफ़ान खान को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम का समापन दिवंगत अभिनेता इरफ़ान खान को श्रद्धांजलि के साथ हुआ। दर्शकों ने ज़ोरदार तालियों के साथ इस दिन को यादगार विदाई दी। इस आयोजन न केवल अभिनय के तकनीकी और व्यक्तिगत पहलुओं पर प्रकाश डालने वाला था, बल्कि जीवन के अनुभवों को साझा करने का एक मंच भी बना। अभिनेताओं की बातों ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन किया, बल्कि प्रेरणा भी दी।
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