Diwali 2024 in Prayagraj : गाय के गोबर से बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां और दीये खूब बिक रहे, दिल्ली एनसीआर में डिमांड

गाय के गोबर से बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां और दीये खूब बिक रहे, दिल्ली एनसीआर में डिमांड
UPT | गोबर से बनी मूर्तियां और सजावट के सामान

Oct 30, 2024 17:30

इस बार प्लास्टिक मुक्त और इको फ्रेंडली दिवाली की शुरुआत देसी गाय के गोबर से बने सामान से की गई है। इन सामानों को बनाने के साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर इसका प्रचार भी किया। जिसके बाद गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक सजावटी सामान के साथ ही देसी गाय के गोबर से बनी इन मूर्तियों की मांग आने लगी है।

Oct 30, 2024 17:30

Prayagraj News : संगम नगरी प्रयागराज में इस बार दीपावली के त्योहार पर गाय के गोबर से बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां और दीये खूब बिक रहे हैं। इन मूर्तियों को बनाने वाली समाजसेवी आभा सिंह का कहना है कि जिस देश में गाय के गोबर की पूजा होती है, वहां गोबर से बनी चीजों की भी पूजा होती है। इसीलिए इस बार उन्होंने गाय के गोबर से बनी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों के साथ ही दीपावली पर जलाने के लिए दीये भी बनाए हैं। उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों और दीयों की बाजार में खूब मांग है।

इस दिवाली को इको फ्रेंडली बनाने की शुरुआत
समाजसेवी आभा सिंह का कहना है कि इस बार प्लास्टिक मुक्त और इको फ्रेंडली दिवाली की शुरुआत देसी गाय के गोबर से बने सामान से की गई है। इन सामानों को बनाने के साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर इसका प्रचार भी किया। जिसके बाद गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक सजावटी सामान के साथ ही देसी गाय के गोबर से बनी इन मूर्तियों की मांग आने लगी है। उन्होंने इन जिलों में इनकी आपूर्ति भी की है। कई अन्य जिलों से भी लगातार मांग आ रही है।


मूर्तियों के सम्मान के साथ पर्यावरण का होगा बचाव
जब से गोबर से बने उत्पाद बाजार में आए हैं, तब से लोग इको फ्रेंडली दीपावली मनाने लगे हैं। आभा सिंह का कहना है कि दीपावली के त्योहार पर लोग अपने घरों में नए गणेश और लक्ष्मी की पूजा के लिए लाते हैं। उसके बाद पुराने साल की मूर्तियों को इधर-उधर ले जाकर फेंक देते हैं, जिससे उनका अपमान होता है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस और चीनी मिट्टी से बनी मूर्तियों को लोग गंगा के पानी में विसर्जित कर देते हैं। जिससे उसमें मौजूद केमिकल के कारण पानी भी जहरीला हो जाता है। ये मूर्तियां पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं। पर्यावरण को बचाने और इको फ्रेंडली दीपावली मनाने के लिए उन्होंने यह शुरुआत की है।

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