महाकुंभ के दौरान साधु संतों को देखकर बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिनकी इच्छा महामंडलेश्वर बनने की होती है, लेकिन महामंडलेश्वर बनने के लिए भी कुछ योग्यताएं होनी चाहिए। आइए जानते हैं पूरा मामला।
महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर बनने की चाहत : अखाड़ों ने 79 आवेदन खारिज किए, मानक पूरे नहीं कर पाए आवेदक
Nov 09, 2024 23:36
Nov 09, 2024 23:36
- आजकल लोगों के पास रोजगार नहीं लोग थोड़ा पढ़-लिख लेने के बाद कथा वाचक बन जाते हैं
- उन्हें लगता है इस तरह करने से उनके पास पैसा आएगा, वैभव आएगा,लेकिन ऐसा नहीं होता
- महामंडलेश्वर बनने की अपनी एक परंपरा होता है। योगिता होती है। ऐसे किसी को भी हम नहीं बना सकते
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया की जानकारी
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पूरी ने जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले ब्रह्मचारी की दीक्षा दी जाती। जिस दिन महामंडलेश्वर बनेंगे उस दिन संन्यास दिया जाता है। संन्यास का अर्थ होता है उसका पिंडदान होगा उसके पूर्वजों का पिंडदान होगा, जिसके बाद उसका पूरा जीवन संन्यासी हो जाएगा, इसीलिए जांच के बाद अखाड़ों ने ऐसे लोगों को महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनाने से मना कर दिया है जिनका परिवार है और वो ग्रहस्थ जीवन में नहीं होगा।
79 लोगों ने दी गलत जानकारी, निरस्त हुए आवेदन
आवेदन करने वाले लोगों ने अखाड़ों को बताया था कि वो लोग गृहस्थ जीवन में नहीं हैं और परिवारिक लोगों से काफी समय से अलग होकर रह रहे हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पूरी ने बताया कि अखाड़ों की अपनी परंपरा है। जिसमें जो भी लोग संत महात्मा बनना चाहते हैं वो गृहस्थ जीवन में न हों और उनके बच्चे भी न हों, लेकिन जब अखाड़ों ने उनकी जांच कराई तो पता चला कि 79 ऐसे लोग हैं जिन्होंने अखाड़ों को अपने बारे में गलत जानकारी दी थी और वो लोग गृहस्थ जीवन में हैं। जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं और उनके बच्चे भी हैं जिनके साथ वो रह रहे हैं।
शुद्ध विचार और सात्विक भोजन वाले ही बन सकते हैं महामंडलेश्वर
अखाड़ों में सिर्फ नागा और संन्यासी ही होते हैं जिनका शुद्ध विचार हो शुद्ध भोजन हो। जो भी लोग हमारे पास आयें हमने उनका निरीक्षण किया जिसमें पता चला कि उनका भोजन अलग है और वो परिवार के साथ रहते हैं। अखाड़ों के जो भी पदाधिकारी होते हैं उनका घर से संबंध नहीं होता। रविन्द्र पूरी महाराज ने बताया कि हमारा अपना बाई लाज है जिमसें अगर हमारा कोई भी पदाधिकारी का संबंध घर से होता है उन्हें पदमुक्त कर दिया जाता है, इसलिए हमारा पूरा प्रयास है कि जो भी संत बनेगा महामंडलेश्वर बनेगा उसका घर से संबंध नहीं होगा जिससे कि संन्यास परंपरा का निर्वाह कर सके।
लोभ,लालच,यश,वैभव के लिए लोग बनना चाहते हैं महामंडलेश्वर
बड़ी संख्या में महामंडलेश्वर बनने के सवाल पर रविन्द्र पूरी ने बताया कि जब भी महाकुंभ आता है पूरी दुनिया में क्रेज सा बन जाता है और पूरे भारत में भगवाकरण हो जाता है। लोग साधु संतों को देखते हैं फिर उन्हें लगता है कि वो भी संत बनना चाहते हैं, लेकिन उन्हें गृहस्थ जीवन का त्याग करना होता है तब जाकर कोई संत बनता है। लोभ के लालच में महामंडलेश्वर बनने के सवाल पर रवींद्र पूरी ने कहा कि इस समय एक प्रचलन सा बन गया आजकल रोजगार नहीं है लोग थोड़ा पढ़-लिख लेने के बाद कथा वाचक बन जाते हैं। जिससे उन्हें लगता है लोग हमारे पास आएंगे पैसा भी मिलेगा यश भी मिलेगा और वैभव भी कुछ ऐसे भी लोग हैं, लेकिन लोगों को ऐसे लोगों से बचना चाहिए इसीलिए हम अखाड़े ऐसे लोगों से दूर रहते हैं।
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