Fatehpur News : एक व्यक्ति का दो मृत्यु प्रमाणपत्र जारी, दो बीवियों ने ठोंका नौकरी का दावा, जानें क्या है पूरा मामला

एक व्यक्ति का दो मृत्यु प्रमाणपत्र जारी, दो बीवियों ने ठोंका नौकरी का दावा, जानें क्या है पूरा मामला
UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Oct 01, 2024 02:14

यूपी के फतेहपुर में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र का मामला अभी खत्म नहीं हुआ था कि अब मृत्यु प्रमाणपत्र का भी खेल शुरू गया है। दरअसल एक ही...

Oct 01, 2024 02:14

Fatehpur News : यूपी के फतेहपुर में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र का मामला अभी खत्म नहीं हुआ था कि अब मृत्यु प्रमाणपत्र का भी खेल शुरू गया है। दरअसल एक ही व्यक्ति का दो जिलों से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। दोनों जगहों पर उसकी अलग-अलग पत्नी भी हैं। दोनों पत्नियां उसके निधन पर उसके स्थान पर आश्रित कोटे में नौकरी की मांग की है। इस मामले में लोक निर्माण विभाग फतेहपुर के अधिशाषी अभियंता ने रिपोर्ट मांगी है।



मामले की जांच कराई जाएगी
फतेहपुर के अधिशासी अभियंता की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विभाग के बेलदार रहे अतर सिंह के निधन के बाद दो महिलाओं नैना देवी और शांति देवी ने आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया है। मैना देवी के पास अतर सिंह का जो मृत्यु प्रमाणपत्र है वह फतेहपुर के एराना विकास खंड के गौती से जारी किया गया है जबकि शांति देवी के पास जो मृत्यु प्रमाणपत्र है, वह ऊंचाहार के कदरावां गांव से जारी हुआ है। रावां से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र का सत्यापन कराकर रिपोर्ट मांगी है। पत्र आने के बाद एसडीओ पंचायत ऊंचाहार को पत्र भेज कर रिपोर्ट मांगी गई है। इस बाबत मुख्य विकास अधिकारी अर्पित उपाध्याय ने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो मामले की जांच कराई जाएगी।


मृत्यु सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया गया
जानकारी के मुताबिक बुलंदशहर में जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर प्रमाण पत्र जारी कर दिया। हालांकि बाद में उसे निरस्त कर दिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक औरंगाबाद चांदीक (रजापुर) निवासी सुक्कन सिंह ने साल 2017 में एक व्यक्ति के नाम करीब दस बीघा भूमि की वसीयत कर दी थी। लेकिन सुक्कन सिंह ने बताया कि आरोपी ने उन्हें बहला फुसलाकर जमीन की वसीयत अपने नाम करा ली। साल 2018 में आरोपी ने फर्जी तरीके से सुक्कन सिंह की मरने की अफवाह उड़ाकर कर मृत घोषित कर दिया। ग्राम पंचायत सचिव ने ग्राम प्रधान की संस्तुति के बाद मृत्यु सर्टिफिकेट जारी कर दिया। लेकिन कुछ दिन बाद सचिव को शक होने पर उस मृत्यु सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया गया।

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