महाकुंभ से पहले सरकार का बड़ा फैसला : गंगाजल को आचमन लायक बनाया जाएगा, नालों का पानी गिरने से रोकने के लिए किए जाएंगे ये इंतजाम

गंगाजल को आचमन लायक बनाया जाएगा, नालों का पानी गिरने से रोकने के लिए किए जाएंगे ये इंतजाम
UPT | फाइल फोटो।

Nov 12, 2024 07:20

संगम नगरी में अगले वर्ष यानी जनवरी 2025 में महाकुंभ लगने वाली है। महाकुंभ की तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही है। इसी बीच प्रदेश सरकार ने निर्णय...

Nov 12, 2024 07:20

Prayagraj News : संगम नगरी में अगले वर्ष यानी जनवरी 2025 में महाकुंभ लगने वाली है। महाकुंभ की तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही है। इसी बीच प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि महाकुंभ से पहले गंगा जल को आचमन लायक बनायी जाएगी। गंदे नालों को गंगा में गिरने से रोकने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए तैयार किए गए एक्शन प्लान पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह मंगलवार को केंद्र और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ प्रयागराज में बैठक करेंगे।



नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने सीवेज की गंदगी से गंगा जल दूषित होने पर असंतोष जताया है। साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से हालात से निपटने और जल को दूषित होने से रोकने के फौरी उपायों के साथ हलफनामा देने को भी कहा है। एनजीटी के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने अपर मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण मनोज सिंह को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया।

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लापरवाह अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, प्रदूषण कम करने के लिए गंगा में ऊपर से अधिक पानी छोड़ा जाएगा। जो नाले बिना एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के सीधे गंगा में मिल रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए तत्काल अस्थायी व्यवस्था की जाएगी। जहां एसटीपी लगे हैं, उन्हें लगातार चालू रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे। लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय भी लिया गया है।

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बैठक में ये लोग होंगे शामिल
बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष तन्मय कुमार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आरपी सिंह, केंद्र और राज्य में नमामि गंगे के सचिव भी शामिल होंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 22 अक्टूबर की रिपोर्ट में बताए गए कि उत्तर प्रदेश के 326 नालों में से 247 नालों के पानी का शोधन नहीं किया गया है। इस पर एनजीटी ने विभिन्न जिलों में हर नाले और उनसे पैदा होने वाले सीवेज व प्रस्तावित सीवेज उपचार संयंत्रों के बारे में जानकारी मांगी है।

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