महाकुंभ नगर के सेक्टर 25 में बनाए गए पवेलियनों में देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया गया है। इस साल महाकुंभ में विशेष आकर्षण की बात यह है कि प्रत्येक राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्भुत तरीके से पेश किया है।
सांस्कृतिक विरासत का अनूठा संगम : महाकुंभ में देश की विविधता का जश्न, 12 राज्यों के कलाकारों ने रचा इतिहास
Jan 19, 2025 16:05
Jan 19, 2025 16:05
12 राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि का अद्भुत संगम
महाकुंभ नगर के सेक्टर 25 में बनाए गए पवेलियनों में देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया गया है। इस साल महाकुंभ में विशेष आकर्षण की बात यह है कि प्रत्येक राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्भुत तरीके से पेश किया है। नागालैंड का चांगलो नृत्य, लेह का शोंडोल नृत्य और दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, एमपी, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति की झलकियां इन पवेलियनों में देखने को मिल रही हैं।
मध्य प्रदेश का आदिवासी भगोरिया नृत्य
मध्य प्रदेश का पवेलियन इस बार खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां आदिवासी समुदाय की होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा बने रंग-बिरंगे परिधानों में नृत्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ढोल-मजीरे की गूंज और युवाओं का गुलाल से खेलते हुए नृत्य महाकुंभ में उत्सव का माहौल बना रहा है। यह नृत्य आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ें और उसे संरक्षित करने का संदेश भी दे रहा है। इसके साथ ही, मध्य प्रदेश पवेलियन में धार्मिक फिल्में भी दिखाई जा रही हैं और शाम को लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं का मनोरंजन कर रही हैं।
वैदिक घड़ी का अनूठा प्रदर्शन
मध्य प्रदेश पवेलियन में एक अन्य आकर्षण है, जो श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रहा है – वैदिक घड़ी। यह दुनिया की पहली वैदिक घड़ी है, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष उज्जैन में किया था। पंडाल के बाहर स्थापित की गई इस घड़ी को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु महाकुंभ में आ रहे हैं।
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और मेहमाननवाजी
राजस्थान का पवेलियन महाकुंभ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति को लेकर खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां के प्रसिद्ध किलों जैसे हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां प्रदर्शित की जा रही हैं। साथ ही श्रद्धालुओं की मेहमाननवाजी के लिए राजस्थान की विशेष भोजन व्यवस्था की गई है। लोग लंबी कतारों में खड़े होकर राजस्थान के पारंपरिक भोजन का स्वाद ले रहे हैं। 45 दिनों तक यहां राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी अन्य प्रस्तुतियां
गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य, उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुंभ के मंच पर अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। प्रत्येक राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बेहद अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है, जो महाकुंभ को और भी विशेष बना रहा है। इसके अलावा दादरा नगर हवेली का मुखौटा नृत्य, नागालैंड का चांगलो नृत्य और लेह लद्दाख का शोंडोल नृत्य भी महाकुंभ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं।
कला, साहित्य और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने महाकुंभ में कला और साहित्य के विकास को भी बढ़ावा दिया है। यहां पर सांस्कृतिक प्रदर्शनी, संगीत, नृत्य और साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। महाकुंभ के पवेलियनों के माध्यम से भारतीय एकता और विविधता का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है, जो भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करता है।
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