उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के रहने वाले हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा ने 16 साल की उम्र में ही घर का त्याग कर दिया था। बाबा का कहना है, "मेरे माता-पिता साधु थे और उन्होंने मुझे 'हरिश्चंद्र'...
महाकुंभ 2025 : 12 साल बाद आस्था की नगरी पूरी तरह तैयार, चाबी वाले बाबा बने आकर्षण का केंद्र
Jan 06, 2025 12:08
Jan 06, 2025 12:08
चाबी वाले बाबा का जीवन और उनका संदेश
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के रहने वाले हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा ने 16 साल की उम्र में ही घर का त्याग कर दिया था। बाबा का कहना है, "मेरे माता-पिता साधु थे और उन्होंने मुझे 'हरिश्चंद्र' नाम दिया। इस नाम को जीने के लिए मैंने यात्रा शुरू की।" उनका कहना है कि हरिश्चंद्र ने उन्हें जीवन की राह दिखाई और वह उसी राह के राही बने हैं। उन्होंने अपनी यात्रा में समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने की ठानी, ताकि सत्य की राह पर चलकर वह जीवन में मुक्ति प्राप्त कर सकें।
सत्य की राह पर यात्रा
बाबा ने घर छोड़ने के अपने कारणों के बारे में बताते हुए कहा, "समाज में बुराई और नफरत फैली हुई थी। मुझे लगा कि इनका सामना करने और सत्य के रास्ते पर चलने के लिए घर छोड़ना जरूरी था।" वह जीवन की कठिनाइयों को सहते हुए पदयात्राएं करते रहे और अंततः सत्य के मार्ग पर चलने के बाद मुक्ति की ओर अग्रसर हुए।
महाकुंभ की भव्यता पर बाबा का दृष्टिकोण
बाबा ने महाकुंभ 2025 के आयोजन के बारे में कहा कि इस बार के आयोजन की भव्यता और सफाई देखकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की और कहा कि जिस तरीके से महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। वह दिव्य, भव्य, स्वच्छ और डिजिटल होगा। उनके अनुसार यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातनी विचारधारा को भी प्रमोट करता है। बाबा ने महाकुंभ की तारीफ करते हुए कहा, "बहुत अच्छा लग रहा है कि शासन-प्रशासन के लोग सनातनी विचारधारा को महत्व दे रहे हैं। इस आयोजन को भव्यता और दिव्यता देने के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, वे न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह आयोजन एक मील का पत्थर साबित होगा।"
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