महाकुंभ नगर में इस साल के महाकुंभ में अखाड़ों में 12 हजार नए नागा संन्यासी बनाए जाएंगे। नागा संन्यासी वे संत होते हैं, जिन्होंने सांसारिक मोह-माया और परिवार का त्याग कर संन्यास लेने का निर्णय लिया होता है...
महाकुंभ 2025 : मौनी अमावस्या से पहले 12 हजार संत लेंगे नागा दीक्षा, गंगा में लगाएंगे 108 डुबकी
Jan 12, 2025 18:29
Jan 12, 2025 18:29
मौनी अमावस्या से पहले शुरू होगी पक्रिया
नागा संन्यासी बनाने का यह अनुष्ठान मौनी अमावस्या के स्नान से पहले शुरू होता है। 27 जनवरी से अखाड़ों में यह अनुष्ठान आरंभ होगा, जिसमें विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान, उन संतों को गुरु के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जो नागा बनने के लिए योग्य माने जाते हैं। आधी रात को ये संत गंगा में 108 डुबकी लगाएंगे, इसके बाद उनकी शिखा (चोटी) काट दी जाएगी, जो कि एक महत्वपूर्ण रिवाज है। इसके बाद इन संतों को तपस्या के लिए वन में भेजने की परंपरा है।
कब घोषित किए जाते हैं संन्यासी
वन में भेजने की प्रक्रिया के बाद, संतों को वापस बुलाया जाता है और फिर वे नागा संन्यासी के रूप में अखाड़े में लौटते हैं। तीसरे दिन, ये संत नागा भेष में आएंगे और उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के सामने लाया जाएगा। गुरु द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद, वे नागा संन्यासी घोषित किए जाते हैं। मौनी अमावस्या के दिन, चार बजे सुबह इनकी शिखा पूरी तरह से काट दी जाती है और इन संतों को अन्य नागा संन्यासियों के साथ स्नान के लिए भेजा जाता है।
जूना अखाड़े में बनाए जाते हैं सबसे ज्यादा संन्यासी
जूना अखाड़े में सबसे ज्यादा नागा संन्यासी बनाए जाने की योजना है। जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि के अनुसार, इस अखाड़े में लगभग पांच हजार नए नागा संन्यासी बनाए जाएंगे। इसके अलावा, निरंजनी अखाड़े में चार हजार पांच सौ, आवाहन अखाड़े में एक हजार, महानिर्वाणी अखाड़े में तीन सौ, आनंद अखाड़े में चार सौ और अटल अखाड़े में दो सौ नए नागा संन्यासी बनाए जाएंगे। यह प्रक्रिया महाकुंभ के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में आयोजित की जाती है।
सामान्य संन्यासी से बनते हैं नागा साधू
नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया में संतों की पूरी तरह से निगरानी की जाती है। पहले ये संत सामान्य संन्यासी होते हैं और उनके पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में संलग्न रहने की गतिविधियों को ध्यान से देखा जाता है। कई वर्षों की निगरानी के बाद, जब ये संत पूर्ण रूप से साधना में लीन हो जाते हैं, तब उन्हें नागा संन्यासी बनाया जाता है। यह एक सम्मानजनक प्रक्रिया है, जो हर महाकुंभ में दोहराई जाती है।
श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न होगी प्रक्रिया
अखाड़ों में इस बार फिर से नागा संन्यासी बनाए जाएंगे और जूना अखाड़ा इस बार सबसे अधिक नागा संन्यासियों का निर्माण करेगा। महाकुंभ के दौरान इन संतों का पूजन और उनके नागा बनने का अनुष्ठान धार्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे श्रद्धा और आस्था के साथ सम्पन्न किया जाता है।
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