महाकुंभ के चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इन भव्य शिविरों में संतों ने तीन पहर डुबकी और एक पहर आहार का अनुष्ठान आरंभ कर दिया है।
महाकुंभ में राजसी ठाठ : संगम की रेती पर संतों के भव्य शिविर सजने लगे, प्रयागराज में दिखेगा वैभव का अनूठा संसार
Dec 29, 2024 10:49
Dec 29, 2024 10:49
राजसी शिविरों में भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव
महाकुंभ के चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इन भव्य शिविरों में संतों ने तीन पहर डुबकी और एक पहर आहार का अनुष्ठान आरंभ कर दिया है। संतों के दो और तीन मंजिला कॉटेज और वैभवशाली महलनुमा शिविर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता और राजसी अनुभव दोनों प्रदान कर रहे हैं।
पंच दशनाम जूना अखाड़े का प्रभु प्रेमी संघ शिविर
सेक्टर-18 में अन्नपूर्णा मार्ग पर पंच दशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत अवधेशानंद सरस्वती का 22 एकड़ में फैला प्रभु प्रेमी संघ शिविर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शिविर के प्रबंधक महेश शर्मा ने बताया कि इस शिविर में कलात्मक बाॅर्डर वाले घेरे और भव्य निर्माण कार्य किए गए हैं। यहां छह से 12 जनवरी तक स्वामी अवधेशानंद की श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आएंगे।
जापानी संन्यासियों के लिए विशेष शिविर
संगम लोवर मार्ग पर सोमनाथ गिरि उर्फ पायलट बाबा की शिष्या और जापान की भू-समाधि विशेषज्ञ महामंडलेश्वर केको आईकावा उर्फ योगमाता स्वामी कैला माता के शिविर में जापानी संन्यासियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त लकड़ी के बंगले बनाए गए हैं। शिविर में शिवशक्ति महायज्ञ के लिए भव्य पंडाल और सत्संग के लिए विशेष हाल तैयार किए गए हैं। योग माता महामंडलेश्वर चेतना गिरि और श्रद्धा गिरि के लिए भी शाही ठाठ वाले शिविर बनाए जा रहे हैं।
परमार्थ निकेतन और अन्य भव्य शिविर
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संत चिदानंद मुनि का शिविर भी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहा है। इसी सेक्टर में यमुनाचार्य सतुआ बाबा की शिष्या प्रेममई लक्ष्मी साईं माता का शाही सुविधाओं से युक्त शिविर भी आकार ले रहा है। अमेरिकन शिष्य-शिष्याओं के साथ यह शिविर अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिकता का केंद्र बन रहा है। पांच जनवरी से इन शिविरों में संतों और भक्तों की निराली दुनिया बसने लगेगी।
साधना और तप का वातावरण
राजसी वैभव वाले शिविरों के बीच फूस की झोपड़ियों में महामंडलेश्वरों और श्रीमहंतों ने साधना शुरू कर दी है। त्रिवेणी मार्ग स्थित पंच दशनाम अग्नि अखाड़े में श्रीमहंत संपूर्णनंद ब्रह्मचारी अपनी फूस की झोपड़ी में तप करते हुए तीन पहर डुबकी और कुटिया में ध्यान और जप में लीन हैं। उनका कहना है कि यह अनुष्ठान अंतिम शाही स्नान तक जारी रहेगा।
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