आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सनातन धर्म के संरक्षण के प्रतीक हैं। उन्हें ‘सनातन का सूर्य’ करार दिया, और कहा वे महाकुम्भ 2025 के भव्य आयोजन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
महाकुंभ-2025 : स्वामी अवधेशानंद गिरी बोले-सनातन के सूर्य हैं योगी आदित्यनाथ, सकुशल निभा रहे हैं संरक्षक की भूमिका
Dec 16, 2024 20:19
Dec 16, 2024 20:19
2019 में मिली कुम्भ को वास्तविक पहचान
स्वामी अवधेशानंद गिरी ने 2019 में प्रयागराज में हुए कुम्भ की सफलता की सराहना की और कहा कि 2025 का महाकुम्भ नए प्रतिमान स्थापित करेगा। उन्होंने बताया कि कुम्भ सदियों से विचारों के आदान-प्रदान और सनातन शक्तियों की एकजुटता का केंद्र रहा है। 2019 का कुम्भ सनातन धर्म के सत्य स्वरूप को पूरी दुनिया में सही मायनों में प्रदर्शित करने वाला था और 2025 का महाकुम्भ इस सफलता को और भी आगे बढ़ाएगा। मुगल-अंग्रेज शासन व सनातन मूल्यों के प्रति उदासीन सरकारों के शासनकाल में भी कुम्भ के आयोजन हुए मगर, 2019 कुम्भ ने सनातन के सत्य-शाश्वत स्वरूप को पहली बार पूरी दुनिया में सही मायनों में पेश किया।
एकता सनातन हितों के रक्षण का माध्यम
स्वामी अवधेशानंद गिरी ने बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए बांग्लादेश को कृतघ्न राष्ट्र करार दिया। उन्होंने कहा कि सनातन और हिंदू हितों के संरक्षण के लिए एकता ही एकमात्र विकल्प है। भारत की वैश्विक ताकत पर बात करते हुए स्वामी जी ने कहा कि भारत अब दुनिया के सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर चुका है, जिसकी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक शक्ति उसे वैश्विक पटल पर प्रमुख बना रही है। उन्होंने भारत की "इंडिया फर्स्ट" नीति की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा राष्ट्रहित और मानवता के हित में कार्य किया है, जिससे वह अब वैश्विक सत्ता के नए केंद्र के रूप में पहचान बना रहा है।
महाकुम्भ को सफल बनाने का आह्वान
स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महाकुम्भ को स्वच्छ, स्वस्थ, हरित व डिजिटल बनाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और श्रद्धालुओं से स्थानीय प्रशासन की मदद करने की अपील की।
- प्लास्टिक का उपयोग न करें: घाटों और नदियों में प्लास्टिक का कचरा न जाने दें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें: अपना कूड़ा न छोड़ें और घाटों पर गंदगी न फैलने दें।
- कल्पवास के नियमों का पालन करें: घाटों पर सकारात्मक शक्तियों के पूजन से जीवन को धन्य बनाएं।
- सनातनी वेशभूषा अपनाएं: शिखा, तिलक, यज्ञोपवीत आदि धारण करें और नियमों का पालन करें।
- एकता के महायज्ञ में भाग लें: प्रत्येक गांव से श्रद्धालु महाकुम्भ में भाग लें और हिन्दू व राष्ट्र प्रथम की भावना का पालन करें।
- धर्मार्थ कार्यों में सहयोग करें: स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर भंडारों और सेवा कार्यों में भाग लें।
- गुप्तदान और गौसेवा करें: संत सेवा, भजन-कीर्तन और निःशक्तों की मदद करें।
- संगम क्षेत्र को पवित्र मानें: गंगा नदी में स्नान करते समय सुरक्षा और स्वच्छता के नियमों का पालन करें।
- सात्विक जीवनशैली अपनाएं: व्यसन मुक्त और आध्यात्मिक जीवन जीने की कोशिश करें, सूर्य को अर्पित जल दें।
- प्राकृतिक आस्था का पालन करें: भूमि, कुलदेवी, पितृकुल की पूजा करें और त्रिकाल संध्या वंदन को अपनी दिनचर्या बनाएं।
स्वामी अवधेशानंद गिरी ने बताया कि 6 जनवरी को महाकुम्भ के कैम्प में उनकी कथा का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा द्वारा महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं और दुनिया भर से आने वाले डिग्निट्रीज के लिए दर्शन-पूजन और अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। अखाड़े ने कार्यक्रमों की शुरुआत के साथ-साथ भव्य आवभगत की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं, ताकि महाकुम्भ का आयोजन सफल और यादगार बन सके।
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