उत्तर प्रदेश में विभिन्न कृषि उत्पादों जैसे खाद्यान्न, बागवानी, दुग्ध और अन्य उत्पादों के भरपूर उत्पादन को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना : किसानों को उपज का उचित मूल्य व युवाओं को मिल रहा रोजगार
Nov 14, 2024 00:03
Nov 14, 2024 00:03
प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों के सरप्लस का मूल्य संवर्द्धन करते हुए उसे प्रसंस्करण कर बेहतर मूल्य पर उपभोक्ताओं के लिए सुलभ कराने की दिशा में राज्य सरकार कार्यरत है। यूपी में सुलभ श्रमशक्ति, बड़ी मात्रा में उत्पाद, और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन की संभावनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास को प्राथमिकता दी है।
प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 भी लागू की है
प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 भी लागू की है, जिसमें उद्यमियों को उद्योग स्थापना हेतु कई रियायतें और छूट प्रदान की गई हैं, जैसे कि 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद पर सर्कल रेट का 2% शुल्क में छूट, भूमि उपयोग के रूपांतरण में 50% की छूट, बाहरी विकास शुल्क में 75% की छूट, और अन्य सब्सिडी योजनाएं। साथ ही, राज्य के बाहर से आयातित कृषि उत्पादों पर मंडी शुल्क और उपकर से छूट भी दी गई है। प्रसंस्करण इकाइयों को स्थायी रूप से बिजली आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर सब्सिडी, और राज्य में प्रसंस्करण इकाइयों पर संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्यों पर 35% पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
राज्य को फूड पार्क के रूप में विकसित करने के लिए सरकार प्रयासरत
प्रदेश में बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पूंजी निवेश, रोजगार सृजन और ग्रामीण आय में वृद्धि के कई संभावनाएं उत्पन्न हो रही हैं। उत्तर प्रदेश देश में खाद्यान्न, बागवानी उत्पाद, दूध, मांस के उत्पादन में एक प्रमुख स्थान रखता है। बड़े बाजार, उत्पादन की कम लागत और कृषि उत्पादों की पर्याप्त उपलब्धता के कारण राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए अत्यधिक संभावनाएं मौजूद हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य को फूड पार्क के रूप में विकसित करने के लिए सरकार प्रयासरत है।
साथ ही, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अंतर्गत सूक्ष्म उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ को राज्य के सभी जनपदों में तकनीकी प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12,593 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का उन्नयन करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 6,672 इकाइयों का उन्नयन पूरा किया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 21,000 इकाइयों के उन्नयन के लक्ष्य में अब तक 2,396 इकाइयों को उन्नत किया गया है।
ओडीओपी उत्पाद इकाइयों को प्राथमिकता दी जा रही
ओडीओपी उत्पाद इकाइयों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करने और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने के अवसर मिल रहे हैं। इस योजना के तहत, 35% परियोजना लागत अधिकतम 10 लाख तक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के रूप में दी जा रही है। डीपीआर तैयार करने, कौशल प्रशिक्षण, बैंक ऋण प्राप्त करने, एफएसएसएआई, स्थानीय निकाय लाइसेंस आदि में सहायता प्रदान कर उद्यमियों को सशक्त बनाया जा रहा है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर प्रदेश में कई उद्यमी अपने उद्योग स्थापित कर रहे हैं और इन इकाइयों के जरिए भारी संख्या में रोजगार सृजन हो रहा है।
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