जिला कृषि रक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने मंगलवार को किसान को जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है...
प्रतापगढ़ न्यूज : ग्रीष्मकालीन जुताई कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण
May 08, 2024 00:59
May 08, 2024 00:59
मृदा की जलधारण क्षमता बढ़ती है
ग्रीष्मकालीन जुताई का मुख्य उद्देश्य मृदा संरचना में सुधार करना होता है। इससे मृदा की जलधारण क्षमता बढ़ती है जो फसलों के लिये अत्यन्त उपयोगी होती है। खेत की कठोर परत को तोड़कर मृदा को जड़ों के विकास के लिये अनुकूल बनाने के लिये ग्रीष्मकालीन जुताई अत्यधिक लाभकारी है। इसके अलावा खेत में उगे हुए खरपतवार एवं फसल अवशेष मिट्टी में दबकर सड़ जाते है और जैविक खाद में परिवर्तित हो जाते है। इससे मृदा में जीवांश की मात्रा बढ़ती है। गहरी जुताई के बाद मृदा के अन्दर छिपे हानिकारक कीड़े, मकोड़े, उनके अंडे, लार्वा, प्यूपा एवं खरपतवारों के बीज सूर्य की तेज किरणों के सीधे सम्पर्क में आने से नष्ट हो जाते है। इससे फसलों पर कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशी रसायनों का कम उपयोग करना पड़ता है।
हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते है
गर्मी में गहरी जुताई के बाद मृदा में पाए जाने वाले हानिकारक जीवार्ण कवक, निमेटोड एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते है। मृदा में वायु संचार बढ़ जाता है। जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है। इससे फसलों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में लाभ मिलता है। वहीं मृदा में वायु संचार बढ़ने से खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसायनों के विषाक्त अवशेष एवं पूर्व फसल की जड़ों द्वारा छोड़े गए हानिकारक रसायनों के अपघटन में सहायक होती है। टिड्डी जैसे कीट अपने अंडे मिट्टी के भीतर रख देते है। वर्षा की पहली फुहार पर यह विकसित हो जाते है। ग्रीष्मकालीन जुताई के वजह यह अंडे सतह पर आ जाते है और पक्षियों द्वारा नष्ट कर दिए जाते है।
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