इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में दो सगे भाइयों के बीच चल रहे विवाद में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने छोटे भाई को बड़े भाई के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के लिए 'कलयुगी भरत' करार दिया है...
हाई कोर्ट का फैसला : भाई पर फर्जी मुकदमा करने वाले को जज ने कहा कलयुगी भरत, यह सुनाया निर्णय
Oct 11, 2024 17:22
Oct 11, 2024 17:22
यह था मामला
कानपुर के किदवई नगर इलाके में बड़े भाई संजीव चड्ढा ने 2017 में अपने छोटे भाई राजीव द्वारा दर्ज कराई गई एक एफआईआर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राजीव ने आरोप लगाया था कि संजीव ने बिजनेस के नाम पर उससे दो लाख बीस हजार रुपये लिए थे। जिन्हें अब वह लौटा नहीं रहा है। इसके अलावा राजीव ने यह भी आरोप लगाया कि संजीव ने पिता की मौत के बाद जॉइंट अकाउंट से पैसे निकाल लिए थे बिना उसकी सहमति के। इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद 28 जनवरी 2019 को संजीव चड्ढा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कानपुर कोर्ट ने इसके आधार पर उन्हें समन जारी किया था।
पेशे से वकील है राजीव
बड़े भाई संजीव चड्ढा ने चार्जशीट, समन आदेश और अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। कोर्ट चाहता था कि भाइयों के बीच चल रहा विवाद आपसी सहमति व सुलह समझौते से खत्म हो जाए, लेकिन छोटा भाई इसके लिए कतई राजी नहीं हो रहा था और वह बड़े भाई को सजा दिलाना चाहता था। ऐसे में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। बड़े भाई के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वह कतई साबित नहीं हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ अपीलकर्ता बड़े भाई संजीव चड्ढा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट, समन आदेश और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने छोटे भाईको कहा कलयुगी भरत
कोर्ट ने न केवल संजीव चड्ढा को राहत दी, बल्कि राजीव पर पचीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने आदेश दिया है कि वह यह राशि चार हफ्ते में बड़े भाई को चुकाए। रामायण का उदाहरण देते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत भी करार दिया है अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान की कहानी सुनते आए हैं। लेकिन मौजूदा मामले में छोटे भाई का जो रवैया है, उसके आधार पर उसे कलयुगी भरत कहा जा सकता है।
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