दो अंकों के अंतर ने बदली किस्मत : हाईकोर्ट ने जान्हवी को दिया खाली पद पर नियुक्ति का अधिकार, PCSJ भर्ती में आयोग की मानी गलती

हाईकोर्ट ने जान्हवी को दिया खाली पद पर नियुक्ति का अधिकार, PCSJ भर्ती में आयोग की मानी गलती
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Dec 11, 2024 00:01

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएसजे 2018 की भर्ती में लोक सेवा आयोग की गलती के कारण चयन से वंचित अनुसूचित जाति की लड़की जान्हवी को 2018 बैच में प्राप्त अंक के आधार पर सेवा वरिष्ठता के साथ खाली एक पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया ...

Dec 11, 2024 00:01

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएसजे 2018 की भर्ती में लोक सेवा आयोग की गलती के कारण चयन से वंचित अनुसूचित जाति की लड़की जान्हवी को 2018 बैच में प्राप्त अंक के आधार पर सेवा वरिष्ठता के साथ खाली एक पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याची को बकाया वेतन के अलावा सभी सेवा जनित सुविधाओं का हक होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि नागरिक का अधिकार सर्वोच्च है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत नागरिक यह उम्मीद कर सकता है कि आयोग की चयन प्रक्रिया पारदर्शी, उचित और समान अवसर देने वाली होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि चयन में मनमानी और अनुचित कार्य की उम्मीद नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने कहा 2018 बैच का एक पद खाली
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी अन्य व्यक्ति को हटाकर नियुक्ति का आदेश नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 2018 बैच का एक पद खाली होने के कारण याची को नियुक्ति पाने का अधिकार है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस डी सिंह और न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने जान्हवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। आयोग ने 2018 में पीसीएसजे की 610 पदों की भर्ती निकाली थी। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद फाइनल परिणाम घोषित किया गया। इसके तुरंत बाद याची ने आरटीआई दायर की और कापी का निरीक्षण किया, तब यह पता चला कि उसे दो अंक कम दिए गए थे। इसके बाद याचिका दायर की गई, और कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिए। हालांकि, प्रक्रियात्मक खामियों के कारण यह याचिका तीन साल तक लंबित रही।



देरी के लिए याची की कोई गलती नहीं : हाईकोर्ट
आयोग ने कहा कि 2018 की भर्ती के बाद दो और भर्तियां 2020 और 2022 में हो चुकी हैं और अब उसे याची की नियुक्ति की संस्तुति भेजने का अधिकार नहीं है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह फाइनल परिणाम पर पुनर्विचार नहीं कर सकता। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देरी के लिए याची की कोई गलती नहीं है। राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया और बिना आयोग की संस्तुति के, नियुक्ति अधिकारी राज्य में याची की स्वयं नियुक्ति नहीं कर सकता। हालांकि, हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने बताया कि 2018 बैच का एक पद अभी भी खाली है। इस पर कोर्ट ने याची को बड़ी राहत देते हुए उसे नियुक्ति देने का आदेश दिया।

याची को नियुक्ति देने का आदेश जारी किया
कोर्ट ने कहा कि सरकार नियुक्ति अधिकारी है और उसने भर्ती की जिम्मेदारी आयोग को सौंपी है। संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत दोनों राज्य के रूप में कार्य करते हैं। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि याची की आयु 33 वर्ष है और अगर उसे नियुक्ति मिलती है, तो वह 27 साल तक सेवा कर सकती है। साथ ही, एक पद खाली भी है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वह नियुक्ति पाने की हकदार हैं। इस आधार पर, कोर्ट ने याची को नियुक्ति देने का आदेश जारी किया।

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